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आंदोलन में मरने वाले 750 किसानों के परिवार को 3-3 लाख रुपए का ऐलान

जारी रहेगा किसानों का आंदोलन

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ये तस्वीर गाजीपुर बॉर्डर पर प्रदर्शन कर रहे किसानो की है. सरकार ने तीनों बॉर्डर पर इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी हैं. (फोटो-PTI)
किसान आंदोलन की फाइल फोटो.
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20 नवंबर 2021 (Updated: 20 नवंबर 2021, 15:21 IST)
Updated: 20 नवंबर 2021 15:21 IST
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तीन कृषि कानूनों के खिलाफ पिछले एक साल से विरोध प्रदर्शन चल रहा रहा है. पीएम मोदी ने शुक्रवार 19 नवंबर को ये कानून वापस लेने की घोषणा की. हालांकि इसके बाद भी आंदोलन जारी रहेगा. क्योंकि किसानों का कहना है कि उनकी अन्य मांगों पर विचार नहीं किया गया है. इस बीच पिछले एक साल में किसान आंदोलन के दौरान जान गंवाने वाले करीब 750 किसानों के परिवार को तेलंगाना सरकार तीन-तीन लाख रुपये का मुआवजा देगी. तेलंगाना सरकार ने ऐलान किया है कि वह इस मुआवजे के लिए 22 करोड़ रुपये आवंटित कर रही है.

इसके आलावा KCR यानी तेलंगाना राष्ट्र समिति पार्टी ने केंद्र सरकार से एक मांग भी की है. मुख्यमंत्री चंद्रशेखर राव ने कहा है कि केंद्र सरकार आंदोलन में मारे गए प्रत्येक किसान परिवारों को 25 लाख रुपये देकर उनकी आर्थिक मदद करे. किसानों के खिलाफ दर्ज मामले और बिजली (संशोधन) विधेयक वापस ले.

आज तक के पत्रकार आशीष पांडेय की रिपोर्ट के मुताबिक, केसीआर रविवार, 21 नवंबर को दिल्ली में एक प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करेंगे और इस मुद्दे पर पीएम से मिलकर इस पर बात करने की कोशिश करेंगे.

वरुण गांधी ने एक-एक करोड़ मुआवजा देने को कहा

वहीं दूसरी ओर उत्‍तर प्रदेश के पीलीभीत से सांसद वरुण गांधी ने पीएम मोदी को लेटर लिख आंदोलन के दौरान जान गंवाने वाले किसानों के परिवारों के लिए एक-एक करोड़ रुपए मुआवजे की मांग की है. वरुण गांधी ने कृषि कानून (Farm Laws) वापस लेने पर पीएम मोदी को धन्यवाद दिया है. लिखा है,

आपने तीन कानूनों को रद्द करने की घोषणा की है, उसके लिए मैं आपको साधूवाद देता हूं. पिछले एक साल में 700 से ज्यादा किसान भाइयों की शहादत हो चुकी है.मेरा मानना है कि यह फैसला पहले ही हो जाता तो इतनी जनहानि नहीं होती. मेरी मांग है कि इन किसानों के परिजनों को एक-एक करोड़ का मुआवजा दिया जाए. आंदोलन के दैरान दर्ज मुकदमें रद्द किए जाएं.

वहीं संयुक्त किसान मोर्चा ने पीएम की घोषणा के एक दिन बाद शनिवार, 20 नवंबर को मीटिंग की. इसमें फैसला हुआ कि आंदोलन जारी रहेगा. संयुक्त किसान मोर्चा का कहना है कि जहां भारत के प्रधानमंत्री ने तीन काले कृषि कानूनों को निरस्त करने के अपनी सरकार के फैसले की घोषणा की, वे किसानों की लंबित मांगों पर चुप रहे. किसान आंदोलन में अब तक 670 से अधिक किसान शहीद हो चुके हैं और भारत सरकार ने श्रद्धांजलि देना तो दूर उनके बलिदान तक को स्वीकार नहीं किया. हरियाणा, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, दिल्ली, चंडीगढ़, मध्यप्रदेश और अन्य जगह हजारों किसानों को सैकड़ों झूठे मामलों में फंसाया गया है. उनकी मांग है कि सरकार इन फर्जी मुकदमों को जल्द से जल्द रद्द करे.

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