7 मई को पाकिस्तान की गोलाबारी में पुंछ में दो जुड़वा बच्चों की जान (Twins Lost Life In Pakistan Shelling) चली गई. इनके नाम ज़ोया और अयान हैं. दोनों पिछले महीने ही 12 साल के हुए थे. एक-दूसरे के बड़े-छोटे होने में सिर्फ पांच मिनट का ही अंतर था. परिवार का दर्द यहीं तक सीमित नहीं है. ज़ोया और अयान के पिता रमीज़ खान भी पाकिस्तान की गोलाबारी में घायल हुए थे. फिलहाल वह जम्मू के एक अस्पताल के ICU में नाज़ुक हालत में भर्ती हैं. उन्हें मालूम भी नहीं है कि वह अपने दोनों बच्चों को खो चुके हैं.
पाकिस्तान की गोलाबारी में जुड़वा बच्चों की जान गई, पिता भी अस्पताल में भर्ती
Twins Lost Life In Pakistan Shelling: पाकिस्तान की गोलाबारी में न सिर्फ उनका घर तबाह हुआ बल्कि उनके मौसा और मौसी की भी जान चली गई. उनका परिवार दो महीने पहले ही बेहतर एजुकेशन सुविधाओं की तलाश में पुंछ शिफ्ट हुआ था.

इंडिया टुडे से जुड़ी कमलजीत संधू की रिपोर्ट के मुताबिक, पाकिस्तान की गोलाबारी में न सिर्फ उनका घर तबाह हुआ बल्कि उनके मौसा और मौसी की भी जान चली गई. उनका परिवार दो महीने पहले ही बेहतर एजुकेशन सुविधाओं की तलाश में पुंछ शिफ्ट हुआ था.

वहीं, ज़ोया और अयान की मां उर्षा खान मानसिक रूप से टूट चुकी हैं. एक मां के तौर पर अपने दोनों बच्चों को खो देने और अस्पताल के बेड पर अपने पति को देखते रहने के दुख से रोज़ाना दो-चार हो रही हैं. उनके क़रीबी रिश्तेदारों मारिया और सोहेल खान से हमने बात की और परिवार का दर्द साझा किया. आंखों से आंसू बहते हुए मारिया ने कहा,
दोनों बच्चे बहुत प्यारे थे. अपनी उम्र के हिसाब से काफी समझदार थे. उनके पिता ने आज तक उन्हें कभी डांटा नहीं था. अगर उन्हें पता चला कि अब उनके बच्चे नहीं रहे तो शायद अब वह जी नहीं पाएंगे. इसलिए हम उनसे कह रहे हैं कि दोनों बच्चे ठीक है. हमने उन्हें यह पता चलने नहीं दिया है कि दोनों बच्चे गोलाबारी के कुछ मिनट बाद ही दम तोड़ दिया था.

उन्होंने आगे कहा,
ज़ोया गंभीर रूप से घायल हो गई थी. हमारे एक रिश्तेदार ने अयान को उठाया और उसे होश में लाने की कोशिश की. लेकिन उसकी आंतें बाहर निकल आई थीं. हमें लगा था कि फिर से होश में आ सकता है. लेकिन दुर्भाग्य से दोनों की कुछ ही मिनटों में जान चली गई. पिता के लीवर में गोली लगी थी.
पाकिस्तान की ओर से की जा रही गोलाबारी का मंज़र बताते हुए मारिया और सोहेल कहते हैं,
हम लगातार डरे हुए थे क्योंकि पाकिस्तान की गोलाबारी लगातार जारी थी. हमें अस्पताल पहुंचने में कई घंटे लग गए. हमें राजौरी अस्पताल और फिर जम्मू अस्पताल भेजा गया. हम सरकार से अपील करते हैं कि वह सुनिश्चित करें कि ज़ोया और अयान के पिता का इलाज दिल्ली में अच्छे डॉक्टरों की टीम करे.
उन्होंने कहा कि लोगों की जान जाना बेहद दुखद है. सीज़फायर से कुछ राहत की उम्मीद है. लेकिन पाकिस्तान की सीमा पर रहने वाले लोगों के लिए कुछ किया जाना चाहिए. यह घटना पूरे परिवार के लिए बहुत बड़ा झटका है.
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