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जूतों का साइज तय करने में 'आत्मनिर्भर' बना भारत, अब 'Bha' दिलाएगा परफेक्ट शूज!

इस साइजिंग सिस्टम के लिए एक सर्वे किया गया था. सर्वे में क्या-क्या बातें सामने आईं?

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भारत में बदलने जा रहा है जूतों का साइज सिस्टम. (फोटो: इंडिया टुडे)

भारत में जूतों के साइज को लेकर अब अपना 'आत्मनिर्भर' सिस्टम तैयार (India Shoe Sizing System) होने जा रहा है. इसका नाम 'Bha' होगा. भारतीयों को अब इसके लिए अमेरिका और यूके के तय मानकों को नहीं झेलना पड़ेगा. भारत के लिए इस मानक को काउंसिल ऑफ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च ने डेवलप किया है.

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, 'Bha' मानक का मतलब 'Bharat' होगा, जो इसके भारतीय मूल को प्रदर्शित करेगा. बताया जा रहा है कि इसके लिए दिसंबर 2021 और मार्च 2022 के बीच सर्वे किया गया था. एक एडवांस 3D टेक्नॉलजी का इस्तेमाल हुआ. इसके तहत अलग-अलग जगहों के एक लाख से ज्यादा भारतीयों के पैरों की माप ली गई थी.

सर्वे में पता चला कि एक औसत भारतीय महिला का पैर 11 साल की उम्र में अपनी सबसे उच्च अवस्था में पहुंच जाता है, वहीं एक पुरुष के लिए ऐसा 15 से 16 की उम्र में होता है. सर्वे में ये बात सामने आई कि मौजूदा साइजिंग सिस्टम और भारतीयों के पैरों की मॉर्फोलॉजी में बहुत सी असमानताएं हैं. भारतीयों के पैर पश्चिमी देशों के लोगों के मुकाबले ज्यादा चौड़े होते हैं. खासकर बच्चों और किशोरों के लिए ऐसा ज्यादा होता है. ऐसे में उन्हें वो जूते पहनने पड़ते हैं, जो या तो ज्यादा टाइट होते हैं या ज्यादा ढीले. ऐसे में पैरों से संबंधित कई सारी समस्याएं हो सकती हैं.

8 नए साइज

‘Bha’ का उद्देश्य इन सभी दिक्कतों से छुटकारा दिलाना है. अमेरिका के 10 और यूके के 7 साइज सिस्टम की जगह, Bha ने अलग-अलग आयु वर्गों और जेंडर समूहों के लिए 8 अलग-अलग साइज का प्रस्ताव दिया है. कहा जा रहा है कि इससे भारतीयों के लिए जूते और आरामदायक बनेंगे.

Bha ने जिन साइज का प्रस्ताव दिया है-

I- (0 से 1 साल के नवजातों के लिए),
II – (1 से 3 साल के बच्चों के लिए),
III – (4 से 6 साल के छोटे बच्चों के लिए),
IV – (7 से 11 साल के बच्चों के लिए),
V – (12 से 13 साल की लड़कियों के लिए),
VI – (12 से 14 साल के लड़कों के लिए),
VII – (14 साल से ऊपर की महिलाओं के लिए)
और VIII – (15 साल से ऊपर के पुरुषों के लिए).

बताया जा रहा है कि शुरुआती ट्रायल्स में साइज III से लेकर साइज VIII पर फोकस किया जा रहा है. उम्मीद जताई जा रही है कि इससे 85 फीसदी भारतीयों के लिए परफेक्ट फिट सुनिश्चित किया जा सकता है.

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