एक और प्राइवेट बैंक संकट में घिर गया है. नाम है, लक्ष्मी विलास बैंक. ये बैंक लंबे समय से वित्तीय संकट से जूझ रहा है. भारतीय रिजर्व बैंक ने हालात को संभालने के लिए इस बैंक से पैसे निकालने की लिमिट तय कर दी है. फिलहाल एक महीने तक लक्ष्मी विलास बैंक के ग्राहक सिर्फ़ 25,000 रूपये ही निकाल सकेंगे. हालांकि इलाज, एजुकेशन फीस और शादी जैसे कामों के लिए ज्यादा रकम भी निकाली जा सकेगी, लेकिन रिजर्व बैंक से अनुमति लेनी होगी. रिजर्व बैंक ने भरोसा दिलाया है कि बैंक में जमा लोगों का पैसा सुरक्षित है, घबराने की जरूरत नहीं है.
The Lakshmi Vilas Bank Ltd. placed under Moratoriumhttps://t.co/wW8DaBygJX
— ReserveBankOfIndia (@RBI) November 17, 2020
क्यूं लगाया ये मोरेटोरियम?
कुछ महीने पहले की बात है, जब एक प्राइवेट बैंक, ‘यस बैंक’ और एक को-ऑपरेटिव बैंक, PMC पर सरकार ने ऐसी ही निकासी की सीमा तय कर दी थी. हालांकि दोनों ही कंपनियों की स्थिति अब बिल्कुल अलहदा है. जहां यस बैंक ने इस क्वार्टर में प्रॉफ़िट दिखाया है, वहीं PMC के ग्राहक आज भी RBI या PMC बैंक की किसी शाखा के आगे नारे लगाते हुए दिख जाते हैं.

मतलब ये कि हर बार ऐसी रोक या पाबंदी लगा देने का मतलब ये नहीं कि खाताधारकों में डर फैल जाए कि उनके पैसे डूब जाएंगे. RBI ने प्रेस रिलीज में भी कहा है कि ये रोक अस्थाई है. इसलिए भी क्यूंकि लक्ष्मी विलास बैंक का एक अन्य बैंक DBS Bank India Ltd (DBIL) के साथ एकीकरण होने जा रहा है. ऐसे में 17 नवंबर से 16 दिसंबर तक लक्ष्मी विलास बैंक को मोरेटोरियम में रखा जा रहा है. यानी सिर्फ़ एक महीने के लिए इस पर पाबंदियां लगाई गई हैं. इसकी पूरी शर्तें यहां पढ़ सकते हैं.
RBI ने ये भी बताया कि केनरा बैंक के पूर्व गैर कार्यकारी अध्यक्ष टी.एन. मनोहरन को लक्ष्मी विलास बैंक कंपनी का प्रशासक नियुक्त किया गया है.
Supersession of the Board of Directors – Appointment of Administrator – The Lakshmi Vilas Bank Ltdhttps://t.co/x8Hc5SdFzj
— ReserveBankOfIndia (@RBI) November 17, 2020
बैंक के संकट में घिरने की वजह क्या है?
RBI ने अपने बयान में कहा कि लक्ष्मी विलास बैंक कंपनी एक्ट 1956 के तहत रजिस्टर्ड एक प्राइवेट लिमिटेड बैंकिंग कंपनी है. RBI ने आगे कहा-
पिछले कुछ समय से (लक्ष्मी विलास बैंक) इसकी वित्तीय स्थिति तेजी से बिगड़ रही है. लिक्विडिटी, पूंजी और अन्य महत्वपूर्ण मापदंडों पर बैंक सही से परफॉर्म नहीं कर पा रहा है. पूंजी जुटाने के लिए भी बैंक के पास कोई कोई विश्वसनीय योजना नहीं है. ऐसे में सार्वजनिक और जमाकर्ताओं के हित में भारतीय रिजर्व बैंक को तत्काल कार्रवाई करने की आवश्यकता पड़ी है.
लक्ष्मी विलास बैंक के बारे में जान लीजिए
DBIL सिंगापुर की फ़ाइनेंस कंपनी DBS की सब्सिडियरी है. RBI के प्रेस नोट के हिसाब से DBS एशिया की कुछ सबसे बड़ी फ़ाइनेंस कंपनियों में से एक है.
वहीं, लक्ष्मी विलास बैंक कोई नया बैंक नहीं है. इसको लगभग 100 साल होने वाले हैं. मतलब ये आज़ादी से भी कई साल पहले 3 नबंबर, 1926 में स्थापित हो गया था. तमिलनाडु के करूर शहर में.
लक्ष्मी विलास बैंक की आधिकारिक वेबसाइट के मुताबिक, इसकी देशभर में 563 शाखाएं हैं. इनमें सात वाणिज्यिक बैंकिंग शाखाएं और एक सैटेलाइट ब्रांच है. बैंक के कुल 974 एटीएम लगे हैं. लक्ष्मी विलास बैंक का दावा है कि भारत के 16 राज्यों और तीन केंद्र शासित प्रदेशों में उसकी मौजूदगी है
521.91 करोड़ के मार्केट कैप वाला ये बैंक न केवल जमाकर्ताओं बल्कि अपने शेयर होल्डर्स के लिए भी अंधा कुआं साबित हुआ है. जुलाई 2017 में इसका एक शेयर 190 रूपये के क़रीब था, जो अब 15.60 पर है. और सबसे बड़े दुख की खबर तो ये है कि DBS के साथ जुड़ जाने के बाद, लक्ष्मी विलास बैंक के शेयर होल्डर्स को कुछ नहीं मिलेगा. मतलब उनके पास पड़े शेयर की वैल्यू ज़ीरो हो जाएगी.
वीडियो देखें: यस बैंक: इन गलतियों की वजह से RBI ने की कार्रवाई