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Foxconn पर शादीशुदा महिलाओं से भेदभाव का आरोप लगा था, अब जवाब आया है

Apple iPhone assembly plant Foxconn पर शादीशुदा महिलाओं को नौकरी पर नहीं रखने का आरोप लगा था. इसे लेकर सरकार ने रिपोर्ट भी तलब की थी. अब कंपनी ने बयान जारी कर अपना पक्ष रखा है.

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फॉक्सकॉन के चेन्नई प्लांट में सामने आया है हायरिंग में भेदभाव का मामला (फोटो-आजतक)

भारत में एप्पल आईफोन असेंबल करने वाली कंपनी फॉक्सकॉन महिला कर्मचारियों से ‘भेदभाव’ करने के आरोप की वजह से चर्चा में है (Foxconn married women). मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया कि तमिलनाडु स्थित फॉक्सकॉन इंडिया एप्पल आईफोन प्लांट में शादीशुदा महिलाओं को नौकरी नहीं दी जा रही है. इस खबर की गंभीरता देखते हुए श्रम मंत्रालय ने सख्ती दिखाई और तमिलनाडु सरकार के श्रम विभाग को तलब किया. इसके बाद फॉक्सकॉन कंपनी की सफाई सामने आई है.

एनडीटीवी की रिपोर्ट के मुताबिक, इस मामले पर एप्पल आईफोन निर्माता फॉक्सकॉन ने सरकार को सूचित किया है कि उसके ‘नए कर्मचारियों में से 25 प्रतिशत शादीशुदा महिलाएं हैं’. कंपनी पर सेफ्टी प्रोटोकॉल्स के नाम पर भी भेदभाव का आरोप लगा है. इस पर कंपनी ने बताया कि उसके सेफ्टी प्रोटोकॉल में किसी भी कर्मचारी से लिंग या धर्म के आधार पर भेदभाव नहीं किया जाता. फॉक्सकॉन ने बताया कि प्रोटोकॉल के तहत सभी कर्मचारियों को धातु (metal) ना पहनने का निर्देश है और इसमें कोई भेदभाव नहीं है. 

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कंपनी ने  विवाहित महिलाओं को काम पर नहीं रखने के आरोप को खारिज किया है. उसने सरकार को एक अनौपचारिक नोट द्वारा सूचित किया कि ऐसी भेदभावपूर्ण शर्तें उसकी नीति का हिस्सा नहीं हैं और ऐसे दावे उन व्यक्तियों द्वारा किए गए हो सकते हैं जिन्हें कंपनी में नौकरी का मौका नहीं मिला हो. कंपनी ने उन मीडिया रिपोर्ट्स पर आपत्ति भी जताई है जिनमें कंपनी के भेदभावपूर्ण नीतियों का दावा किया गया है. उसका कहना है कि ऐसी मीडिया रिपोर्ट्स तेजी से बढ़ते भारतीय विनिर्माण क्षेत्र को बदनाम करने का काम करती हैं.

Foxconn में शादीशुदा महिलाओं से भेदभाव का दावा

बता दें ब्रिटिश न्यूज एजेंसी रॉयटर्स की रिपोर्ट में इस बात का खुलासा किया गया था कि फॉक्सकॉन कंपनी के चेन्नई स्थित एप्पल आईफोन असेंबली प्लांट में शादीशुदा महिलाओं को नौकरी पर नहीं रखा जा रहा है. समाचार एजेंसी ने अपनी जांच के आधार पर बताया था कि एप्पल और फॉक्सकॉन दोनों कंपनियों में साल 2023 और 2024 में इस तरह के मामले सामने आए. रिपोर्ट में दावा किया गया कि फॉक्सकॉन का मानना है कि अविवाहित महिलाओं की तुलना में शादीशुदा महिलाओं की परिवारिक जिम्मेदारियां ज्यादा होती हैं, इसलिए कंपनी उन्हें काम नहीं देना चाहती है.

