मध्यप्रदेश की राजनीति को लेकर राजनीतिक हल्कों में अक्सर सुना है कि MP में सत्ता की चाबी हमेशा से ही आदिवासियों के हाथ में रही है. इसीलिए इस बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर कांग्रेस के राहुल गांधी और प्रियंका गांधी ने भी प्रदेश में अपने चुनाव प्रचार अभियान की शुरुआत आदिवासी इलाकों से ही की. BJP ने रानी दुर्गावती के बलिदान दिवस पर प्रदेशभर में आदिवासी गौरव यात्रा निकाली थी. जवाब में कांग्रेस ने भी वनाधिकार यात्रा निकाली थी. यानी दोनों पार्टियों ने आदिवासियों को अपनी साइड में करने की भरसक कोशिश की (Madhya Pradesh Election 2023).
MP में BJP की जीत की वो वजहें, जिन पर ज्यादा ध्यान नहीं गया, पर कांग्रेस को घाव गंभीर किया
Madhya Pradesh में BJP की जीत के पीछे 'लाडली बहना योजना' के अलावा भी कई वजहें हैं. Congress की हार की पटकथा इन सबने मिलकर लिखी है!

चुनाव से चार महीने पहले MP के सीधी क्षेत्र में एक कांड हो गया. ‘पेशाब कांड’. एक व्यक्ति जो कथित तौर पर स्थानीय बीजेपी विधायक से जुड़ा बताया गया, उसने एक आदिवासी व्यक्ति पर पेशाब कर दी. इसका वीडियो सामने आ गया. इससे आदिवासियों के BJP से नाराज होने की पूरी आशंका थी. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह मामला संभालने खुद आगे आए, उन्होंने पीड़ित आदिवासी दशमत रावत से सीएम आवास पर मुलाकात की. शिवराज ने दशमत के पैर पखारे, टीका किया, आर्थिक मदद की और शॉल ओढ़ाकर सम्मानित भी किया. हां, साथ में खाना भी खाया था.

अब चुनाव के बाद जो नतीजे आए हैं, उनसे पता लगता है कि ‘सीधी पेशाब कांड’ के बाद आदिवासी BJP से नाराज नहीं हुए. इस बार आदिवासियों के लिए आरक्षित 47 सीटों में से 24 पर जीतने में BJP कामयाब रही है. वहीं आदिवासियों के प्रभाव वाली गैर आरक्षित 29 सीटों में से BJP ने 20 पर जीत दर्ज की है. वहीं, कांग्रेस को आदिवासियों के प्रभाव वाली हर तरह की कुल 22 सीटों पर संतोष करना पड़ा है.
निमाड़ में भील-भिलाला और बारेला का विश्वास कांग्रेस में बना रहा है. कांग्रेस ने यहां की 19 में से 12 सीटें जीत ली हैं. यहां BJP को 7 सीटें ही मिली हैं. लेकिन कोल गोंड और कोरकू प्रभाव वाले विंध्य महाकौशल, नर्मदापुरम और मालवा इलाकों में BJP को बढ़त मिली है.
बागी कांग्रेस को ज्यादा भारी पड़ेमध्यप्रदेश की 230 सीटों में से 17 सीटों पर BJP और कांग्रेस के बागियों ने समीकरण बिगाड़े. कांग्रेस के 8 और BJP के 9 बागियों ने, 7 सीटों पर कांग्रेस तो 3 सीटों पर BJP को हराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. 6 सीटों पर BJP के बागियों ने जातिगत समीकरणों पर असर डाला जिसकी वजह से कांग्रेस प्रत्याशियों की हार हुई.
कांग्रेस के झगड़े ने लोगों का विश्वास कम किया?मध्य प्रदेश चुनाव की तारीख से तीन हफ्ते पहले एक वीडियो सामने आया. कमलनाथ इस वीडियो में BJP से कांग्रेस में आए विधायक वीरेंद्र रघुवंशी के समर्थकों से कहते दिखे- ‘आप जाकर दिग्विजय सिंह और जयवर्धन सिंह के कपड़े फाड़ो.’ ये समर्थक नाराज थे क्योंकि रघुवंशी को कांग्रेस से टिकट नहीं मिला. इसके बाद खबरें चलीं कि कांग्रेस में टिकट बंटवारे पर दिग्विजय सिंह और कमलनाथ के बीच मनमुटाव हो गया है.
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इस पर जवाब देते हुए पार्टी के प्रदेश प्रभारी रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा कि ये दोनों नेता शोले के जय और वीरू हैं. गब्बर की इनकी जोड़ी को तोड़ने की कोशिश नाकाम रही थी और अब BJP की भी नाकाम ही रहेगी. दोनों नेताओं को इसके बाद कांग्रेस हाईकमान ने दिल्ली बुलाया था. देर रात दिल्ली में बड़े नेताओं की मौजूदगी में बैठक हुई. फिर दोनों नेता साथ में भोपाल वापस लौटे.

BJP ने इसे भुनाना शुरू किया. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने दिग्विजय सिंह और कमलनाथ के दिल्ली जाने पर तंज कसा. भोपाल में उन्होंने कहा,
PM मोदी का प्रचार तगड़ा काम कर गया'ये जय और वीरू की जोड़ी है, जिसे दिल्ली बुलाया गया है. वे कहते हैं कि BJP भ्रम फैला रही है तो उन्हें दिल्ली क्यों बुलाया गया? कांग्रेस के जय और वीरू झगड़ रहे हैं. इनका झगड़ा लूट के माल के लिए है.'
मध्य प्रदेश के 17 जिलों में पीएम मोदी की रैली हुई. इनका प्रभाव यहां आने वाली 93 विधानसभा सीटों पर रहा. पहले इनमें से 46 सीटें ही BJP के पास थीं. लेकिन, इस बार BJP को यहां 70 सीटों पर जीत मिली है. यानी मोदी की रैलियों की वजह से BJP को मध्य प्रदेश में 24 नई सीटों पर जीत मिली है.
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अगर कुल नतीजों की बात करें तो मध्यप्रदेश चुनाव में BJP ने प्रचंड बहुमत से जीत हासिल की है. 230 विधानसभा सीटों में से BJP को 163 और कांग्रेस को 66 सीटें मिली हैं.
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