कैथलिक बिशप जोसेफ कल्लारंगत द्वारा कथित नारकोटिक जिहाद पर दिए गए विवादास्पद बयान से केरल में बवाल हो गया है. हालांकि कैथलिक चर्च और बीजेपी ने बिशप का समर्थन किया है. वहीं सत्ताधारी CPI(M) और कांग्रेस ने बिशप के बयान की निंदा की है. कैथलिक संगठनों और चर्च के मुखपत्र दीपिका और कई साथी बिशप ने बिशप जोसेफ कल्लारंग के बयान का समर्थन किया.
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, केरल कैथोलिक बिशप काउंसिल (KCBC) ने शनिवार, 11 सितंबर को एक बयान में कहा कि बिशप के शब्द किसी समुदाय के लिए नहीं थे. वह समुदाय की चिंताओं को साझा कर रहे थे. इसे विवादास्पद नहीं बनाया जाना चाहिए. इसके बजाय इस पर गंभीरता से बहस की जानी चाहिए. KCBC ने कहा कि नार्कोटिक माफिया के खिलाफ सभी समुदाय को लड़ना चाहिए. सरकार को नार्कोटिक माफिया की जांच करनी चाहिए.
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, बिशप जोसेफ के बयान के एक दिन बाद मुस्लिम समुदाय के सैकड़ों लोगों ने पलाई में बिशप के घर तक विरोध मार्च निकाला था. इसके एक दिन बाद कैथोलिक ग्रुप के लोगों ने बिशप के समर्थन में रैली निकाली और समर्थन का वादा किया.
क्या कहा था बिशप ने?
बुधवार, 8 सितंबर को कोट्टायम जिले के एक चर्च में श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए बिशप ने कहा था,
नारकोटिक्स जिहाद गैर-मुसलमानों, खासकर युवाओं को नशे का आदी बनाकर उनका जीवन खराब कर रहा है. ‘कट्टर जिहादियों’ द्वारा चलाए जा रहे आइसक्रीम पार्लरों, होटलों और जूस कॉर्नर में तरह-तरह के नशीले पदार्थों का इस्तेमाल किया जा रहा है.
शनिवार, 11 सितंबर को विदेश राज्य मंत्री और बीजेपी के सीनियर नेता वी मुरलीधरन ने कहा,
बिशप जोसेफ कल्लारंगत को अप्रिय सत्य बोलने के लिए लक्षित किया जा रहा है. बिशप ने किसी समुदाय का अपमान नहीं किया है. उन्होंने केरल में ईसाई समुदाय की चिंताओं को उठाया है. यह मत सोचो कि बिशप पर हमला कर उन्हें चुप कराया जा सकता है. जो लोग बिशप को निशाना बना रहे हैं उन्हें यह महसूस करना चाहिए कि कॉलेज के एक प्रोफेसर (ईशनिंदा के आरोप में) की हथेली काटने के बाद से स्थिति बहुत बदल गई है. तब केवल एक मंद विरोध देखा गया था. जिहादियों का समर्थन करने वालों को समझना चाहिए कि इस बार स्थिति अलग होगी.
शनिवार, 11 सितंबर को अपने संपादकीय में बिशप के बयान का समर्थन करते हुए कैथोलिक दैनिक ‘दीपिका’ ने लिखा,
बिशप ने जो मुद्दा उठाया है वह चर्च और विश्वासियों की चिंता है. यह सोचना मूर्खता होगी कि एक अप्रिय सत्य बोलने वाले बिशप को धमकी और विरोध से चुप कराया जा सकता है. तुष्टिकरण की राजनीति ने केरल को आतंकवाद की नर्सरी में बदल दिया है.
इससे एक दिन पहले केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने बिशप के बयान पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा था,
पहली बार नार्कोटिक जिहाद के बारे में सुन रहे हैं. नशीले पदार्थों को धार्मिक रंग देने की जरूरत नहीं है. समाज के उच्च तबके के लोगों को इस तरह की टिप्पणियों से समाज में दरार पैदा करने से बचना चाहिए.
वहीं विपक्ष के नेता डीवी सतीसन ने संघ परिवार की आलोचना करते हुए आरोप लगाया कि वह बिशप के कमेंट पर सांप्रदायिक तनाव फैलाने की कोशिश कर रहा है.मुस्लिम और ईसाई समुदायों को उस एजेंडे में नहीं फंसना चाहिए.
सतीसन ने कहा,
एक पक्ष मुस्लिम विरोधी भावनाएं पैदा करने की कोशिश कर रहा है.केरल का सामाजिक ताना-बाना नहीं टूटना चाहिए. धर्म के आधार पर अपराधों की गिनती करना और इस तरह के अपराधों के लिए एक समुदाय विशेष पर दोष मढ़ना अक्षम्य है.
वहीं न्यूज एजेंसी PTI के मुताबिक, कोट्टायम स्थित मुस्लिम संगठन महल्लु मुस्लिम समन्वय समिति ने बिशप के खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज कराई है. शिकायत में आरोप लगाया गया है कि कल्लारंगत ने जानबूझकर समाज का सांप्रदायिक आधार पर ध्रुवीकरण करने के लिए बयान दिया.
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