The Lallantop
Advertisement

यूपी के इस वैज्ञानिक के निलंबन को लेकर इतना बवाल क्यों हो रहा है?

निलंबन को नियमों के खिलाफ क्यों बताया जा रहा है?

Advertisement
Img The Lallantop
रिमोट सेंसिंग एप्लीकेशन सेंटर के सबसे सीनियर वैज्ञानिक को सस्पेंड किए जाने के मामले ने तुल पकड़ लिया है.
font-size
Small
Medium
Large
7 जनवरी 2022 (Updated: 8 जनवरी 2022, 06:01 IST)
Updated: 8 जनवरी 2022 06:01 IST
font-size
Small
Medium
Large
whatsapp share
रिमोट सेंसिंग एप्लिकेशन सेंटर (RSAC). एक साइंटफिक बॉडी है जो यूपी सरकार के लिए लखनऊ से काम करती है.  लोकल बॉडीज सेटेलाइट डाटा यूज करती हैं. इन डाटा को आसान बनाकर लोकल बॉडी को उपलब्ध कराना इस सेंटर का काम है. सेटेलाइट डाटा को अन्य प्रकार के डाटा में कंवर्ट किया जाता है, जैसे सेटेलाइट इमेजेस और अन्य चीजें. फिर उसे लोकल बॉडी तक पहुंचाया जाता है. यहां कई वैज्ञानिक काम करते हैं. पिछले साल एक दिसंबर को RSAC के एक्टिंग डायरेक्टर एके अग्रवाल को सस्पेंड कर दिया गया. क्यों किया गया, ये आगे बताएंगे. अभी ये जानिए कि एके अग्रवाल के निलंबन पर क्या हंगामा बरपा है. उत्तर प्रदेश वैज्ञानिक संघ ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर एके अग्रवाल के सस्पेंशन पर नाराज़गी जताई है. कहा है कि ये निलंबन नियमों के खिलाफ है इसलिए इसे तुरंत वापस लिया जाना चाहिए जिससे सेंटर का काम सुचारू रूप से चलता रहे. RSAC यूपी वैज्ञानिक संघ के अध्यक्ष डॉ. एमएस यादव ने मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में कहा है कि एक दिसंबर 2021 को कार्यवाहक निदेशक अजय अग्रवाल का प्रबंधकारिणी समिति के अध्यक्ष सुधाकर त्रिपाठी ने नियम विरुद्ध तरीके से निलंबन कर दिया था. पत्र में लिखा है कि मुख्यमंत्री ही संस्थान की सामान्य सभा के पदेन सभापति और केंद्र की कार्यकारिणी के पदेन अध्यक्ष हैं. ऐसे में कार्यवाहक निदेशक अजय अग्रवाल को केवल मुख्यमंत्री द्वारा ही सामान्य सभा के सभापति की हैसियत से निलंबित किया जा सकता है. संस्थान की प्रबंधकारिणी समिति के अध्यक्ष नियमः निदेशक को निलंबित नहीं कर सकते हैं. Whatsapp Image 2022 01 07 At 12.21.11 Pm (1)एके अग्रवाल क्या कह रहे हैं? पूरे मामले को समझने के लिए दी लल्लनटॉप ने वैज्ञानिक एके अग्रवाल और गवर्निंग बॉडी के चेयरमैन सुधाकर त्रिपाठी से बात की. एके अग्रवाल ने हमें बताया,
मैं यहां 32 साल से साइंटिस्ट हूं. डेढ़ साल पहले, जब हमारे पहले डायरेक्टर रिटायर्ड हुए तो मुझे एक्टिंग डायरेक्टर का चार्ज दिया गया. सबसे सीनियर साइंटिस्ट होने की वजह से मुझे ये चार्ज दिया गया. ये चार्ज चीफ मिनिस्टर ऑफिस से दिया जाता है. हमारे यहां एक चेयरमैन गवर्निंग बॉडी होती है, ये एक तरह से पॉलिटिकल पोस्ट होती है. साढ़े तीन साल पहले इस पोस्ट पर सुधाकर त्रिपाठी की नियुक्ति सीएम ऑफिस की ओर से हुई थी. वो पहले डायरेक्टर को कंट्रोल में लेकर चीजों को अपने हिसाब से चला रहे थे. लेकिन जब मैंने चार्ज लिया तो उसे थोड़ा डायवर्ट किया. उल्टी सीधी हरकतें बंद करवाईं. इससे हमारे और उनके बीच में डिफरेंसेज पैदा होते चले गए. वो अपने हिसाब से काम नहीं करवा पाए हमसे.
उन्होंने आगे बताया,
1 दिसंबर 2021 को मुझे सस्पेंड करके, मेरा कमरा बंदकर मुझे निकलवा दिया. गर्वमेंट बॉडी हमें सपोर्ट कर रही है. मेरी नियुक्ति चीफ मिनिस्टर ने की है. अगर मुझे सस्पेंड करना है या कोई इंक्वारी करनी है तो वही कर सकते थे. इनको पावर नहीं है. लेकिन अपनी पावर के बाहर जाकर सुधाकर त्रिपाठी ने एक्शन लिया.
