GDP यानी सकल घरेलू उत्पाद. आसान भाषा में कहें तो देश में इकॉनमी की हालत आंकने का एक अहम पैमाना. शुक्रवार 27 नवंबर को इसके आंकड़े आए.वित्त वर्ष2020-21की दूसरी तिमाही (Q2) के.मतलब जुलाई–अगस्त–सितंबर के. इसके एनालिसिस से पहले आपको आंकड़े बता देते हैं.
वित्त वर्ष 2020-21 की दूसरी तिमाही में GDPकी विकास दर रही माइनस में सात दशमलव पांच प्रतिशत (-7.5%).
विकास दर माइनस में है, तो इसका मतलब है कि GDPकी ग्रोथ नहीं हो रही, वो डूब रही है.अंग्रेज़ी में इसके लिए एक शब्द है, कॉन्ट्रैक्शन.मतलब सिकुड़ना.यानी यूं भी कहा जा सकता है किGDP 7.5% की दर से सिकुड़ गई है.
लगातार दो तिमाही में नेगेटिव ग्रोथ का मतलब होता है टेक्निकल रिसेशन. मतलब कि इस डेटा के बाद अब भारत आधिकारिक रूप से मंदी की गिरफ़्त में आ चुका है.
ये हैं सेक्टरवाइज़ आंकड़े. कुछ प्लस में हैं, कुछ माइनस में. इसलिए हमने सभी आंकड़ों से पहले प्लस या माइनस लगाया है ताकि कोई कंफ़्यूजन न रहे –
#एग्रीकल्चर ग्रोथ+3.4%रही.इसका मतलब की भारत ने कृषि के क्षेत्र में विकास किया है.पिछले क्वार्टर में जब बाकी सारे सेक्टर्स माइनस में थे,तब भी सिर्फ़ एग्रिकल्चर सेक्टर प्लस में था.और तब भी ये ग्रोथ+3.4%ही रही थी.
#माइनिंग की ग्रोथ-9.1%रही.पिछले क्वार्टर में ये-23.3थी.यानी इस तिमाही में इस सेक्टर में भी काफ़ी सुधार देखा गया.हालांकि ये अब भी माइनस में ही है.
# कन्स्ट्रक्शन की ग्रोथ-8.6%रही.इसका ज़िक्र करना इसलिए ज़रूरी है क्यूंकि पिछली तिमाही में इसपर ही सबसे ज़्यादा लॉकडाउन का असर पड़ा था और ये-50.3तक जा पहुंची थी.
#पॉवर और इलेक्ट्रिसिटी ग्रोथ+4.4%रही.पावर और इलेक्ट्रिसिटी पिछली तिमाही में माइनस में थीं माइनस सात प्रतिशत(-7%).अबकी प्लस में हैं.
# सबसे नीचे रहा ट्रेड एंड होटल्स सेक्टर.जिसकी ग्रोथ-15.6%रही.ये-15.6 फीसदी की कमी होटल और ट्रेड सेक्टर में समझ में आती है.कारण ये है कि बेशक लॉकडाउन खुल गया हो,लेकिन कोविड-19से देश का अब भी बुरा हाल है.अब भी कोई घूमने फिरने की नहीं सोच रहा.सोच भी रहा तो भी कितने तो रिस्ट्रिक्शन्स हैं.
# इसके अलावा,मैन्यूफ़ेक्चरिंग की ग्रोथ+0.6%रही और फ़ाइनेंस,इंश्योरेंस,रियल्टी, की ग्रोथ-8.1%रही.
# सिल्वर लाइनिंग-
किसी बुरी ख़बर के बीच में अगर कोई छोटी–मोटी अच्छी ख़बर भी छुपी हो तो उसे कहते हैं, ‘सिल्वर लाइनिंग‘.तोGDPके कॉन्ट्रैक्शन की बुरी ख़बर की सिल्वर लाइनिंग ये है कि ये आंकड़े पिछली बार की तुलना में फिर भी बेहतर हैं.पिछली बार,यानी वित्त वर्ष2020-21की पहली तिमाही मेंGDPकी विकास दर-23.90थी.यूं विकास तो न तब हुआ था,न अब हुआ है.लेकिनGDPका सिकुड़ना कम ज़रूर हो गया.
GDPके बारे मेंRBIने पूर्वानुमान लगाते हुए कहा था कि दूसरे क्वार्टर में इसके-8.6%रहने की संभावना है.कमोबेश सभी विशेषज्ञों का ये कहना था कि-23.9% GDPकॉन्ट्रैक्शन के बाद देश ने उम्मीद से अच्छी रिकवरी की है.
