वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने Union Budget 2025-26 में (Nirmala Sitharaman Budget 2025) में Income Tax को लेकर बड़ी घोषणा की. 12 लाख तक की सलाना कमाई करने वाले को अब कोई इनकम टैक्स नहीं देना है. लेकिन इसके पहले उन्होंने गाड़ियो को लेकर भी बड़ी राहत दी है. इलेक्ट्रिक गाड़ियां भी सस्ती होंगी क्योंकि इसमें इस्तेमाल होने वाली लिथियम आयन (lithium-ion) बैटरी सस्ती होने वाली है. इसके ऊपर लगने वाली basic Customs Duty (BCD) को कम किया गया है. अब ये कोई छिपी हुई बात तो है नहीं कि इलेक्ट्रिक कारें और स्कूटर आम गाड़ियों के मुकाबले महंगी हैं. नई घोषणा से इनकी बिक्री को स्पीड मिलेगी. ऐसे में ये जानना तो बनता है कि आखिर (lithium-ion) बैटरी का इतना भौकाल क्यों है.
Budget 2025 से EV वालों को बड़ा फायदा, जिस चीज के बिना गड्डी नहीं चलती वो सस्ती हो गई
Union Budget 2025-26 में lithium-ion बैटरी पर लगने वाली Basic Customs Duty (BCD) को कम किया गया है. अब ये कोई छिपी हुई बात तो है नहीं कि इलेक्ट्रिक कारें और स्कूटर आम गाड़ियो के मुकाबले महंगी हैं. नई घोषणा से इनकी बिक्री को स्पीड मिलेगी. ऐसे में ये जानना तो बनता है कि आखिर (lithium-ion) बैटरी का इतना भौकाल क्यों है.

मगर पहले जरा basic Customs Duty (BCD) का गणित जान लीजिए. Li-ion बैटरी के लिए पूरी दुनिया अभी भी चीन पर निर्भर है. बैटरी और उसके कंपोनेंट्स का बड़ा हिस्सा यहीं से आयात होता है. इसमें इस्तेमाल होने वाले लीथियम, जिंक जैसे कई उत्पादों पर 2.5 से 10 फीसदी कस्टम ड्यूटी लगती है. क्योंकि अब इसको पूरी तरह से हटा दिया गया है तो उम्मीद है कि इसका असर बैटरी की कीमतों पर दिखेगा.
lithium-ion का पूरा तिया-पांचा'Remember The Name', 2016 के वर्ल्ड T20 फाइनल में Ian Bishop की Carlos Brathwaite को बोली गई ये लाइन आपको याद होगी. बस ऐसे ही एक और नाम याद कर लीजिए. लिथियम आयन (lithium-ion) यही वो बैटरी है जो इलेक्ट्रिक स्कूटर्स से लेकर स्मार्टफोन, इलेक्ट्रॉनिक्स से लेकर कार और इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन तक में इस्तेमाल होती है. 1991 में सोनी के वीडियो रिकॉर्डर में पहली बार इस्तेमाल होने से लेकर आजतक लिथियम आयन बैटरी सबकी फेवरिट बनी हुई है. टेसला (Tesla) ने 2008 में Roadster के साथ बैटरी पावर वाली कार मार्केट में उतार कर गेम ही बदल दिया.
ये तो हो गया लिथियम आयन बैटरी का परिचय. अब चलते हैं इसके अंदर. लीथियम आयन बैटरी रिचार्जेबल होती है. कैमिस्ट्री में अभी तक 118 एलिमेंट्स की खोज हुई है जिनमें लीथियम का एटॉमिक नंबर 3 है. इसमें 3 इलेक्ट्रॉन, 3 प्रोटॉन और 4 न्यूट्रॉन होते हैं. जिसकी वजह से इसका मास बहुत कम होता है. इलेक्ट्रॉनिक कॉन्फिग्रेशन के हिसाब से समझें तो लीथियम की बाहरी सेल में एक इलेक्ट्रॉन होता है जिसे लूज करके लीथियम आयन Li+ बनता है. लीथियम आयन बैटरी Alessandro volta के बनाए सेल के कंसेप्ट पर काम करती है. लिथियम आयन शॉर्ट में बोले तो Li-ion बैटरी का जलवा कितना ज्यादा है इसका अंदाजा बस इसी बात से लग जाएगा कि 2019 में रसायन विज्ञान के क्षेत्र का नोबेल पुरस्कार जिन तीन वैज्ञानिकों को दिया गया था, उन्होंने ही इस लीथियम आयन बैटरी का अविष्कार किया. जॉन बी गुडइनफ़, एम स्टेनली व्हिटिंगम और अकीरा योशिनो, जिन्होंने दुनिया को इस रिचार्जेबल बैटरी का तोहफा दिया. अब इसके आगे कुछ कहने की जरूरत नहीं फिर भी आपकी जानकारी के लिए हम बता देते कि Li-ion बैटरी बड़ी मात्रा में करंट प्रवाहित कर सकती है. लोअर मैंटेनेंस इनकी खासियत है. साथ में इनकी सेल्फ डिस्चार्ज साइकल भी कम है, सिर्फ 1.5-2 प्रतिशत प्रति महीने. कम वज़न होना भी इनको किसी भी जगह आसानी से उपयोग में लाने लायक बना देता है. अब जब इतना कुछ अच्छा-अच्छा है तो भला क्यों ये लोगों की पसंद नहीं बनेगी.
नया खिलाड़ी भी आ गया हैएक नए किस्म की बैटरी (Silicon-Carbon Battery) आ गई है. नए तरह की बैटरी जिसमें परंपरागत लिथियम आयन की जगह सिलिकॉन और कार्बन का इस्तेमाल किया गया है. ऐसा नहीं है कि इस तकनीक से बनी बैटरी Li-ion को खत्म ही कर देगी मगर फिर भी इससे स्मार्टफोन को काफी फायदा होगा. इस बैटरी को लगाने से फोन में ज्यादा जगह मिलेगी या फिर ज्यादा ताकत. आसान भाषा में कहें तो परंपरागत बैटरी के मुकाबले 12.8 फीसदी एक्स्ट्रा ताकत मिलेगी. माने कि अगर एक फोन में 4000 mAh की Li-ion बैटरी लगी है और उसकी जगह silicon-carbon कार्बन बैटरी लगा दी तो कुल ताकत 4512 mAh हो जाएगी.
वैसे अभी इसका इस्तेमाल स्मार्टफोन में ही होता है मगर जल्द ही इसको कारों में भी फिट किया जाएगा.
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