गलवान में चीनी सैनिकों के झंडा फहराने के पीछे का पूरा सच ये है
गलवान में चीनी झंडा फहराए जाने पर बहुत चौड़ा हो रहा था ग्लोबल टाइम्स.
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चीन (China) के सरकारी अखबार कहे जाने वाले ग्लोबल टाइम्स ने हाल में एक बड़ा दावा किया. उसने चीनी सैनिकों के एक वीडियो के हवाले से कहा कि उन्होंने भारतीय सीमा के नजदीक गलवान क्षेत्र में चीन का झंडा फहराया है. इसके बाद सोशल मीडिया पर खूब बवाल मचा. विपक्ष ने सरकार का घेराव भी किया. लेकिन इंडिया टुडे को मिली ताज़ा जानकारी के मुताबिक चीन का ये दावा भ्रामक है. रिपोर्ट कहती है कि जिस जगह ये झंडा फहराया गया है, वो बफर ज़ोन से दूर है. भारतीय सेना ने LAC पर तैनात सैनिकों की तिरंगे के साथ एक तस्वीर जारी कर इसकी पुष्टि भी की.
🇨🇳China’s national flag rise over Galwan Valley on the New Year Day of 2022.
This national flag is very special since it once flew over Tiananmen Square in Beijing. pic.twitter.com/fBzN0I4mCi
— Shen Shiwei沈诗伟 (@shen_shiwei) January 1, 2022
चीनी मीडिया ने PLA के सैनिकों का वीडियो ट्विटर पर शेयर किया था. लेकिन इंडिया टुडे से जुड़े अभिषेक भल्ला की रिपोर्ट के मुताबिक भारतीय सेना से जुड़े सूत्रों ने इसे झूठा करार दिया है. उन्होंने बताया कि ये वीडियो बफर ज़ोन से करीब 2 किमी दूर बनाया गया है. नए साल के मौके पर खींची गई भारतीय सैनिकों की तस्वीर भी नो-पेट्रोल जोन से बाहर की है. इन तस्वीरों में LAC पर बर्फ से ढकी चट्टानों पर तैनात भारतीय सैनिक तिरंगे के साथ दिखाई दे रहे हैं.
नए साल के मौके पर LAC पर तिरंगे के साथ भारतीय सैनिक
साल 2020 में खबरें आई थीं कि गलवान क्षेत्र के पेट्रोल पॉइंट (PP14) के नजदीक चीन ने अपनी सैन्य पोस्ट बना ली है. भारतीय सैनिकों ने इसका विरोध किया था. इसके बाद 15 जून 2020 को दोनों देशों की सेनाओं के बीच खूनी झड़प हुई थी. इसमें 16वीं बिहार रेजिमेन्ट के कर्नल संतोष बाबू समेत 20 भारतीय सैनिक शहीद हो गए थे.
बाद में दोनों सेनाओं के रक्षा अधिकारियों ने आपसी सहमति से भविष्य में इस तरह की घटना से बचने के लिए LAC पर एक बफर ज़ोन (Buffer Zone) निश्चित किया. इसके साथ ही PP14 तक के इलाके को नो-पेट्रोलिंग क्षेत्र भी घोषित किया गया. समझौते के मुताबिक दोनों ओर से सेनाएं बफर ज़ोन से 1.5 किमी पीछे हट गईं. हालांकि इसके बाद भी LAC पर दोनों तरफ के सैनिक तैनात हैं, लेकिन किसी ने बफर ज़ोन में प्रवेश नहीं किया.
बफर ज़ोन दो देशों के सीमा विवाद से जुड़ा वो इलाका होता है जहां दोनों में से किसी की भी सेना गश्त नहीं कर सकती. हालांकि दोनों पक्षों के बीच सहमति होने पर बफर जोन में साझा गश्त की जा सकती है. इसके अलावा बफर जोन में दोनों देशों की तरफ से किसी भी तरह का सैन्य निर्माण प्रतिबंधित होता है. टकराव को रोकने के लिए बफर जोन को प्रभावी तरीका माना जाता है. अरुणाचल में बदला 15 इलाकों का नाम पिछले एक हफ्ते में चीन ने कई बार भारत के खिलाफ उकसावे वाली हरकतें की हैं. बीती 30 दिसंबर को उसने अरुणाचल प्रदेश में 15 इलाकों के नाम बदल दिए थे. कहा था कि अब इन्हीं नामों का इस्तेमाल चीन के आधिकारिक नक्शे में किया जाएगा. इनमें 8 आवासीय क्षेत्र, 4 पहाड़, 2 नदियां और 1 माउंटेन पास शामिल हैं.
चीन के नाम बदलने के ऐलान के बाद भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा कि ऐसे नाम रखने से ये तथ्य नहीं बदलेगा कि अरुणाचल प्रदेश भारत का हिस्सा है. आजतक की खबर के मुताबिक 31 दिसंबर को विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा, “ये पहली बार नहीं है जब चीन ने अरुणाचल प्रदेश राज्य में जगहों के नाम बदलने को कोशिश की है. चीन ने अप्रैल 2017 में भी नाम बदलने का प्रयास किया था… अरुणाचल प्रदेश भारत का अभिन्न अंग है, ये सच कभी नहीं बदलेगा.”