इस आदेश में दो बातें खास थीं. पहली ये कि ऐक्ट के मुताबिक केस दर्ज होने के बाद तुरंत गिरफ्तारी नहीं होगी और दूसरी ये कि केस दर्ज होने के बाद भी अग्रिम जमानत मिल जाएगी. इसके अलावा केस दर्ज होने के बाद मामले की जांच होगी, जांच कम से कम डिप्टी एसपी रैंक का अधिकारी करेगा और सरकारी अधिकारी के खिलाफ मंजूरी मिलने के बाद ही केस दर्ज होगा.

2016 में ऊना में चार दलितों की पिटाई की गई थी, जिसके बाद पूरे देश में दलित आंदोलन पर उतर आए थे.
सुप्रीम कोर्ट के इन बदलावों का ये नतीजा हुआ कि देश भर के दलित संगठन इस फैसले के खिलाफ लामबंद हो गए. जब प्रतिरोध की आवाज तेज होने लगी, तो केंद्र सरकार की ओर से ये आश्वासन दिया गया कि सरकार सुप्रीम कोर्ट में रिव्यू पिटीशन दाखिल करेगी. 20 मार्च से 28 मार्च आ गया, लेकिन केंद्र सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में रिव्यू पिटीशन दाखिल नहीं किया गया. इसके बाद यूपी के बहराइच से बीजेपी की सांसद साध्वी सावित्री बाई फुले ने अपनी ही सरकार पर निशाना साधा. 1 अप्रैल को सांसद फुले ने लखनऊ में भारतीय संविधान और आरक्षण बचाओ महारैली की.

इसमें उन्होंने कहा-
'मैं सांसद रहूं या फिर ना रहूं, संविधान से छेड़छाड़ नहीं होने दूंगी. संविधान और आरक्षण खतरे में है. हम आरक्षण की मांग कर रहे हैं. यह कोई भीख नहीं है'इससे पहले बीजेपी सांसद साध्वी ने बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर के नाम को बदलने पर आपत्ति जताई थी और कहा था कि उनके नाम से छेड़छाड़ बर्दाश्त नहीं की जाएगी. हालांकि इससे पहले भी 23 मार्च को बीजेपी के ही सांसद उदित राज ने कहा था कि पुनरीक्षण याचिका दाखिल करने के लिए वो खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलेंगे. लेकिन पीएम मोदी और सांसद उदित राज की मुलाकात नहीं हो पाई.

एक ओर बीजेपी के अंदर ही अंदर दलित नेताओं का गुस्सा सुलगता रहा और दूसरी ओर पूरे देश के दलित संगठन लामबंद होते रहे. दलित संगठनों ने 2 अप्रैल को पूरा भारत बंद बुलाया था. वहीं बीजेपी को जब लगा कि नुकसना ज्यादा हो जाएगा तो 2 अप्रैल को ही सुप्रीम कोर्ट में रिव्यू पिटीशन फाइल कर दी गई. जब तक ये पिटीशन फाइल होती, देर हो चुकी थी. पूरे देश में हजारों की संख्या में दलित समुदाय के लोग सड़कों पर उतर गए थे और प्रदर्शन शुरू कर दिया था. इस प्रदर्शन के दौरान कई शहरों में ट्रेन रोक दी गईं, कई शहरों आगजनी और तोड़फोड़ जैसी घटनाएं हुईं और हिंसक झड़पों के बीच देश के कई शहरों में दुकानों को बंद रखा गया. इस बीच विपक्ष भी दलितों के समर्थन में उतर आया. कांग्रेस, राजद और वामपंथी पार्टियों ने भी भारतबंद का समर्थन किया. इसके बाद राहुल गांधी ने ट्वीट कर इस बंद को समर्थन दिया.
आगरा में भी तोड़फोड़ हुई, जिसके बाद फोर्स लगानी पड़ी.
बिहार में भीम सेना ने रोके ट्रेनों के पहिए
बिहार के कई जिलों में भीम सेना के नेतृत्व में भारत बंद बुलाया गया था. इस दौरान अररिया, सुपौल, मधुबनी, दरभंगा, जहानाबाद और आरा में कई जगहों पर सड़कों पर जाम लगा दिया गया. कई जगहों पर ट्रेन रोक दी गई और सड़कों पर टायर जलाकर विरोध प्रदर्शन किया गया.
ओडिशा में भी रोकी गई ट्रेन
ओडिशा के संबलपुर में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के विरोध में प्रदर्शनकारियों ने ट्रेन रोकी. जिस कारण कई ट्रेंने प्रभावित हुई हैं.
मध्यप्रदेश में चार की मौत, लगा कर्फ्यू
भारत बंद का असर मध्यप्रदेश में सबसे ज्यादा रहा. मध्यप्रदेश के भिंड, ग्वालियर और मुरैना में कई गाड़ियों को आग के हवाले कर दिया गया. स्थितियां इतनी खराब हो गईं वहां पर पुलिस को फायरिंग करनी पड़ी और कर्फ्यू लगाना पड़ा. भिंड में गोली लगने के एक आदमी की मौत हो गई. इसके अलावा ग्वालियर में दो और मुरैना में एक आदमी की गोली लगने से मौत हुई है. स्थितियां और भी खराब होती देखकर प्रशासन ने इंटरनेट सेवा ठप कर दी है और धारा 144 लगा दी गई है.
राजस्थान में भी कई जगों पर रोकी गई ट्रेन राजस्थान के जयपुर में कई जगहों पर ट्रेन रोककर प्रदर्शन हुए. प्रदर्शन के दौरान हुई पुलिस फायरिंग में एक आदमी की मौत भी हो गई है.
झारखंड में पुलिस ने किया लाठीचार्ज
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