पूर्व भारतीय गेंदबाज़ ने लगाया खुद के साथ रंगभेद का आरोप
लक्ष्मण बोले, सालों से ये बर्दाश्त कर रहा हूं.
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लक्ष्मण शिवरामाकृष्णन. पूर्व भारतीय लेग स्पिन गेंदबाज़ और वर्तमान समय के बेहतरीन कॉमंंटेटर. जिन्हें प्यार से लोग और उनके साथी खिलाड़ी एलएस के नाम से भी बुलाते हैं. लक्ष्मण ने हाल ही में एक ट्वीट किया है जिसने सोशल मीडिया पर काफी उथल-पुथल मचा दी है. उनके ट्वीट ने भारत और दुनिया भर में फैले रंगभेद के विषय को एक बार फिर छेड़ दिया है. आरोप संगीन है और कटघरे में पूरा समाज है.
सोशल मीडिया पर किसी ने एक ट्वीट किया कि क्रिकेटर्स को उनकी अंग्रेजी को लेकर अकसर आलोचना का पात्र बनना पड़ता है. जिसके जवाब में एलएस ने उनके साथ हुए भेदभाव का ज़िक्र किया और कहा कि उन्हें पूरी जिंदगी अपने रंग को लेकर इसका सामना करना पड़ा है और काफी आलोचना भी सहनी पड़ी है. एलएस ने यहां तक कह दिया कि उन्हें आज भी उनके रंग को लेकर भेदभाव भरे मैसेज आते हैं. एलएस ने अपने ट्वीट में लिखा,
''मुझे अपनी पूरी जिंदगी में अपने रंग को लेकर भेदभाव और आलोचना सहनी पड़ी है. इसलिए अब मुझे इससे फ़र्क भी नहीं पड़ता. ये दुर्भाग्य है कि हमारे खुद के देश में ऐसा होता है.''
लक्ष्मण का ये ट्वीट ऐसे वक्त पर आया है जब इंग्लैंड के एक क्रिकेटर ने क्रिकेट में रेसिज़्म के आरोप लगाए हैं. हाल ही में इंग्लैंड के अंडर-19 के पूर्व कप्तान अज़ीम रफ़ीक़ ने उनके साथ हुए नस्लीय भेदभाव को लेकर इंग्लैंड के यॉर्कशायर क्लब पर काफी संगीन आरोप लगाए हैं. जिसके बाद इंग्लैंड क्रिकेट बोर्ड (ECB) ने क्लब पर किसी भी अंतरराष्ट्रीय मैच के आयोजन करने का अस्थायी बैन लगा दिया है. साथ ही अगर भारतीय क्रिकेट की बात करें तो ये पहला ऐसा मामला नहीं है जब किसी भारतीय खिलाड़ी ने रंगभेद को लेकर उनके साथ हुए भेदभाव पर बात की हो. इससे पहले भारतीय टेस्ट बल्लेबाज़ अभिनव मुकुंद भी इस बारे में खुलकर ट्विटर कर बोल चुके हैं. उन्होंने ट्वीट कर लिखा थाI have been criticised and colour discriminated all my life, so it doesn’t bother me anymore. This unfortunately happens in our own country
— Laxman Sivaramakrishnan (@LaxmanSivarama1) November 26, 2021
'मैं 15 साल की उम्र से अपने देश में और देश के बाहर यात्रा कर रहा हूं. छोटेपन से ही लोगों का मेरे रंग के प्रति जूनून मेरे लिए एक रहस्य बना रहा. कोई अगर क्रिकेट फॉलो करता है तो वह इसे निश्चित रूप से समझेगा. मैं दिन-प्रतिदिन धूप में खेलता हूं और प्रैक्टिस करता हूं लेकिन मुझे कभी भी इस बात पर कोई अफ़सोस नहीं हुआ कि धूप में खेलते-खेलते मैं थोड़ा और काला हो गया हूं.ये इसलिए है क्योंकि मैं जो करता हूं मुझे उससे प्यार है. मैंने आजतक जो भी हासिल किया है वो इसीलिए कि मैं घंटो धूप में प्रैक्टिस करता हूं. मैं चेन्नई से आता हूं जो शायद भारत की सबसी गरम जगह है और मुझे ख़ुशी है कि मैंने अपनी ज्यादातर जवानी क्रिकेट के मैदान पर बिताई है.'लक्ष्मण शिवारामाकृष्णन के इस तरह के आरोपों के बाद एक बार फिर से ये बहस छिड़ गई है कि भारतीय क्रिकेट में भी ऐसी घटनाए होती हैं. रेसिज़्म और भेदभाव जैसी चीज़ें दोनों तरफ से हैं. कई विदेशी खिलाड़ियों ने भारत के खिलाड़ियों के साथ ऐसा बर्ताव किया है. जबकि कई भारतीय खिलाड़ियों ने भी विदेशी खिलाड़ियों को कोई नाम या संज्ञा देकर चिढ़ाया है.