उत्तराखंड-उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री और आंध्र प्रदेश के गवर्नर रह चुके एनडी तिवारी. बुढ़ापे में न इधर के रहे न उधर के. 91 साल के इस राजनेता के बारे में फ़िलहाल तो ये ही कहा जा सकता है, क्योंकि उन्होंने सोचा था बीजेपी में शामिल होकर बेटे के लिए राजनीति में जगह बना देंगे. खुद को अपमानित करने की बात कहकर कांग्रेस छोड़ तो बैठे, मगर बीजेपी ने उनके साथ और भी बड़ा धोखा कर दिया. जहां से बेटे को टिकट दिलाना चाह रहे थे वहां से तो छोड़िये, उत्तराखंड में कहीं से मिला ही नहीं. बीजेपी सभी सीटों पर उम्मीदवार उतार चुकी है. ऐसे में ये ही कहना बचता है कि अभी हमने बीजेपी जॉइन नहीं की है. सिर्फ भाजपा अध्यक्ष से मुलाकात हुई थी और चुनाव लड़ने की बात हुई थी.
पीटीआई से बातचीत में रोहित शेखर तिवारी ने कहा, ‘बीजेपी की तरफ से कोई रिस्पांस नहीं मिला है. कहानी अभी बाकी है. हमारे पास ऑप्शन खुले हैं. हम कहीं भी जा सकते हैं.’
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रोहित ने अमित शाह से मुलाकात करने की पूरी कहानी सुनाई है. रोहित का कहना है, ‘मैंने 18 अक्टूबर को बीजेपी नेता और सांसद भगत सिंह कोश्यारी से अपने दिल का हाल कहा था. उनको बताया कि कांग्रेस ने मुझे और पिताजी को बहुत अपमानित किया है. किसा भी प्रोग्राम में पिताजी को नहीं बुलाया जाता है. जबकि वो इतने बड़े नेता हैं. तब मैंने कोश्यारी से कहा था कि अगर बीजेपी में मेरे पेरेंट्स को इज्ज़त मिलती है तो हम बीजेपी में आ सकते हैं.’
हिंदुस्तान टाइम्स के मुताबिक रोहित का कहना है जल्द ही एक प्रेस कांफ्रेस की जाएगी. और ये प्रेस कांफ्रेस दिल्ली, देहरादून या लखनऊ में हो सकती है. हमें दिलासा दिया गया कि आपको लालकुआं से उम्मीदवार बनाया जाएगा. हमने तैयारी शुरू कर दी, मगर ऐसा नहीं हुआ. मेरे पिता का राजनीति में इतना अनुभव है कि वो पार्टी को यूपी और उत्तराखंड में फायदा ही पहुंचाते.
एनबीटी की रिपोर्ट के मुताबिक 22 अक्टूबर को बीजेपी नेता अनिल बलूनी नारायण दत्त तिवारी से मिलने पहुंचे. बलूनी ने उनसे कहा कि हम एक बड़ी रैली करेंगे और उस रैली में आपको पार्टी जॉइन कराएंगे. तभी लालकुंआ सीट से रोहित को टिकट देने की बात कही गई. इसके बाद विजय बहुगुणा और बीजेपी के उत्तराखंड अध्यक्ष अजय भट्ट से भी बात हुई. वो लोग भी चाहते थे कि हम बीजेपी में शामिल हो जाएं.
इन बातचीतों में ही दिसंबर गुजर गया, लेकिन कोई फैसला नहीं हुआ. रोहित का कहना है कि हमें लगा कि अब बहुत देर हो रही है तो हमने यह संकेत देने शुरू किए कि अकेले भी चुनाव लड़ सकते हैं या फिर कोई और पार्टी चुन लेंगे. 15 जनवरी को बीजेपी के नेता श्याम जाजू ने फोन किया. और फिर अमित शाह से मुलाकात के लिए बुलाया गया. लालकुंआ से किसी और टिकट दिया चूका था तब हमने रामनगर या हल्द्वानी से चुनाव लड़ाने की बात की. लेकिन अमित शाह ने साड़ी बात गोलमोल ही रखी कुछ भी क्लियर नहीं किया. जिस तरह स्वागत किया उससे लगा था कि कोई बड़ी जिम्मेदारी दी जाएगी, लेकिन उसके बाद कुछ नहीं बताया गया. इसे लेकर पिताजी भी नाराज थे.
रोहित का कहना है कि मैं सत्ता में तो इसी साल आऊंगा, भले ही कैसे भी.हमने बीजेपी जॉइन नहीं की. अभी हम किसी पार्टी में नहीं है और हम कहीं भी जा सकते हैं. क्योंकि कहानी अभी बाकी है.