हमारा लोकतंत्र, जिस पर हमें अगाध गर्व है, वह धीरे-धीरे भीड़तंत्र में तब्दील हो रहा है. झारखंड में बच्चा-चोरी की अफवाहों पर दो जगह उग्र भीड़ का 6 लोगों की पीट-पीटकर हत्या करना हो या राजस्थान के अलवर में पहलू खान का पक्ष जाने बिना उनकी हत्या या देश में मॉब-लिंचिंग की दूसरी घटनाएं. हम लोकतंत्र से भीड़तंत्र में बदलते जा रहे हैं! भीड़ शरारती और उग्र हो गई है. भीड़ यह नहीं देखती कि कौन किस पद पर है, कौन गलत है, कौन सही है; बस शक के आधार पर भीड़ का गुस्सा उबाल मार जाता है और भीड़ हमला कर देती है.
मॉब-लिंचिंग का ऐसा ही एक और मामला सामने आया है. यूपी में पूर्व IAS अधिकारी सूर्य प्रताप सिंह के घर पर रात साढ़े दस और फिर डेढ़ बजे ‘शराब के नशे में धुत्त भगवा गमछाधारी गुंडों ने रायफल और बंदूकों के साथ हमला करने की कोशिश की.’

सूर्य प्रताप का कहना है कि उन्होंने ’29 मई को शिवसेना के पूर्व विधायक और माफिया गौरव उपाध्याय की गाड़ी पर लिखे ‘बाहुबली’ की फोटो ली थी. इस पर उपाध्याय के गुर्गों ने आक्रोश जताया.’ उनके फोटो खींचने पर गाड़ी में सवार लड़कों ने उन्हें रोककर आक्रोश जताया. सूर्य प्रताप मानते हैं कि उनके घर पर हमले की कोशिश उनके फोटो खींचने का नतीजा है.

सूर्य प्रताप 2014 में अपने पद से रिटायर हो गए थे. उन्हें जानने वाले उन्हें एक अक्खड़-मिजाज अधिकारी बताते हैं, जो हर चीज सही और नियमों के मुताबिक देखना चाहते हैं. एक वक्त में मुलायम और अखिलेश के करीबी रहे सूर्य प्रताप का दावा है कि यूपी विधानसभा चुनाव में इन्होंने बीजेपी का समर्थन किया.
फोटो खींचने वाली घटना और अपने घर पर हुए हमले की जानकारी देते हुए सूर्य प्रकाश ने फेसबुक पर एक पोस्ट लिखा, जिसमें उन्होंने सूबे में लॉ ऐंड ऑर्डर की हालत पर चिंता जताते हुए मुख्यमंत्री योगी पर सवाल उठाए.
अपने ही घर में हमले का शिकार हुए सूर्य प्रताप लिखते हैं, ‘ठीक है. यदि मुझे मारकर भ्रष्टाचारियों का काम चल जाता है, तो मार लो! मेरे बच्चे/परिवार को ऊपर वाला देख लेगा.’ उनकी ये बात उनकी लाचारी दिखाती है कि कोई इंसान भीड़ के आगे किस तरह बेबस हो जाता है. उस समय उसके सही या गलत होने को कोई नहीं पूछता. फिर अगर उसे इंसाफ भी न मिले, तो वह ऊपर देखने के अलावा क्या करेगा.
हाल ही में दिल्ली में भी ऐसा ही एक मामला सामने आया था, जब एक ई-रिक्शावाले ने सड़क पर पेशाब कर रहे दो लोगों को टोका, तो उन लोगों ने रिक्शेवाले को पीट-पीटकर मार डाला. कल को वो रिक्शावाला जितना बेबस था, आज सूर्य प्रताप भी उतने ही बेबस हैं, कल को आप भी इतने ही लाचार हो सकते हैं. ये वो दौर है, जब कोई सूर्य प्रताप का आई-कार्ड देखने की ज़हमत भी नहीं उठाएगा.

कुछ ही दिनों पहले सूर्य प्रताप ने सीएम योगी के काम की तारीफ की थी. उन्होंने अधिकारियों पर आरोप लगाते हुए कहा था कि योगी में दम है, लेकिन उनके खिलाफ साजिश हो रही है. सूर्य प्रताप के मुताबिक यूपी में अपराध कम न होने के पीछे तीन कारण हैं: पुलिस की अक्षमता, राजनीतिकरण और पिछली सरकार के चहेते अधिकारियों की अधूरी प्रतिबद्धता.
सूर्य प्रताप का एक वीडियो भी सामने आया है, जिसमें वह पुलिस थाने में FIR लिखवाने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन पुलिस आनाकानी करती दिख रही है. इस बात की पुष्टि अभी तक नहीं हुई है कि FIR दर्ज की गई या नहीं. देखिए वीडियो:
यह स्टोरी दी लल्लनटॉप के साथ इंटर्नशिप कर रहे अशोक ने लिखी है.
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