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81 करोड़ भारतीयों का डाटा चोरी, पकड़े गए आरोपियों ने FBI से भी खेल कर दिया!

ICMR से मिला 81 करोड़ भारतीयों का डाटा, बेचने के लिए डार्क वेब पर डाला, FBI और भारतीय एजेंसीज ने पकड़ा.

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ICMR के डाटा बैंक से डाटा चोरी हुआ है! (फोटो सोर्स- आजतक)

इंडियन काउंसिल ऑफ़ मेडिकल रिसर्च (ICMR) के डाटा बैंक से 81 करोड़ भारतीयों का डाटा चोरी (indian data leak) होने के मामले में दिल्ली पुलिस ने तीन राज्यों से चार लोगों को गिरफ्तार किया है. भारतीय जांच एजेंसियों को करीब 2 महीने पहले इस डाटा के लीक होने और उसे डार्क वेब पर बेचे जाने के बारे में पता चला था. इंडियन एक्सप्रेस अखबार के मुताबिक, पूछताछ के दौरान, गिरफ्तार हुए संदिग्धों ने ये भी दावा किया कि उन्होंने अमेरिकी जांच एजेंसी, फ़ेडेरल ब्यूरो ऑफ़ इन्वेस्टीगेशन (FBI) और पाकिस्तान (pakistan) के कंप्यूटराइज्ड नेशनल आइडेंटिटी कार्ड (CNIC) का डाटा भी चुराया है.

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गेमिंग प्लेटफॉर्म पर मिले आरोपी

अखबार में छपी महेंद्र सिंह मनराल की एक खबर के मुताबिक, एक सेंट्रल एजेंसी के सीनियर ऑफिसर ने बताया कि दिल्ली पुलिस ने इस महीने की शुरुआत में डेटा लीक मामले का स्वत: संज्ञान लेते हुए मामला दर्ज किया था. जिसके बाद पिछले हफ्ते, चार लोगों को गिरफ्तार किया गया. इनमें से एक ओडिशा का था, जिसके पास बीटेक की डिग्री है. दो लोग हरियाणा से हैं, जो स्कूल ड्रॉपआउट हैं (स्कूल की पढ़ाई छोड़ दी है) और एक व्यक्ति झांसी का है. इन चारों को दिल्ली की एक कोर्ट में पेश किया गया था. जहां से चारों को सात दिन की पुलिस कस्टडी में भेज दिया गया है.

अधिकारी ने आगे बताया,

"गिरफ्तार किए गए लोगों ने शुरुआती पूछताछ में बताया कि वे लगभग तीन साल पहले एक गेमिंग प्लेटफॉर्म पर मिले थे. और उसके बाद दोस्त बन गए. फिर इन लोगों ने तय किया कि जल्दी पैसा कमाना है."

खुफिया एजेंसी के अधिकारियों को डाटा लीक होने का पता अक्टूबर महीने में तब चला, जब उन्हें डार्क वेब पर आधार और पासपोर्ट के रिकॉर्ड्स का डाटा मिला.
ऑफिसर ने बताया,

"इस पूरे मामले को इंडियन कंप्यूटर इमरजेंसी रेस्पॉन्स टीम (CERT-In) को रिपोर्ट किया गया. ये एक नेशनल नोडल एजेंसी है जिसका काम हैकिंग और फिशिंग जैसे साइबर खतरों से निपटना है. इस एजेंसी ने, डाटा की प्रामाणिकता जानने के लिए संबंधित विभागों से संपर्क साधा और उन्हें असली डाटा से मिलान करने को कहा. इन विभागों ने पाया कि करीब एक लाख लोगों का डाटा था. इसमें से 50 लोगों का डाटा लेकर उसे वेरीफाई किया गया, जो कि असली निकला."

अधिकारी ने आगे कहा,

"मामले की संवेदनशीलता देखते हुए, तुरंत जांच शुरू की गई. जिसके बाद बीते सप्ताह चार लोगों की गिरफ्तारी हुई. आरोपी पुलिस की हिरासत में हैं, लेकिन सभी सेंट्रल एजेंसीज के अधिकारी भी उनसे पूछताछ कर रहे हैं और ये पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि उन्होंने डेटा कैसे चुराया."

FBI ने क्या बताया?

ये डाटा लीक, अमेरिका की साइबर सिक्योरिटी और खुफिया एजेंसी रेसिक्योरिटी की पकड़ में भी आया था. एजेंसी ने एक ब्लॉगपोस्ट में लिखा,

“9 अक्टूबर को, 'pwn0001' नाम के एक थ्रेट एक्टर ने, 815 मिलियन 'भारतीय नागरिकों के आधार और पासपोर्ट्स के रेकॉर्ड्स की बिक्री के लिए ब्रीच फोरम्स पर एक थ्रेड पोस्ट किया था. बीते अक्टूबर महीने की शुरुआत में, रिसिक्योरिटी की हंटर (HUMINT) यूनिट ने डार्क वेब पर बिक्री के लिए पेश किए जा रहे भारतीय लोगों के आधार कार्ड सहित लाखों पहचाने जाने योग्य रेकॉर्ड्स की पहचान की. प्रभावित नागरिकों की कुल तादाद गहन जांच का मुद्दा है, लेकिन चिंताजनक बात ये है कि ये डेटा वैध और संवेदनशील है."

बीते महीने, केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी राज्य मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने कहा था कि 'लीक के सबूत मिले हैं, लेकिन डेटा चोरी नहीं हुआ है.'
उन्होंने कहा था कि कई विभागों के पास कोविड से संबंधित टेस्टिंग, वैक्सीनेशन और जांच का डाटा था. इस डाटा तक कई लोगों को एक्सेस दी गई थी. उस डाटा के लीक होने के सबूत हैं और जांच जारी है.

वीडियो: अब Koo ऐप पर भी लगा डाटा लीक का आरोप