राहुल गांधी. कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष. उन्होंने कहा कि अगर वो भारत के प्रधानमंत्री बने तो विकास केंद्रित नीतियों की तुलना में रोजगार के अवसर पैदा करने पर ज़्यादा ध्यान केंद्रित करेंगे. राहुल ने शुक्रवार, 2 अप्रैल को Vision on Democracy पर अपने विचार साझा किए. भारत में अमेरिका के राजदूत रहे निकोलस बर्न्स के साथ ऑनलाइन बातचीत में राहुल ने कई मुद्दों पर अपनी बात कही. बर्न्स वर्तमान में हार्वर्ड केनेडी स्कूल के प्रोफेसर हैं.
राहुल गांधी से पूछा गया कि अगर वे भारत के प्रधानमंत्री बनते हैं, तो नीतियां बनाते समय किस चीज़ को प्राथमिकता देंगे?
इस सवाल के जवाब में राहुल गांधी ने कहा,
मैं विकास केंद्रित आइडिया से रोज़गार केंद्रित आइडिया की ओर बढूंगा. हमें ग्रोथ की ज़रूरत है, लेकिन उत्पादन और रोज़गार पैदा करने के साथ-साथ हमें वैल्यू एडिशन पर भी ज़ोर देने होगा. वर्तमान में, अगर भारत की ग्रोथ को देखें तो हमारी ग्रोथ और रोज़गार-निर्माण के बीच जैसा संबंध होना चाहिए, वैसा नहीं है. जबकि चीन इस मामले में हमसे काफ़ी आगे है. मैं कभी ऐसे चीनी नेता से नहीं मिला, जो रोज़गार के सृजन को समस्या बताता हो. इसलिए मेरी 9 प्रतिशत की आर्थिक विकास दर में दिलचस्पी नहीं है, अगर मेरे यहां रोज़गार ही ना हो.
LIVE: My interaction with Ambassador Nicholas Burns from Harvard Kennedy School. https://t.co/KZUkRnLlDg
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) April 2, 2021
अर्थव्यवस्था को गति देने के उपाय से जुड़े सवाल पर राहुल ने कहा कि अब सिर्फ़ एक ही विकल्प है. लोगों के हाथों में पैसे दिए जाएं. इसके लिए हमारे पास ‘न्याय’ का विचार है. इस कार्यक्रम में बर्न्स चीन और रूस की ओर से पेश किए जा रहे कठोर विचारों के खिलाफ लोकतंत्र के विचार’ पर बात कर रहे थे. इसपर बर्न्स को रोकते हुए राहुल गांधी ने कहा,
भारत में जो कुछ भी हो रहा है, उसपर US की सत्ता से कुछ भी सुनने को नहीं मिलता. अगर आप ‘लोकतंत्र की भागीदारी’ की बात कर रहे हैं तो जो देश में हो रहा है, उसपर आपके क्या विचार हैं? मैं इस बात में विश्वास करता हूं कि अमेरिका एक अर्थपूर्ण विचार है. यह वो आजादी है, जिस तरह से आपके संविधान में आजादी को जगह दी गई है, लेकिन आपको उस विचार की रक्षा करनी होगी. ये असली सवाल है.
उन्होंने चीन के बढ़ते वर्चस्व की चुनौती के बारे में पूछे जाने पर कहा कि भारत और अमेरिका जैसे देश लोकतांत्रिक मूल्यों के साथ ही समृद्धि और विनिर्माण क्षेत्र के विकास से चीन की चुनौती से निपट सकते हैं.
कांग्रेस की चुनावी असफलता और आगे की रणनीति के बारे में पूछे जाने पर राहुल ने कहा,
चुनाव लड़ने के लिए मुझे वो संस्थागत ढांचा चाहिए, ऐसी न्यायिक व्यवस्था चाहिए, जो मेरी रक्षा करती हो, ऐसी मीडिया चाहिए जो तार्किक स्तर तक स्वतंत्र हो, मुझे आर्थिक समानता चाहिए, मुझे ऐसा संस्थागत ढांचा चाहिए, जिससे मुझे एक राजनीतिक पार्टी की तरह ऑपरेट करने में मदद मिले, ये सारी चीजें मेरे पास नहीं हैं. हम आज ऐसी अलग स्थिति में हैं जहां वो संस्थाएं हमारी रक्षा नहीं कर पा रहीं, जिन्हें हमारी रक्षा करनी है. जिन संस्थाओं को निष्पक्ष राजनीतिक मुक़ाबले के लिए सहयोग देना है, वो अब ऐसा नहीं कर रही हैं.
राहुल ने दावा किया कि लोगों का सत्तापक्ष से मोहभंग हो रहा है और यह कांग्रेस के लिए एक अवसर है.
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