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सुप्रीम कोर्ट ने सेना की महिला अधिकारियों के लिए क्यों कहा- 'ये कोर्ट में चक्कर लगाने का समय नहीं'

महिला सेना अधिकारी को स्थायी कमीशन के इनकार मामले पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ये समय सैन्य बल के सुप्रीम कोर्ट का चक्कर लगाने का नहीं है. जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि अभी उनके यानी सैनिकों के लिए प्रतिभा प्रदर्शन के लिए दूसरी जगह है. हम चाहते हैं कि इस समय उनका मनोबल ऊंचा रहे.

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महिला सेना के स्थायी कमीशन पर सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा (India Today)

भारतीय सेना में महिला अधिकारियों के स्थाई कमीशन पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस पर फैसला कुछ समय बाद लिया जाएगा. ऐसे मामलों के लिए ये समय सही नहीं है. कोर्ट ने कहा कि 

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अभी महिला सेना अधिकारी अपनी ड्यूटी करें. उनके परमानेंट कमीशन के मुद्दे पर हम बाद में बात करेंगे. 

कोर्ट ने भारत और पाकिस्तान के बीच मौजूदा तनावूर्ण हालात की तरफ इशारा किया. कोर्ट की ये टिप्पणी ऐसे समय में आई है जब भारत की पाकिस्तान पर कार्रवाई की ब्रीफिंग देने वाली दो महिला अधिकारियों की पूरे देश में चर्चा है. कर्नल सोफिया कुरैशी और विंग कमांडर व्योमिका सिंह, भारत-पाकिस्तान तनाव पर प्रेस कॉन्फ्रेंस कर देश को लगातार जानकारी दे रही हैं. 

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क्या है मामला?

दरअसल, भारतीय सेना में महिला सेना अधिकारी स्थाई कमीशन (Permanent Commission) के लिए कानूनी लड़ाई लड़ रही हैं. परमानेंट कमीशन का मतलब होता है कि कोई भी अधिकारी रिटायरमेंट की उम्र तक सेना में काम कर सकता है. वहीं, शॉर्ट सर्विस कमीशन के तहत नियुक्त अधिकारी का कार्यकाल केवल 10 या 14 साल का होता है. इसके बाद वो रिटायर हो जाते हैं. सेना में महिला अधिकारियों की भर्ती इसी कमीशन के तहत होती है. इससे जुड़े मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में चल रही है. 

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इंडिया टुडे ग्रुप के रिपोर्टर संजय शर्मा के अनुसार, 9 मई 2025 शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अभी इस पर बात करने के लिए ठीक समय नहीं है. जस्टिस सूर्यकांत ने कहा, 

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ये समय सैन्य बलों के सुप्रीम कोर्ट का चक्कर लगाने का नहीं है. उनकी प्रतिभा के प्रदर्शन के लिए दूसरी जगह है. हम चाहते हैं कि इस समय उनका मनोबल ऊंचा रहे. उन्होंने भारतीय सेना के योगदान की प्रशंसा करते हुए कहा कि हम सभी उनके योगदान के सामने बहुत कम हैं. ये वो समय है जब हम में से प्रत्येक को उनके साथ खड़े होने की आवश्यकता है. 

कोर्ट ने कहा कि इस मामले पर बाद में मेरिट के आधार पर सुनवाई की जाएगी. तब तक सरकार महिला सैनिकों की सेवाओं का उपयोग करे. सुनवाई की अगली तारीख तक सभी महिला सैन्य अधिकारियों को सर्विस में रखा जाए. उनको रिलीव नहीं किया जाए. कोर्ट ने कहा कि मामले में जो भी तय किया जाएगा, योग्यता के आधार पर तय किया जाएगा.

सुप्रीम कोर्ट में है केस

महिला सेना अधिकारियों को स्थायी कमीशन (Permanent Commission) देने से इनकार करने के मामले को लेकर 67 महिला सेना अधिकारियों ने याचिका सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की है. इसमें महिला सेना अधिकारियों ने उन्हें परमानेंट कमीशन देने की गुहार लगाई है. याचिकाकर्ताओ में से कई महिला अधिकारी अब रिटायर भी हो चुकी हैं. साल 2020 में इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट ने बहुत महत्वपूर्ण टिप्पणी की थी. कोर्ट ने कहा था कि सेना में महिलाओं को कमांड नियुक्तियों से वंचित रखना कानून के हिसाब से सही नहीं है. इस सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कर्नल सोफिया कुरैशी की उपलब्धियों की तारीफ की थी और इस उदाहरण के जरिए सेना में महिला अधिकारियों के योगदान को भी सराहा था. 

वीडियो: महिला अफसरों ने जवाबी कार्रवाई को लेकर क्या बताया?

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