आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के चलते हमने कई लोगों की आवाज़ में गाने सुने. इसका सबसे बढ़िया उदाहरण हैं पीएम मोदी. उनकी आवाज़ से कई गाने वायरल हुए लेकिन जाहिर सी बात है वे गाने उन्होंने नहीं गाए थे. AI के जरिए ये काम किया गया था. ऐसे ही अब एक गाना वायरल हो रहा है. 'कहने को जश्न-ए-बहारा है…'. ओरिजिनल गाने को एआर रहमान ने कंपोज किया था और गाया था जावेद अली ने. लेकिन अब इसे AI की मदद से मोहम्मद रफ़ी की आवाज़ में गाया गया है.
AI ने गाया ऐसा गाना, लोग मोहम्मद रफी को याद करने लग गए!
ओरिजिनल गाने को एआर रहमान ने कंपोज किया था और गाया था जावेद अली ने. लेकिन अब इसे AI की मदद से मोहम्मद रफ़ी की आवाज़ में गाया गया है.

AI वाले इस वर्जन को बोल दिया है आदित्य कालवे ने. इसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पहले ट्विटर) पर @anshumonsharma नाम के यूजर ने शेयर किया है. अंशुमान शर्मा ने AI की मदद से और गाने भी रीक्रिएट किए हैं. साथ ही वो एक गानों के कई तरह के वर्जन निकालते हैं. मतलब अलग-अलग भाषाओं में एक ही गाना गाना. ये गाना शेयर करते हुए उन्होंने लिखा,
“एआर रहमान के गाने 'जश्न-ए-बहारा' को 70 के दशक की बॉलीवुड स्टाइल में रीक्रिएट किया है. आवाज़ आदित्य कालवे की है, जिसे AI की मदद से रफ़ी साहब की आवाज़ में बदल दिया गया है. उम्मीद है कि आप सबको पसंद आएगा.”
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सोशल मीडिया पर इस गाने का ये वर्जन सबको पसंद आया. लोग इस पर कॉमेंट्स भी कर रहे हैं, मधुकर मणि नाम के यूजर ने लिखा,
“सुंदर. यह सबसे अच्छा वर्जन है जो मैंने सालों में सुना है. इस जादू को दोबारा रीक्रिएट करने के लिए आपका बहुत-बहुत शुक्रिया.”
वीर पाठक नाम के यूजर ने लिखा,
"शानदार, जानदार जबरदस्त!
रफ़ी साहब."
एक यूजर ने लिखा,
“वाह यार. बिना पढ़े एक सेकंड के लिए मुझे लगा कि ओरिजनल गाना, पास्ट के किसी गाने का कॉपी किया हुआ है, वाह वाह. और करो दोस्तों.”
प्रशांत नाम के यूजर ने लिखा,
“बहुत बढ़िया काम भाई, प्रेजेंट और पास्ट का एकदम सही फ्यूज़न.”
एक यूजर ने तारीफ़ करते हुए लिखा,
"पूरा रफ़ी साहब लग रहा है.
इसे रीक्रिएट करने के लिए थैंक्यू."
वैसे AI के जितने ज़्यादा फायदे आपको दिखते हैं, उससे कहीं ज़्यादा इसके नुकसान भी हैं. जैसे एक्टर रश्मिका मंदन्ना का डीपफेक वीडियो. किसी की वीडियो पर किसी और का फेस चिपका देना. ये सब काम पहले भी होते थे, लेकिन AI के आने के बाद ऐसे काम ज़्यादा हो रहे हैं.