प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और वित्त मंत्री अरुण जेटली ने बजट में दावा किया है कि वो अगले चार साल में किसानों की आय दोगुनी कर देंगे. इसके लिए किसानों को उनकी सभी फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य मिलेगा. सरकार ने ये भी दावा किया है कि ये न्यूनतम समर्थन मूल्य फसलों की लागत का कम से कम डेढ़ गुना होगा. किसानों की आय दोगुनी कैसे होगी, ये तो उन किसानों को भी अभी तक नहीं पता है. उन्हें तो बस यही लग रहा है कि मोदी जी ने कहा है तो हो ही जाएगा. कुछ बड़े-बड़े अर्थशास्त्रियों को भी लग रहा है कि हां हो जाएगा. लेकिन एक और बड़े अर्थशास्त्री हैं, जिन्होंने कहा है कि ऐसा नहीं हो पाएगा. ये अर्थशास्त्री हैं देश के पूर्व प्रधानमंत्री, देश के पूर्व वित्त मंत्री, रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर जनरल और देश-दुनिया के बड़े अर्थशास्त्रियों में शुमार मनमोहन सिंह.
मनमोहन सिंह ने कहा है कि 2022 तक किसानों की आमदनी दोगुनी करना संभव नहीं है. इसकी वजह भी उन्होंने बताई है. कहा है कि जब तक कृषि की विकास दर 12 फीसदी तक नहीं पहुंचती, किसानों की आमदनी दोगुनी हो ही नहीं सकती है. केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय ने 2016-17 के आकलन में बताया था कि भारत की कृषि विकास दर 4.9 फीसदी है. वहीं 2017-18 के लिए इस दर के आधे होने की बात कही गई है.
केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय ने कहा है कि इस साल कृषि की विकास दर 2.1 फीसदी ही रहेगी. इसी आंकड़े को लेकर मनमोहन सिंह ने कहा कि अभी तो विकास दर 2.1 फीसदी है. जब ये 12 फीसदी पर पहुंचेगी, तभी किसानों की आमदनी दोगुनी होगी. ऐसे में अगले चार साल में ये संभव नहीं दिख रहा है. पीएम मोदी और वित्त मंत्री जेटली की बातों को कोरा आश्वासन बताते हुए मनमोहन सिंह ने कहा कि सरकारी घाटा बढ़ता जा रहा है. ऐसे में सरकार अपने वादे पूरे कर ही नहीं सकती है.
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