आयुष मंत्रालय विवादों में है. इसके सचिव वैद्य राजेश कोटेचा पर एक ट्रेनिंग सेशन में गैर हिंदी भाषी डॉक्टरों से चले जाने को कहने का आरोप लगा है. यह आरोप तमिलनाडु के योग और नेचुरोपैथी के डॉक्टरों ने लगाया है. इन डॉक्टरों ने इस बात पर आपत्ति जताई थी कि ट्रेनिंग सेशन अंग्रेजी के बजाए हिंदी में किया जा रहा है. इस ट्रेनिंग सेशन में करीब 300 लोग शामिल हुए थे. तमिलनाडु से 37 प्रतिभागी इसका हिस्सा थे. डॉक्टरों के आरोप के बाद तमिलनाडु के सांसदों ने सरकार से आयुष सचिव को सस्पेंड करने की मांग की है. अभी तक सरकार की ओर से इस बारे में कोई बयान नहीं आया है.
क्या है मामला
डॉक्टरों के हवाले से डेक्कन हेराल्ड अखबार ने लिखा है कि तीन दिन का ट्रेनिंग सेशन था. लेकिन इसमें केवल चार सेशन ही अंग्रेजी में थे. बाकी सब हिंदी में थे. उन्होंने बार-बार कहा कि ये सेशन अंग्रेजी या दोनों पक्षों के समझ में आने वाली भाषा में कराए जाएं. लेकिन किसी ने कोई ध्यान नहीं दिया. बाद में उनसे कहा गया कि वे सेशन छोड़कर जा सकते हैं. आरोप लगा रहे डॉक्टरों ने आयुष सचिव वैद्य राजेश कोटेचा का एक वीडियो भी रिलीज किया. इसमें कोटेचा ने कहा कि वे अच्छे से अंग्रेजी नहीं बोल सकते. वे यह कहते सुनाई देते हैं,
पिछले दो दिन से इस इवेंट में शामिल होने वाले सभी लोगों को वे बधाई देते हैं. एक समस्या है… लोग जा सकते हैं… मुझे अंग्रेजी अच्छे से नहीं आती. इसलिए मैं हिंदी में बोलूंगा.
Ridiculous .This is the arrogance of these hindi officials. The calibre of a union Ayush ministry secretary who states he cannot speak in english, asks the participants to leave if they can’t understand hindi.Govt. servants get paid by the tax which is collected from citizens. pic.twitter.com/wSQYpD6MoO
— Ramesha C.S (@csramesha) August 21, 2020
तमिलनाडु के नेताओं ने जताया ऐतराज़
तमिलनाडु के नेताओं ने इस मामले पर कड़ी प्रतिक्रिया दी हैं. तूतूकुडी से डीएमके सांसद कनिमोझी ने आयुष सचिव वैद्य राजेश कोटेचा को सस्पेंड करने की मांग की. उन्होंने ट्वीट किया और सचिव के बयान की आलोचना करते हुए केंद्र सरकार से अनुशासनात्मक कार्रवाई करने को कहा. उन्होंने लिखा,
आयुष मंत्रालय के सचिव वैद्य राजेश कोटेचा ने एक ट्रेनिंग सेशन के दौरान कहा कि गैर हिंदी भाषी प्रतिभागी सेशन से जा सकते हैं. यह बयान हिंदी थोपे जाने के दबदबे को दिखाता है. इसकी कड़ी आलोचना होनी चाहिए.
My letter to the Honorable Union Minister @shripadynaik on the reported hindi imposition.#StopHindiImposition pic.twitter.com/Wzlib2f9fl
— Kanimozhi (கனிமொழி) (@KanimozhiDMK) August 22, 2020
उन्होंने आगे लिखा,
सरकार को सचिव को सस्पेंड कर देना चाहिए और उनके खिलाप जरूरी अनुशासनात्मक कार्रवाई करनी चाहिए. कब तक हिंदी न बोलने वालों को बाहर करने का बर्ताव सहन किया जाएगा.
Govt should place the Secretary under suspension and initiate appropriate disciplinary proceedings. How long is this attitude of excluding non Hindi speakers to be tolerated ?
2/4
— Kanimozhi (கனிமொழி) (@KanimozhiDMK) August 22, 2020
कांग्रेस सांसद कार्ति चिदंबरम ने भी कनिमोझी की मांग का समर्थन किया. उन्होंने भी हिंदी बोले जाने की जबरदस्ती को अस्वीकार्य बताया. तमिलनाडु की शिवगंगा सीट से सांसद कार्ति ने लिखा,
आयुष ट्रेनिंग में हिंदी के जरिए तमिलनाडु के नुमाइंदों को नज़रअंदाज़ किया. अंग्रेजी न आना समझा जा सकता है लेकिन हिंदी नहीं जानने वालों को जाने को कहने और हिंदी बोलने पर जोर देने के अहंकार को स्वीकार नहीं किया जा सकता.
एक्टर और राजनेता कमल हासन ने भी इस मसले पर अपनी राय रखी. उन्होंने कहा कि सरकार को सबके समझ में आने वाली भाषा अपनानी चाहिए, उन्होंने लिखा,
आयुष मंत्रालय के अधिकारी हमारी दवाओं को कैसे समझेंगे जब वे हमारी तमिल भाषा को ही नहीं समझते. यह हमारे डॉक्टरों की उदारता है कि उन्होंने उनसे सवाल नहीं किया. सरकार को ऐसी भाषा में काम करना चाहिए जो सबको समझ आए. यह हिंदी सरकार नहीं है. मत भूलिए कि यह भारतीय सरकार है.
महीने की शुरुआत में भी हुआ था विवाद
बता दें कि इस अगस्त के शुरुआत में भाषा के मसले पर विवाद हुआ था. कनिमोई ने आरोप लगाया था कि जब उन्होंने एक सीआईएसएफ अधिकारी से तमिल या अंग्रेजी में बात करने को कहा, तो उसने सवाल किया कि वह भारतीय हैं या नहीं. मामला सामने आने के बाद सीआईएसएफ ने जांच के आदेश दिए थे.
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