11 जनवरी, 2019. राजधानी दिल्ली का रामलीला मैदान. पूरी बीजेपी और केंद्र सरकार दो दिनों के लिए इसी रामलीला मैदान में है. 11 जनवरी और 12 जनवरी को. बीजेपी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के लिए. सारे बड़े नेता मौजूद थे. भाषण देने के लिए आए अमित शाह. बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष. नेताओं और कार्यकर्ताओं को मोटिवेट कर रहे थे. 2019 के चुनाव के लिए तैयार कर रहे थे. राहुल-सोनिया से लेकर सारे विपक्षी नेताओं की बखिया उधेड़ रहे थे. लेकिन बीजेपी अध्यक्ष से एक मिस्टेक हो गई. हो सकता है गलती से हुई हो. लेकिन संभावना इस बात की ज्यादा है कि इसकी वजह वायरल पोस्ट हो. या फिर अखबार की एक कतरन, जो खूब वायरल हुई.
एक वायरल पोस्ट में दावा किया गया था
मोदी के 4.5 साल का शासन
61 आम लोग मरे
200 जवान शहीद ओर
1701 आतंकी मारे
और
मनमोहन सिंह का 10 साल का शासन
1788 आम लोग मरे
1177 जवान शहीद ओर सिर्फ
241 आतंकी मारे
अब देश बताये कौन है देश का असली सुरक्षा कवच और रक्षक जिस पर भारत भरोसा करे.
ये वायरल मैसेज की लाइन है. और इसी को बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने भी दोहरा दिया रामलीला मैदान से. कार्यकर्ताओं से कहा कि हमारी सरकार में दोगुने से ज्यादा आतंकियों का सफाया हुआ है.
70 साल से देश एक ऐसी सरकार चाहता था जिसके लिए सुरक्षा प्राथमिकता हो और 2014 में मोदी सरकार के रूप में देश को ऐसी सरकार मिली।
प्रधानमंत्री मोदी जी के नेतृत्व में आतंकवाद, नक्सलवाद और माओवाद में अभूतपूर्व गिरावट आयी है और आतंकवादियों को मार गिराने में 218% की वृद्धि हुई है। pic.twitter.com/XacBOxHv14
— Amit Shah (@AmitShah) January 11, 2019
अब बीजेपी अध्यक्ष बोल रहे हैं, तो कार्यकर्ताओं को तो भरोसा करना ही था. लेकिन हम नहीं कर पाए. इसकी वजह ये थी कि कुछ ही दिन पहले हमारे पास ऐसा मैसेज आया था. हमने इसकी पड़ताल की थी और पाया था कि ये मैसेज गलत है. कैसे गलत है, वो हम आपको बता दे रहे हैं.

20 दिसंबर, 2017 को समाजवादी पार्टी से पूर्व राज्यसभा सदस्य नरेश अग्रवाल ने गृह मंत्रालय से 3 सवाल पूछे थे. पहले सवाल में पूछा गया था कि क्या ये सच है कि नई सरकार के आने के बाद कश्मीर घाटी में शहीद होने वाले सुरक्षाबलों के जवानों की संख्या बढ़ गई है. दूसरे सवाल में पूछा कि अगर ये सच है तो ऐसा क्यों है. और तीसरे सवाल में कश्मीर घाटी में हुई सभी आतंकी घटनाओं और उनमें शहीद हुए सुरक्षाकर्मियों की संख्या पूछी गई थी. इन सवालों के जवाब में गृह मंत्रालय ने साल 2004 (जिसमें मई तक अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार थी) से 14 दिसंबर, 2017 तक के आंकड़े दिए थे. और ये सारे आंकड़े दो डॉक्यूमेंट्स की शक्ल में गृह मंत्रालय की वेबसाइट पर मौजूद हैं.
ये आंकड़े बताते हैं कि सबसे ज्यादा आतंकी घटनाएं 2004 में हुईं थीं. इनकी संख्या थी 2565. आतंकी मारे गए थे 976. इसके बाद 2013 तक संख्या लगातार कम होती रही. 2013 में सिर्फ 67 आतंकी मारे गए. लेकिन इसके बाद फिर बढ़ोतरी शुरू हो गई. 2014 में 110 आतंकी, 2015 में 108 आतंकी, 2016 में 150 आतंकी और 2017 में 206 आतंकी मारे गए थे. पूरी लिस्ट देख लीजिए.

ये तो रही सरकारी लिस्ट. अब साउथ एशिया टेररिज्म पोर्टल को भी देख लीजिए. इसमें साल 2004 से साल 2018 तक भारत में हुई सभी आतंकी घटनाओं और उनमें शहीद हुए सैनिकों और मारे गए आतंकियों और आम नागरिकों का डेटा है.

और अब अगर इसी केंद्र सरकार की बात मानें तो यूपीए के पहले कार्यकाल में 2004 से 2009 तक 3,295 आतंकी मारे गए. दूसरे कार्यकाल यानि कि 2009 से 2014 तक 710 आतंकी मारे गए. 2014 से 2018 तक 581 आतंकी मारे गए. अब अगर किसी के लिए 710 का दोगुना 581 होता है, तब तो कोई बात नहीं. लेकिन गणित की थोड़ी सी भी समझ रखने वाले के लिए तो 710 का दोगुना 1420 होता है. इसलिए ये दावा तो गलत ही है कि मोदी सरकार में मनमोहन सरकार की तुलना में दोगुने आतंकी मारे गए. हां एक चीज है. और वो ये कि यूपीए के पहले कार्यकाल की तुलना में मोदी सरकार के इस कार्यकाल में जवान कम शहीद हुए हैं और ये एक उपलब्धि है. हालांकि उपलब्धि मनमोहन सरकार की भी रही थी, जब दूसरे कार्यकाल में शहीद होने वाले जवानों की संख्या कम हो गई थी. 2004 से 2009 तक 806 जवान, 2009 से 2014 तक 249 जवान और 2014 से 2018 तक 248 जवान शहीद हुए थे.