बीते 17 सालों में तमाम उतार-चढ़ावों के बीच अगर पाकिस्तान क्रिकेट को कोई आगे बढ़ाता रहा है, तो वो ये जोड़ी है. मिस्बाह-उल-हक और यूनिस खान की जोड़ी. दोनों खिलाड़ी अपने देश के लिए हर मोर्चे पर मजबूती से खड़े रहे. दोनों ने न सिर्फ देश के लिए हजारों रन जोड़े, वो टीम के लिए काबिल लीडर्स और मोटिवेटर्स भी रहे. साल 2017 में वेस्ट इंडीज के खिलाफ तीन मैचों की सीरिज के आखिरी मुकाबले में जीत के साथ दोनों ने अपने टेस्ट करियर को अलविदा कहा. ODIs से पहले ही रिटायर हो चुके हैं. एक नजर दोनों से जुड़ी उन बातों पर, जिनके लिए इन्हें याद रखा जाएगा.
मिस्बाह-उल-हक़
#1
इस पाकिस्तानी खिलाड़ी ने साल 2001 में अपने टेस्ट करियर की शुरुआत की और करीब 2010 तक ऐसा कभी नहीं लगा था कि ये खिलाड़ी आने वाले 7 सालों में टीम को इतनी मजबूती देगा. 2001-10 के बीच में पाकिस्तान ने 79 टेस्ट मैच खेले, जिसमें मिस्बाह को 19 मैच खेलने का मौका मिला. 36 साल की उम्र में परिस्थितियां यूं बदलीं कि मिस्बाह को टीम की कमान भी मिल गई. अपने करियर के शुरुआती 9 सालों यानी 2010 तक मिस्बाह ने 33.60 की औसत से सिर्फ 1008 रन बनाए. कप्तानी मिलते ही इस खिलाड़ी ने 8 सेंचुरी, 35 हाफ सेंचुरी के साथ 4225 रन बनाए.

#2
खास बात ये कि मिस्बाह के ये 4225 रन भारतीय महाद्वीप से किसी भी कप्तान के बनाए गए रनों में सबसे ज्यादा हैं. मिस्बाह की इस परफॉर्मेंस से न सिर्फ उनके करियर को नया जीवन मिला, बल्कि पाकिस्तान टीम को भी अपना रिकॉर्ड दुरुस्त करने में मदद मिली. मिस्बाह की कप्तानी में पाकिस्तान ने 57 टेस्ट खेले, जिनमें 26 में जीत मिली.
#3
6 साल की ये कप्तानी पाकिस्तान के क्रिकेट इतिहास में सबसे लंबी है. मिस्बाह-उल-हक ने टीम की कमान इमरान खान और इंजमाम उल हक से भी ज्यादा टाइम तक संभाली. अपनी धरती पर हुए आतंकी हमले के चलते मिस्बाह ने पाकिस्तान की कमान उस समय संभाली, जब ये देश के लिए बुरा दौर था. UAE के मैदानों को होमग्राउंड बनाकर क्रिकेट खेला. न तो अपना क्राउड मिला, न अपनी पिच, न माहौल और न ही इंटरनेशनल क्रिकेट में वो हैसियत. बावजूद इन सबके मिस्बाह-उल-हक की कप्तानी में इस टीम ने विदेशी जमीं पर दुनिया में सबसे ज्यादा जीतें दर्ज कीं. इस मामले में मिस्बाह ने ऑस्ट्रेलिया के लेजेंड्स स्टीव वॉ और रिकी पॉटिंग (19), साउथ अफ्रीकन ग्रीम स्मिथ (23) को भी पीछे छोड़ दिया.
#4
यही नहीं, 42 साल के मिस्बाह भारतीय महाद्वीप से दूसरे सबसे सफल टेस्ट कप्तान हैं. पहला नंबर भारत के एमएस धोनी का है.
#5
24 सितंबर, 2007 का दिन इंडिया और मिस्बाह-उल-हक के लिए बेहद यादगार है. 1983 की विश्व कप जीत के बाद इंडिया पहली बार टाइटल के इतने करीब था. मगर T-20 विश्व कप के फाइनल में पाकिस्तान के कप्तान मिस्बाह के बल्ले से निकला एक-एक रन इंडिया को जीत से दूर ले जा रहा था. जोहन्सबर्ग में हो रहे इस मुकाबले में मिस्बाह ने 38 गेंदों में 43 रन मारे थे. मैच आखिरी ओवर तक गया था और आखिर विकेट मिस्बाह का ही था.

यूनिस खान

#1
साल 2000 में श्रीलंका के खिलाफ अपना टेस्ट करियर शुरू किया था. ये वो खिलाड़ी हैं, जिन्होंने पाकिस्तान क्रिकेट की उस खेप के साथ ड्रेसिंग रूम शेयर किया, जिनका नाम पाकिस्तान के गोल्डन इरा में आता है. राशिद लतीफ, मोइन खान, इंजमाम-उल-हक, वसीम अकरम और सईद अनवर के दौर में शुरुआत हुई थी यूनिस के करियर की.
#2
पाकिस्तान के लिए सबसे ज्यादा टेस्ट रन इसी इंसान के बल्ले से निकले हैं. 10,000 से ज्यादा रन बनाने वाले यूनिस के नाम ही देश में सबसे ज्यादा सेंचुरी भी हैं. इनके नाम 118 टेस्ट मैचों में 10099 रन हैं, 34 सेंचुरी और 33 हाफ-सेंचुरी.
#3
टेस्ट करियर में 52.06 की औसत से रन बनाए हैं. चौथी पारी में भी औसत 50.51 रखना किसी अजूबे से कम नहीं. खुद राहुल द्रविड़ का चौथी पारी में औसत 40 के करीब का है. राहुल द्रविड़ का जिक्र इसलिए क्योंकि यूनिस द्रविड़ को ही अपना बैटिंग आदर्श मानते रहे हैं.
#4
यूनिस इकलौते ऐसे पाकिस्तानी प्लेयर हैं, जिन्होंने हर टेस्ट खेलने वाले देश के खिलाफ सेंचुरी बनाई है. अपने टेस्ट करियर के शुरुआती सालों में टीम से अंदर-बाहर होने के बावजूद ये प्लेयर देश का दूसरा ऐसा खिलाड़ी है, जिसने 4000 टेस्ट रन का आंकड़ा तेजी से पार किया. पहले नंबर पर जावेद मियांदाद हैं. विदेशी जमीं पर यूनिस भरोसेमंद खिलाड़ी रहे हैं.
#5
ODIs में भी 265 बार मैदान पर उतरने के बाद यूनिस ने 7249 रन बनाए और 2015 में रिटायर हो गए. इनका रिकॉर्ड भारत के खिलाफ किसी भी पाकिस्तानी खिलाड़ी के ड्रीम रिकॉर्ड सा है. टेस्ट में इंडिया के खिलाफ यह औसत 88.06 है. इंडिया के खिलाफ खान ने 9 टेस्ट मैचों में 1321 रन बनाए, जिसमें 5 सेंचुरी और 4 हाफ-सेंचुरी शामिल हैं. इंडिया की जमीं पर आकर यूनिस ने 76.80 की औसत से रन ठोके. ODIs में उनकी 7 सेंचुरी में से 3 इंडिया के खिलाफ हैं.
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