इस रिपोर्ट में दो बहनों पार्वती और जानकी का जिक्र किया गया है, जो 20 साल की हैं. रॉयटर्स के मुताबिक उन्हें फॉक्सकॉन की चेन्नई स्थित iPhone फैक्ट्री में इस भेदभाव का सामना करना पड़ा था. बीते साल मार्च में वॉट्सऐप पर नौकरी के विज्ञापन देखने के बाद ये दोनों बहनें इंटरव्यू के लिए इस प्लांट में पहुंची थीं, लेकिन मैनगेट पर मौजूद सुरक्षा अधिकारी ने उन्हें इंटरव्यू नहीं देने दिया और गेट से ही वापस लौटा दिया. 

रिपोर्ट में कहा गया है कि उस अधिकारी ने दोनों से सवाल किया था कि 'क्या आप शादीशुदा हैं?' हां, में जबाव देते ही उसने दोनों शादीशुदा महिलाओं को वापस जाने के लिए कह दिया. पार्वती के मुताबिक, उन्हें ये नौकरी सिर्फ इसलिए नहीं दी गई, क्योंकि वे दोनों शादीशुदा हैं. 

रिपोर्ट के मुताबिक, फॉक्सकॉन इंडिया के पूर्व एचआर कार्यकारी एस पॉल ने भी इस तरह की प्रथा की पुष्टि की है और कहा है कि फॉक्सकॉन का मानना ​​है कि पारिवारिक जिम्मेदारियों और संभावित गर्भधारण के कारण विवाहित महिलाएं ‘रिस्क फैक्टर’ पैदा करती हैं. एस पॉल के इन दावों का समर्थन फॉक्सकॉन की विभिन्न हायरिंग एजेंसियों के 17 कर्मचारियों और 4 वर्तमान और पूर्व एचआर अधिकारियों ने भी किया है. उन्होंने कहा कि शादीशुदा महिलाओं के ऊपर युवा महिलाओं की तुलना में ज्यादा जिम्मेदारियां होती हैं और कार्य प्रभावित न हो इसके लिए इन्हें भर्ती प्रक्रिया से दूर ही रखा जाता है. 

मीडिया रिपोर्ट्स में किए जा रहे इन दावों के बीच श्रम एवं रोजगार मंत्रालय ने बुधवार 26 जून को तमिलनाडु के श्रम विभाग से इस मामले पर विस्तृत रिपोर्ट मांगी थी. इसके बाद फॉक्सकॉन ने आधिकारिक बयान जारी कर अपना पक्ष रखा है.

न्यूज एजेंसी पीटीआई के सूत्रों के मुताबिक, “फॉक्सकॉन ने यह स्पष्ट किया है कि कंपनी की नवीनतम नियुक्तियों में से 25 प्रतिशत विवाहित महिलाएं हैं. कंपनी में कार्यरत कुल महिलाओं में से लगभग एक-तिहाई विवाहित महिलाएं हैं.”

एनडीटीवी की रिपोर्ट के मुताबिक, कंपनी ने जानकारी दी है कि फॉक्सकॉन फैक्ट्री में वर्तमान में लगभग 70 प्रतिशत महिलाएं और 30 प्रतिशत पुरुष कर्मचारी हैं. और तमिलनाडु स्थित प्लांट में महिलाओं कर्मचारियों की संख्या देश की किसी भी दूसरी फैक्ट्री के मुकाबले सबसे ज्यादा है.

रिपोर्ट्स में कहा गया था कि कंपनी में विवाहित महिलाओं, खासकर हिंदू विवाहित महिलाओं को नौकरी पर न रखने का एक मुख्य कारण उनके धातु के गहने को बताया गया है. इस आरोप को कंपनी ने खारिज किया है. उसने बताया है कि कारखानों में धातु पहनना एक सुरक्षा मुद्दा है, यह बात उद्योग और सरकार दोनों को अच्छी तरह से पता है. फॉक्सकॉन ने कहा है कि धातु पहनने वाले किसी भी व्यक्ति - पुरुष या महिला - को उनकी स्थिति (अविवाहित या विवाहित) और उनके धर्म की परवाह किए बिना, कारखाने में काम करते समय धातुओं को निकालना आवश्यक है. सुरक्षा कारणों से, धातु पहनने वाले किसी भी व्यक्ति को दुकान के फर्श पर काम करने की अनुमति नहीं है और ऐसा कई उद्योगों में प्रचलित है.

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