GDP इससे पहले 2019-20की चौथी तिमाही में अंतिम बार पॉज़िटिव रही थी. यानी दो तिमाही मतलब 6 महीने पहले. लेकिन तब भी वो बहुत कम थी. 3.1प्रतिशत.
इसी तिमाही में पिछले साल, यानी ‘FY 2019-20, Q2’ में GDP की विकास दर रही थी 4.5 प्रतिशत. प्लस में.

पिछले पूरे साल,यानी2019-20की वार्षिक जीडीपी4.2प्रतिशत आंकी गई थी.तब कोविड-19का नामोनिशान न होने के बावज़ूदGDPके इतने कम होने पर केंद्र सरकार की ख़ूब आलोचना हुई थी.ऑटो सेक्टर की हालत ख़स्ता हुई पड़ी थी. इस सेक्टर में लगी आंच बाक़ी सेक्टर्स में भी फैलने ही वाली थी.लेकिन इससे पहले ही कोविड आ गया और अर्थ जगत का पूरा जंगल जलकर राख हो गया. हालांकि उम्मीद है कि आगे ये जंगल फिर से आबाद होगा.
किसने क्या कहा?
वित्त मंत्रालय के आधिकारिक अकाउंट से 7 ट्वीट की एक ऋंखला में टिप्पणी दी गई है. जिसका सार कुछ यूं है-
आर्थिक दिक़्क़तें प्राथमिक तौर पर कोविड 19 की वजह से हैं. लेकिन अच्छी खबर ये है कि कोविड के मामले लगातर घट रहे हैं. वो भी कम टेस्टिंग के वजह से नहीं बल्कि बीमारी के कम फैलाने की वजह से. आर्थिक सुधारों की गति को बनाए रखने के लिए सावधानी बरतना आवश्यक है. उत्पादन (की दर) अब पॉज़िटिव हो गई है. (मैन्यूफ़ेक्चरिंग की ग्रोथ +0.6% रही है, जो पहले ऋण में थी.) यूज़र-बेस्ड इंडस्ट्री में V शेप रिकवरी देखी जा रही है. (मतलब जितनी तेज़ी से गिरी थी उतनी तेज़ी से बढ़ी है.) 2 तिमहियों के संकुचन के बाद कॉर्पोरेट सेक्टर भी फिर से पटरी पर आ गया है. जिस तरह से स्टील का निर्माण और खपत हो रही है, उससे अन्दाज़ लगाया जा सकता है कि कंस्ट्रकशन सेक्टर भी गति पकड़ रहा है.
Q2 GDP at –7.5% buttresses recovery as captured by several high frequency indicators. Economic impact is primarily due to #COVID19, good news is falling daily cases are due to lower transmission & not due to lower testing. To sustain economic recovery, caution must continue.(1/7) pic.twitter.com/u0bLxTEztU
— Ministry of Finance (@FinMinIndia) November 27, 2020
वित्त मंत्रालय की तरह ही मुख्य आर्थिक सलाहकार के वी सुब्रमण्यम ने भी गिरती हुईGDPका ठीकरा कोविड-19के सर पर फोड़ दिया.उन्होंने माना कि जीडीपी के रुझान आशा से अधिक उत्साहवर्धक हैं.उन्होंने कहा–
अर्थजगत में फैली ये अनिश्चितता,कोविड-19के चलते है.इसलिए मैं आने वाली सर्दियों में खास सावधानी का आग्रह करता हूं.ये7.5%का कॉन्ट्रैक्शन,एक तरह से पिछली तिमाही के23%का रीबाउंड है.भारत के इतिहास में पहली बार हम एक टेक्निकल रिसेशन में प्रवेश कर रहे हैं.भारतीय अर्थव्यस्था ने फ़रवरी2020में गति पकड़ ली थी,जिसमें कोरोना वायरस की वज़ह से अंकुश लगा.
सुब्रमण्यम के अनुसार लगभग सभी क्षेत्रों मेंV-शेप रिकवरी का पैटर्न देखा जा सकता है.उन्होंने कहा–
खास तौर पर कैपिटल और इन्फ्रास्ट्रक्चर सेक्टर्स की ग्रोथ उत्साहवर्धक रही है.