एके अग्रवाल का कहना है कि चेयरमैन गवर्निंग बॉडी का कार्यकाल कितने साल का हो, ये डिफाइन होना चाहिए. लेकिन इनका टाइम पीरियड डिफाइन नहीं है. उन्होंने आरोप लगाया कि सुधाकर त्रिपाठी उन्हें काम नहीं करने दे रहे थे. आरोपों पर क्या बोले सुधाकर त्रिपाठी? गवर्निंग बॉडी के चेयरमैन सुधाकर त्रिपाठी ने आरोपों का जवाब दिया है. उन्होंने दी लल्लनटॉप से बातचीत में कहा,
ये गुमराह कर रहे हैं कि एक्टिंग डायरेक्टर को निलंबित किया गया है. जबकि ऐसा नहीं है. मैंने जो एके अग्रवाल का मूल पद है वैज्ञानिक एसजी का, उससे उन्हें सस्पेंड किया है. क्योंकि नियुक्ति प्राधिकारी का दायित्व इस समय मेरे पास है. मैंने उन्हें उनके मूल पद से निलंबित किया है.
निलंबन क्यों हुआ? गवर्निंग बॉडी के चेयरमैन सुधाकर त्रिपाठी ने इस सवाल के जवाब में एके अग्रवाल पर आरोपों की झड़ी लगा दी. उनका आरोप है कि वैज्ञानिक एसजी के रूप में कार्यरत रहते हुए एके अग्रवाल 29 लाख की एक मशीन का फर्जी एस्टिमेट लेकर उसका अप्रूवल कराना चाहते थे. सुधाकर त्रिपाठी ने कहा,
मैंने इससे मना किया. कहा कि बड़ा अमाउंट है, इसे गवर्निंग बॉडी कराएगी. इन्होंने फिर भेजा, मैंने फिर मना किया. इस बीच इनको एक्टिंग डायरेक्टर का चार्ज मिल गया. मैंने पूछा कि मशीन कहां है, मंगाइए. मैंने परीक्षण कराया तो मशीन सही काम कर रही थी. वैज्ञानिक जो जांच के लिए गया था उसने रिपोर्ट दी थी कि मशीन परफेक्ट काम कर रही है. यानी फर्जी बिल बनवा रहे थे.दूसरा ये है कि वैज्ञानिक एसजी के नाते टूर प्रोग्राम हो सीएल हो या छुट्टी. अपने सक्षम अधिकारी से अप्रूवल लेना चाहिए. ये पहले बिना बताए छुट्टी पर चले गए. 20 दिनों बाद अपने आप सैलरी भी निकाल ली. फिर यही काम किया. छुट्टी की एप्लिकेशन भी नहीं देते थे. मूलपद के अलावा इन्हें एक्टिंग डायरेक्टर के तौर पर किसी तरह का अतिरिक्त लाभ नहीं मिला था, लेकिन ये अपनी गाड़ी का अलाउंस भी ले रहे थे. कई वित्तीय अनियमितता थी. तमान प्रशासनिक अनियमितताएं लगातार कर रहे थे. चेतावनी देने के बाद भी नहीं माने तो मुझे कार्रवाई करनी पड़ी.
हालांकि एके अग्रवाल इन आरोपों पर कहते हैं,
जो साइंटिस्ट थे वो फिल्ड में गए थे. उन्होंने बताया कि इंस्ट्रूमेंट खराब है, तो हमने उसे फॉर्वड किया. ये तब कि बात है जब मैं डायरेक्टर नहीं था. उस समय के डायरेक्टर ने उसे फर्म को भेज दिया. फर्म ने एक एस्टीमेंट दिया. ये 29 लाख का था. तो ये हमारे पावर में नहीं था. जब मैं डायरेक्टर बना तो मैंने कहा कि कमेटी नियम के अनुसार खरीद करे. इसके बाद इसे अप्रूवल के लिए भेजा गया. इस बीच उस साइंटिस्ट ने इंस्टूमेंट ठीक कराके चालू कर दिया. अब मेरे ऊपर ये आरोप लगते हैं कि जो इंस्टूमेंट सही था उसे मैं ठीक क्यों करना चाहता था. लेकिन प्रोसिजर से रिलेटेड कोई गलती नहीं हुई थी.
एके अग्रवाल ने गाड़ी और अलाउंस के आरोपों पर भी जवाब दिया. उन्होंने कहा कि डायरेक्टर को गाड़ी मिलती है तो मैं भी गाड़ी यूज करता हूं. उसी तरह सबको अलाउंस मिलता है तो मैं भी अलाउंस लेता हूं. सुधाकर त्रिपाठी ने कहा कि उन्होंने निलंबित वैज्ञानिक एसजी को चार्जशीट दी है. वो जवाब देंगे. जांच अधिकारी नियुक्ति किए गए हैं. उनकी रिपोर्ट के आधार पर आगे की कार्रवाई होगी. क्या निलंबन सिर्फ सीएम ही कर सकते हैं? इस सवाल के जवाब में सुधाकर त्रिपाठी का कहना है, 'नहीं. यहीं तो गुमराह कर रहे हैं. एक्टिंग डायरेक्टर का चार्ज गवर्निंग बॉडी के चेयरमैन के द्वारा ही आगे बढ़ाया जाता है. चूंकि ये मूलपद से निलंबित हुए हैं, ऐसे में अगर इनके पास कोई अतिरिक्त चार्ज है तो वो चार्ज तो अपनेआप खत्म हो जाता है.' दोनों ही अधिकारी एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगा रहे हैं. सच क्या है ये जांच के बाद ही सामने आएगा.

thumbnail

Advertisement

election-iconचुनाव यात्रा
और देखे

Advertisement

Advertisement

Advertisement