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राज्यपाल एन रवि से PHD छात्रा ने डिग्री नहीं ली, बाद में वजह भी बताई

तमिलनाडु में पीएचडी की एक छात्रा ने राज्यपाल एन रवि के हाथ से डिग्री लेने से मना कर दिया. उसने आरोप लगाया कि राज्यपाल तमिलनाडु के हितों के खिलाफ काम कर रहे हैं.

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पीएचडी छात्रा ने राज्यपाल से डिग्री नहीं ली (India Today)

तमिलनाडु (Tamilnadu News) के मनोनमनियम सुंदरनार विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में एक पीएचडी छात्रा ने राज्यपाल एन रवि के हाथ से डिग्री लेने से मना कर दिया. छात्रा ने कहा कि गवर्नर एन रवि ने तमिलनाडु के हितों के खिलाफ काम किया है. ऐसे में वह उनके हाथों से अपनी डिग्री नहीं लेना चाहती. छात्रा ने अपनी डिग्री विश्वविद्यालय के कुलपति के हाथों से ली और अपने ‘हाव-भाव’ से जताया भी कि गलती से नहीं बल्कि वह जानबूझकर राज्यपाल को ‘दरकिनार’ कर आगे बढ़ गई. 

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इसका एक वीडियो भी सामने आया है. वीडियो में लाइन से छात्राएं अपनी डिग्री राज्यपाल के हाथों से लेते हुए फोटो खिंचवाती हैं. माइक्रो फाइनेंस में पीएचडी करने वाली जीन जोसेफ भी इस कतार में थीं लेकिन जब इनका नंबर आया तो वह राज्यपाल को पूरी तरह से 'नजरअंदाज' करते हुए आगे बढ़ गईं और उनके बगल में खड़े विश्वविद्यालय के कुलपति के हाथों से डिग्री ली. 

राज्यपाल को पहले लगा कि ये गलती से हुआ है और वह इसके बाद भी छात्रा से बात करने की कोशिश करते हैं लेकिन छात्रा ने अपने हाव-भाव से जाहिर किया कि वह ऐसा जानबूझकर कर रही है. इसके बाद राज्यपाल भी स्वीकृति में सिर हिलाते दिख रहे हैं. 

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बाद में छात्रा जीन जोसेफ ने बताया कि उन्होंने ऐसा जानबूझकर क्यों किया?

जोसेफ ने कहा, 

आरएन रवि तमिलनाडु और उसके लोगों के खिलाफ हैं. उन्होंने तमिल लोगों के लिए कुछ नहीं किया है. मैं उनके हाथ से अपनी डिग्री नहीं लेना चाहती थी.   

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एनडीटीवी से बात करते हुए विश्वविद्यालय के एक वरिष्ठ प्रोफेसर कहा, 

हमें लगा कि वह कुलपति की छात्रा है और उनसे ही डिग्री लेना चाहती है. बाद में हमें एहसास हुआ कि उसने ऐसा जानबूझकर किया था.

पॉलिटिक्स में विरोध की वजह?

जीन जोसेफ के इस सांकेतिक विरोध की जड़ें तमिलनाडु की राजनीति से जुड़ी लगती हैं. दरअसल, उनके पति राजन सत्ताधारी द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके) के कार्यकर्ता हैं. वह पार्टी के पदाधिकारी भी हैं. डीएमके सरकार की राज्यपाल एन रवि से बनती नहीं है. पार्टी का मानना है कि एन रवि तमिलनाडु विधानसभा में पारित विधेयकों को मंजूरी देने में जानबूझकर देरी करते हैं और निर्वाचित सरकार के रास्ते में बाधाएं पैदा करते हैं. डीएमके का ये भी आरोप है कि वह राज्य में समानांतर सरकार चलाने की कोशिश करते हैं.

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