अफगानिस्तान की एक महिला सांसद हैं रंगीना करगर (Rangina Kargar). इन्होंने भारत पर गंभीर आरोप लगाए हैं. इनका दावा है कि इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट से उन्हें वापस डिपोर्ट कर दिया गया. 15 अगस्त को काबुल पर तालिबान के कब्जे के पांच दिन बाद वह दिल्ली पहुंची थीं, जहां से 20 अगस्त को उन्हें वापस भेज दिया गया. उनका आरोप है कि उनके साथ अपराधियों जैसा सलूक किया गया. उन्होंने कहा कि मुझे गांधी के भारत से ऐसी उम्मीद नहीं थी.
‘राजनयिक पासपोर्ट था सांसद के पास’
द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, अफगानी की सांसद रंगीना करगर ने दावा किया कि 20 अगस्त को वह इस्तांबुल से दुबई की फ्लाइट से दिल्ली आई थीं. उनके पास राजनयिक पासपोर्ट था, जो भारत के साथ समझौते के तहत बिना वीजा की यात्रा की सुविधा देता है. वह इस पासपोर्ट पर कई बार भारत आ चुकी हैं. लेकिन इस बार इमिग्रेशन अधिकारियों ने उन्हें इंतजार करने के लिए कहा. जब उन्होंने रोके जाने की वजह पूछी तो अधिकारियों ने कहा कि उन्हें अपने सीनियर्स से बात करनी होगी. रंगीना ने इंडियन एक्सप्रेस से दावा किया कि करीब दो घण्टे तक रोके जाने के बाद, उन्हें उसी एयरलाइन से वापस दुबई के रास्ते से इस्तांबुल भेज दिया गया.
रंगीना करगर ने आरोप लगाते हुए कहा कि,
“मेरे साथ जो भी हुआ, गलत हुआ. काबुल में हालात बदल चुके हैं. मुझे उम्मीद थी कि भारत सरकार अफगान की महिलाओं की मदद करेगी. मेरा पासपोर्ट भी मुझे दुबई में नहीं बल्कि इस्तांबुल में वापस मिला. मेरे साथ अपराधियों जैसा व्यवहार हुआ है.“
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, रंगीना करगर को डिपोर्ट करने के दो दिन बाद अफगान के दो सिख सांसदों का भारत में स्वागत किया गया. ये थे नरिंदर सिंह खालसा और अफगानी महिला सांसद अनारकली कौर होनारयार. अनारकली कौर अफगान की पहली महिला सिख सांसद हैं. इनके भारत आने पर रंगीना करगर ने कहा कि वे उड़ानें भारतीयों और अफगान भारतीयों के लिए थीं, अफगानियों के लिए नहीं.”
अफगानिस्तान की महिला सांसद रंगीना करगर ने कहा कि गांधी के भारत से मुझे ऐसी उम्मीद न थी. (फोटो: साभार ट्विटर)
‘गांधी के भारत से ये उम्मीद नहीं थी’
रंगीना करगर का कहना था कि 20 अगस्त को साउथ दिल्ली में एक डॉक्टर के पास उनका अपॉइंटमेंट था, और 22 अगस्त को इस्तांबुल का वापसी टिकट था. वह अकेली ही भारत आई थीं. उनके पति और चार बच्चे इस्तांबुल में ही थे.
रंगीना ने अपना दुख जाहिर करते हुए कहा,
“मैंने गांधी के भारत से ये उम्मीद कभी नहीं की थी. हम भारत के हमेशा दोस्त रहे. हमारे बीच रणनीतिक और ऐतिहासिक रिश्ते रहे हैं. लेकिन इस बार उन्होंने एक महिला और सांसद के साथ ऐसा बर्ताव किया. मुझसे एयरपोर्ट पर कहा कि माफ कीजिए हम आपकी कोई मदद नहीं कर सकते.”
इस मामले पर खबर लिखे जाने तक विदेश मंत्रालय या दिल्ली एयरपोर्ट की तरफ से कोई बयान नहीं आया था.
धमाके के बाद भी जीता था रंगीना ने चुनाव
22 मार्च 1985 को जन्मी रंगीना करगर पिछले 10 साल से सांसद हैं. वह वोलेसी जिरगा की सदस्य रही हैं, जहां वह फरयाब प्रांत का प्रतिनिधित्व करती थीं. वह राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था, गैर सरकारी संगठनों, ग्रामीण विकास, कृषि और पशुपालन पर संसदीय समिति की सचिव भी रही हैं. चुनाव अभियान के दौरान उन्हें चुनाव में भाग न लेने की धमकी भी दी गई थी. लेकिन वह पीछे नहीं हटीं और अपना अभियान जारी रखा. दौलताबाद जिले में उनकी कार पर बम विस्फोट भी हुआ, लेकिन वह बच गईं. इन तमाम चुनौतियों के बावजूद रंगीना करगर ने फरयाब में संसदीय चुनाव जीता था.
(ये स्टोरी हमारे यहां इंटर्नशिप कर रहे रौनक भैड़ा ने लिखी है.)
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