14 फरवरी यानी वैलेंटाइन्स डे. दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के लिए ये दिन कुछ खास नहीं रहा है. तीन मौकों पर इस दिन उनके साथ कुछ ना कुछ घटा है, जो ज्यादातर अच्छा नहीं रहा है. आइए देखते हैं केजरीवाल का वैलेंटाइन डे कनेक्शन:
1. 14 फरवरी 2014: मुख्यमंत्री पद से इस्तीफ़ा:
14 जनवरी 2014. अरविंद केजरीवाल 49 दिन से दिल्ली के मुख्यमंत्री थे. लेकिन फिर वैलेंटाइन्स डे पर उन्होंने इस्तीफ़ा दे दिया. उन्होंने ये कदम जन लोकपाल बिल पास ना करा पाने के कारण उठाया था. जन लोकपाल बिल एक ऐसी संस्था थी जो सरकारी अधिकारियों पर भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच और दोषी पाए जाने पर कार्रवाई करता. दिल्ली में अरविंद केजरीवाल और उनके साथियों ने अन्ना हजारे के नेतृत्व में लोकपाल के लिए आंदोलन चलाया था. 2013 में आंदोलन की लहर में दिल्ली विधानसभा के चुनाव हुए केजरीवाल की आम आदमी पार्टी ने 70 में से 28 सीटें जीतीं. इस चुनाव में केजरीवाल ने 3 बार से दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित को हराया था. बीजेपी 31 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बनी. केजरीवाल को सरकार बनाने का मौका मिला. कांग्रेस ने केजरीवाल की सरकार को समर्थन दिया. लेकिन जब विधानसभा में लोकपाल बिल पास नहीं करा पाए तो केजरीवाल ने इस्तीफ़ा दे दिया.

2. 14 फरवरी 2015: मुख्यमंत्री पद की शपथ:
14 फरवरी 2015. इस तारीख से ठीक एक साल पहले केजरीवाल ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफ़ा दिया था. दोबारा चुनाव हुए और इस बार केजरीवाल को 70 में से 67 सीटें मिलीं. बची हुई तीन सीटें भाजपा के खाते में गईं. मुख्यमंत्री की शपथ के लिए तारीख तय हुई 14 फरवरी. जगह थी दिल्ली का रामलीला मैदान. वही मैदान जहां भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलन चलाया गया था. ये वाला वैलेंटाइन केजरीवाल के लिए अच्छा रहा था. इसके बाद उनके लिए वैलेंटाइन पर टेंशन बढ़ने वाली थी.

3. 14 फरवरी 2019: उपराज्यपाल और मुख्यमंत्री के बीच लड़ाई का फैसला:
दिल्ली में राज्यपाल और मुख्यमंत्री के बीच लड़ाई बहुत पुरानी है. नजीब जंग से शुरू हुई इस बहस में अब अनिल बैजल भी शामिल हो गए हैं. ताजा मामला था अधिकारियों की नियुक्ति को लेकर. केजरीवाल का आरोप है कि LG केंद्र के इशारे पर काम करते हैं. उनकी सरकार में अडंगा डाल रहे हैं. केजरीवाल ने ये भी कहा कि उन्हें अफसरों की नियुक्ति और तबादले की पावर नहीं है. 14 फरवरी को अपने फैसले में जस्टिस सीकरी और जस्टिस भूषण की बेंच ने कहा कि दिल्ली की एंटी करप्शन ब्रांच पर केंद्र का कंट्रोल है. ACB के साथ-साथ कमीशन ऑफ़ इन्क्वायरी भी केंद्र के अधीन आती है. 14 फरवरी 2019 को जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस ए के सीकरी की बेंच ने फैसला दिया जो ना केजरीवाल के पक्ष में कहा जा सकता है और ना ही उनके खिलाफ. इस मुद्दे को हालांकि अब बड़ी बेंच को सौंपा जाएगा जहां उम्मीद है कि बहुमत से इसका फैसला किया जाएगा. फ़िलहाल केजरीवाल को कोर्ट का ये फैसला ‘असंवैधानिक’ और ‘अलोकतांत्रिक’ लग रहा है. 14 फरवरी को इतना सब होने के बाद केजरीवाल चाहेंगे कि वो 13 फरवरी को सोएं और 15 फरवरी को उठें.
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