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'सिंधु जल समझौते पर करो बात', पाकिस्तान ने लगाई गुहार, भारत की आपत्तियों पर गौर करेगा

Indus Waters Treaty: पाकिस्तान के जल संसाधन सचिव सैयद अली मुर्तजा के हवाले से खबर आई है. मुर्तजा चाहते हैं भारत-पाकिस्तान के बीच इस संधि को लेकर बातचीत हो. लेकिन पाकिस्तानी जल सचिव ने कुछ सवाल भी उठाए हैं.

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लेह सिंधु की एक सहायक नदी- फुक्तल. (तस्वीर: PTI)

पहलगाम हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान के साथ 1960 के सिंधु जल संधि (IWT) को तत्काल प्रभाव से स्थगित कर दिया. इसके बाद से ये पहला मौका है जब पाकिस्तान ने ये संकेत दिए हैं कि वो भारत के साथ इस संधि (Pakistan on Indus Water) पर बात करने की इच्छा रखता है. 

इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक, पाकिस्तान के जल संसाधन सचिव सैयद अली मुर्तजा ने हाल ही में इस मामले पर प्रतिक्रिया दी है. मुर्तजा पाकिस्तान सरकार की ओर से भारत की आपत्तियों पर चर्चा करना चाहते हैं. 

इस मामले की जानकारी रखने वाले सूत्रों के हवाले से अखबार ने लिखा है,

सिंधु जल संधि को जिस आधार पर स्थगित किया गया है, मुर्तजा ने उस पर सवाल भी उठाए हैं. उन्होंने कहा है कि इस संधि में कोई ‘एग्जिट क्लॉज’ नहीं था.

भारत के दो आग्रह को नजरअंदाज किया

पाकिस्तानी मंत्री की ओर से बातचीत का ये संकेत अहम है. क्योंकि भारत ने इससे पहले दो बार पाकिस्तान से IWT पर बात करने का आग्रह किया था. जनवरी 2023 में और फिर सितंबर 2024 में. पाकिस्तान ने दोनों ही बार इसमें दिलचस्पी नहीं दिखाई. भारत के संधि स्थगित करने के बाद ही पाकिस्तान ने अपनी इच्छा व्यक्त की है.

भारत सरकार के भीतर पाकिस्तान की इस इच्छा पर चर्चा हो रही है. क्योंकि चार दिनों के सैन्य टकराव के बाद अब मामला शांत है. भारत नदी के पानी के उपयोग के लिए बांध और जलाशय बनाकर उसे जमा कर सकता है. बिजली उत्पादन के लिए भी इसका इस्तेमाल किया जा सकता है. पाकिस्तानी ऐसी योजनाओं को रोकना चाहता है. क्योंकि इस तरह का कोई भी निर्माण ग्राउंड पर यथास्थिति को बदल देगा.

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"पानी और खून एक साथ नहीं बह सकते"

मुर्तजा की ये प्रतिक्रिया उनके भारतीय समकक्ष देबाश्री मुखर्जी के एक पत्र के जवाब में था. मुखर्जी ने ये पत्र उन्हें 24 अप्रैल में लिखा था. उन्होंने लिखा,

पाकिस्तान ने जम्मू-कश्मीर को निशाना बनाकर सीमा पार आतंकवाद को जारी रखा है. इसलिए सिंधु जल संधि को तत्काल प्रभाव से स्थगित किया जा रहा है.

13 मई को भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने भी इस पर अपनी प्रतिक्रिया दी थी. उन्होंने कहा था कि भारत इस संधि को तब तक स्थगित रखेगा जब तक पाकिस्तान आतंकवाद को सपोर्ट करना बंद नहीं करता.

'ऑपरेशन सिंदूर' के बाद जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्र को संबोधित किया, तब उन्होंने भी ऐसा ही मैसेज दिया. उन्होंने कहा, “पानी और खून एक साथ नहीं बह सकते”.

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Indus Water Treaty क्या है?

नौ साल तक चली बातचीत के बाद 19 सितंबर, 1960 को भारत-पाकिस्तान ने इस संधि पर हस्ताक्षर किए थे. इसके प्रावधानों के अनुसार, (पूर्वी नदियों) सतलुज, व्यास और रावी का सारा पानी भारत के किसी भी उपयोग के लिए उपलब्ध होगा. पाकिस्तान को (पश्चिमी नदियों) सिंधु, झेलम और चिनाब से पानी मिलेगा.

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