उनका ये भी अनुमान है कि खाद्य–पदार्थों की मुद्रास्फीति तीसरी तिमाही तक गिर सकती है.उन्होंने आश्वासन दिया कि सरकार सभी प्रकार के वित्तीय सहयोग प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है.
जीडीपी आंकड़ों पर कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा,
पीएम मोदी के अधीन भारत की अर्थव्यवस्था आधिकारिक रूप से पहली बार मंदी में है. सबसे ज़रूरी बात, तीन करोड़ लोग आज भी मनरेगा के तहत काम देख रहे हैं. अर्थव्यवस्था की वृद्धि फरमान जारी कर नहीं हो सकती. प्रधानमंत्री को पहले ये बुनियादी बात समझने की ज़रूरत है.
Under PM Modi, India’s economy is officially in a recession for the first time ever.
More importantly, 3 crore people are still looking for work under MNREGA.
Economy cannot be ordered to grow by diktats. PM needs to first understand this basic idea.
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) November 27, 2020
कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा,
अब ये आधिकारिक है. भारत मंदी में है, जिसका मतलब है लगातार दो तिमाहियों में जीडीपी का सिकुड़ना. इसका शिलान्यास 8 नवंबर, 2016 को सर्वज्ञानी की तरफ से किया गया था.
Well, it is official now. India is in recession which means two consecutive quarters of CONTRACTION of GDP. The shilanyas for this was of course laid by the Sarvagyani on national TV on the night of Nov 8 2016. https://t.co/RjxLMvq9R3
— Jairam Ramesh (@Jairam_Ramesh) November 27, 2020
# क्या होती है जीडीपी?
जीडीपी को हिंदी में कहते हैं सकल घरेलू उत्पाद. सकल का मतलब सभी. घरेलू माने घर संबंधी. यहां घर का आशय देश है. उत्पाद का मतलब है उत्पादन. प्रोडक्शन. कुल मिलाकर देश में हो रहा हर तरह का उत्पादन. उत्पादन कहां होता है? कारखानों में, खेतों में. कुछ साल पहले इसमें शिक्षा, स्वास्थ्य, बैंकिंग और कंप्यूटर जैसी अलग-अलग सेवाओं यानी सर्विस सेक्टर को भी जोड़ दिया गया. इस तरह उत्पादन और सेवा क्षेत्र की तरक्की या गिरावट का जो आंकड़ा होता है, उसे जीडीपी कहते हैं. इसके बारे में विस्तार से यहां पढ़ सकते हैं.

जीडीपी की गणना हर तिमाही होती है. जिम्मेदारी मिनिस्ट्री ऑफ स्टेटिस्टिक्स ऐंड प्रोग्राम इम्प्लीमेंटेशन के तहत आने वाले सेंट्रल स्टेटिस्टिक्स ऑफिस की. यानी हर तीन महीने में देखा जाता है कि देश का कुल उत्पादन पिछली तिमाही की तुलना में कितना कम या ज्यादा है. भारत में कृषि, उद्योग और सेवा तीन अहम हिस्से हैं, जिनके आधार पर जीडीपी तय की जाती है. इसके लिए देश में जितना भी प्रोडक्शन होता है, जितना भी व्यक्तिगत उपभोग होता है, व्यवसाय में जितना निवेश होता है और सरकार देश के अंदर जितने पैसे खर्च करती है उसे जोड़ दिया जाता है. इसके अलावा कुल निर्यात (विदेश के लिए जो चीजें बेची गईं है) में से कुल आयात (विदेश से जो चीजें अपने देश के लिए मंगाई गई हैं) को घटा दिया जाता है. जो आंकड़ा सामने आता है, उसे भी ऊपर किए गए खर्च में जोड़ दिया जाता है. यही हमारे देश की जीडीपी है.
# जीडीपी क्यों ज़रूरी है?
जीडीपी किसी देश के आर्थिक विकास का सबसे बड़ा पैमाना है. अधिक जीडीपी का मतलब है कि देश की आर्थिक बढ़ोतरी हो रही है. अगर जीडीपी बढ़ती है तो इसका मतलब है कि अर्थव्यवस्था ज्यादा रोजगार पैदा कर रही है. इसका ये भी मतलब है कि लोगों का जीवन स्तर भी आर्थिक तौर पर समृद्ध हो रहा है. इससे ये भी पता चलता है कि कौन से क्षेत्र में विकास हो रहा है और कौन सा क्षेत्र आर्थिक तौर पर पिछड़ रहा है.
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