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'आज बिलकिस है, कल हम हो सकते हैं', सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार को सुना डाला

पिछले साल 15 अगस्त को गुजरात सरकार ने बिलकिस बानो के रेपिस्टों को समय से पहले रिहा कर दिया था.

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बिलकिस बानो (दाएं) केस में 11 दोषियों (बाएं) की समय से पहले रिहाई को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई. (तस्वीरें: इंडिया टुडे)

सुप्रीम कोर्ट ने बिलकिस बानो मामले में गुजरात सरकार को जमकर फटकार लगाई है. गुजरात सरकार ने बिलकिस बानो के बलात्कार और उनके परिवार के लोगों की हत्या के 11 दोषियों को समय से पहले रिहा कर दिया था. इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिकाएं दायर की गई हैं. इनमें बिलकिस बानो की याचिका भी शामिल है. मंगलवार, 18 अप्रैल को इन याचिकाओं पर सुनवाई हुई. इस दौरान जस्टिस केएम जोसेफ और जस्टिस बीवी नागरत्ना की बेंच ने दोषियों की रिहाई से जुड़ी फाइलें पेश नहीं करने पर गुजरात सरकार को कड़ी फटकार लगा दी. कोर्ट ने कहा कि बार-बार कहने के बावजूद गुजरात सरकार रिहाई से जुड़े डॉक्यूमेंट उसके सामने नहीं ला रही है.

फाइलें नहीं दे रही गुजरात सरकार

इंडिया टुडे की सृष्टि ओझा की रिपोर्ट के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने कहा, 

“अगर आपने फाइलें नहीं दिखाईं तो हम इसे कोर्ट की अवमानना मानेंगे. आप रिकॉर्ड पेश करने के लिए बाध्य हैं. आप हमसे क्यों लड़ रहे हैं?”

कोर्ट ने कहा कि अगर सरकार ने सब कुछ कानून के हिसाब से किया है, तो उसे डरने की जरूरत नहीं है. शीर्ष अदालत का कहना है कि वो बस ये देखना चाहती है दोषियों की रिहाई में कानून का पालन किया गया या नहीं.

सुनवाई के दौरान केंद्र और गुजरात सरकार की ओर से पेश हुए एडिशनल सॉलिसिटर जनरल (ASG) एसवी राजू ने कोर्ट को बताया, 

“कई दस्तावेज गुजराती में हैं. पहले उन्हें (सरकार) खुद उन फाइलों को रिव्यू करना है.” 

इस पर जस्टिस जोसफ ने कहा, 

"हमने आपको रिव्यू से कहां रोका है? आप हमारे सामने रिकॉर्ड लाइए."

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लाइव लॉ की रिपोर्ट के मुताबिक कोर्ट ने कहा कि भले ही केंद्र सरकार ने इस फैसले को मंजूरी दे दी थी, लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि गुजरात सरकार अपना दिमाग ना लगाए. कोर्ट ने साफ कहा कि इस तरह के अपराधों के दोषियों को छूट देने का विचार किया जाता है तो सार्वजनिक हित के लिए सरकार को अपनी शक्ति का प्रयोग करना चाहिए. बेंच में शामिल जस्टिस जोसेफ ने कहा,

"सवाल ये है कि क्या सरकार ने अपना दिमाग लगाया. किस आधार पर ये फैसला किया गया... आज ये महिला (बिलकिस) है, कल आप या हम हो सकते हैं... अगर आप हमें (फैसले के) कारण नहीं देते हैं तो हम अपने निष्कर्ष निकालेंगे."

फाइलें नहीं दिखाना चाहती सरकार?

खबर ये भी है कि बिलकिस बानो मामले में सरकारी फाइलों को मंगाने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश को गुजरात सरकार चुनौती दे सकती है. सरकार रिहाई से जुड़े डॉक्यूमेंट मांगने के कोर्ट के आदेश पर पुनर्विचार याचिका दाखिल करेगी या नहीं, इसके लिए ASG ने कोर्ट से कुछ मोहलत मांगी है. उन्होंने बताया कि गुजरात सरकार से निर्देश लेकर अर्जी दाखिल करने या फिर दस्तावेज पेश करने पर निर्णय लेने के लिए वक्त चाहिए.

वहीं बेंच ने कहा,

"जब समाज को बड़े पैमाने पर प्रभावित करने वाले ऐसे जघन्य अपराधों में छूट पर विचार किया जाता है, तब सार्वजनिक हित का ध्यान रखा जाना चाहिए."

सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार से ये भी कहा,

"आज बिलकिस है, कल कोई और हो सकता है. राज्य को समाज की भलाई के लिए कदम उठाना चाहिए. क्या इस तरह के मामले में सरकार को दस्तावेज दिखाने से छूट दी जा सकती है?"

इससे पहले गुजरात सरकार ने एक हलफनामे में सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि बिलकिस केस के दोषियों की समय से पहले रिहाई का फैसला केंद्र सरकार की मंजूरी के बाद लिया गया. हलफनामे में कहा गया था कि दोषियों के अच्छे व्यवहार और उनके 14 साल की सजा पूरी होने के मद्देनजर रिहाई का फैसला लिया गया था. 

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