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पाकिस्तान से जलने की जगह हमें उनकी तारीफ़ करनी चाहिए!

पाकिस्तान ने सच में कमाल किया है

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पाकिस्तान क्रिकेट टीम (फोटो - AP)

पाकिस्तान क्रिकेट टीम. हाल ही में हुए T20 वर्ल्ड कप के फाइनल में हार गई. इस हार के बाद से तमाम बातें चल रही हैं. मतलब सोशल मीडिया पर मिश्रित माहौल है. कई लोग पाकिस्तान से नाखुश हैं. तो कई लोगों का कहना है कि टीम ने अच्छा किया. जिस दौर से पाकिस्तान और उनका क्रिकेट, गुजर रहे हैं ऐसे में यह प्रदर्शन बहुत शानदार है.

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और आज चर्चा पाकिस्तान क्रिकेट टीम और उनके प्रदर्शन की.

# Pakistan Cricket Team

श्रीलंका पर हुए आतंकी हमलों के बाद पाकिस्तान क्रिकेट को गहरी चोट पहुंची. टीम्स ने पाकिस्तान आने से मना कर दिया. सालों बाद आखिरकार उनके देश में इंटरनेशनल क्रिकेट लौटा. इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों ने पाकिस्तान का दौरा किया. इन दौरों से पहले पाकिस्तानी क्रिकेट बहुत बुरे दौर में थी. ये अपने घरेलू मुकाबले खेलने के लिए UAE जाते थे.

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इस दौर के बारे में शाहिद अफरीदी ने पाकिस्तानी चैनल समा टीवी से कहा,

'वह मुश्किल वक्त बीत चुका है. टीम्स ने अब पाकिस्तान का दौरान करना शुरू कर दिया है. ऑस्ट्रेलिया आई, इंग्लैंड आई. ये वो चीजें थीं जो हमारे लोग मिस करते थे. हमारे मैदानों में शादियां कराई जाती थीं. यह पाकिस्तान क्रिकेट के लिए मुश्किल वक्त था. हम अपने लोगों को मिस करते थे. लोगो ने इसके लिए बहुत मेहनत की. बहुत सारा एफर्ट डाला. बोर्ड, सरकार. उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.

हम बाहर कोई लीग या काउंटी खेलने जाते थे तो क्रिकेटर्स को समझाने की कोशिश करते थे, कि उनकी मदद के साथ हम पाकिस्तान में इंटरनेशनल क्रिकेट को वापस ला सकते हैं. जब क्रिकेट लौटा, तो पाकिस्तान की ओर से अच्छा संदेश गया कि हम एक खेलप्रेमी देश हैं और हम यहां क्रिकेट खेलना और देखना चाहते हैं.'

इस दौर से जूझते हुए पाकिस्तानी क्रिकेट टीम ने हिम्मत नहीं हारी. वो खेलते रहे. और अपने प्रदर्शन से लोगों को चौंकाते रहे. हालांकि उनका बीता एक साल सिर्फ निराशा से भरा रहा है. इस दौरान वह वर्ल्ड कप का सेमीफाइनल हारे. अपने ही घर में ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड से हारे. एशिया कप का फाइनल हारे, भारत-ज़िम्बाब्वे से हारे और अब वर्ल्ड कप का फाइनल भी हार गए.

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लेकिन इसके बाद भी उन्होंने तक़रीबन हर बार अपने प्रदर्शन से लोगों को चौंकाया. बहुत दूर मत जाइए. इसी वर्ल्ड कप की बात करते हैं. पाकिस्तान अपना पहला ही मैच हार गया. आखिरी ओवर तक खिंचे मुकाबले में विराट कोहली की मास्टरक्लास के दम पर भारत ने जीत दर्ज की. और जिन्होंने भी ये मैच देखा, उन्हें पता है कि वह मैच भारत नहीं... विराट जीते थे.

फिर पाकिस्तानी टीम ज़िम्बाब्वे से भी हार गई. और इसके बाद शुरू हुआ कैल्कुलेटर लेकर यूं होता तो कैसे होता करने का सिलसिला. तमाम सारा गणित लगाया जाने लगा. कई अति-उत्साहित लोगों ने तो पाकिस्तान के बाहर होने का जश्न भी मना लिया. लेकिन पाकिस्तान लौटा. यहां उन्हें थोड़ा भाग्य का साथ भी मिला. नीदरलैंड्स ने साउथ अफ्रीका को हराकर उनका काम आसान कर दिया.

और इसके बाद हुए सेमीफाइनल में उन्होंने न्यूज़ीलैंड को पस्त कर दिया. पाकिस्तान ने यह मैच बेहद आसानी से जीता. हालांकि सात विकेट से आई यह जीत पाकिस्तान की T20 वर्ल्ड कप में आखिरी जीत रही. इसके बाद वह फाइनल में हार गए. इंग्लैंड ने पांच विकेट से मुकाबला जीता. और इसके साथ ही खत्म हुआ T20 वर्ल्ड कप.

कहने को तो लोग यह भी कह रहे कि अगर शाहीन शाह अफरीदी को चोट नहीं लगती, तो पाकिस्तान इतनी आसानी से नहीं हारता. लेकिन अब इफ और बट का वक्त तो निकल गया. सच्चाई यही है कि फाइनल इंग्लैंड जीता. और हारे पाकिस्तान के बल्लेबाज. लेकिन इस हार के बाद भी पाकिस्तान को खुद पर गर्व होना चाहिए.

बाबर आज़म की कप्तानी कई दफ़ा चूकती दिखी, लेकिन वो अभी सीख ही रहे हैं. और एक सच ये भी है कि मैच का रिजल्ट पाकिस्तान की ओर होता तो यही चूकते फैसले बहादुरी में बदल जाते. जिन्हें यकीन नहीं वो 2007 T20 वर्ल्ड कप फाइनल का स्कोरकार्ड देख लें. जोगिंदर शर्मा से लास्ट ओवर फिंकवाना अब कल्ट हो चुका है. लेकिन वही जोगिंदर पिट जाते तो चूक हो जाती.

अब वापस इंडिया वर्सेज पाकिस्तान मैच पर लौटिए. पाकिस्तान के लिए आखिरी ओवर मोहम्मद नवाज़ ने फेंका. अगर नवाज़ मैच निकाल ले जाते तो ये मास्टरस्ट्रोक कहा जाता. मैच नहीं निकला तो ये गलत फैसला हो गया. ज्यादा सोचें ना, 2007 से इसकी तुलना इसलिए की, क्योंकि दोनों मैच के हालात कमोबेश एक ही थे. बस फ़़र्क इतना था कि वहां जोगिंदर थे और यहां नवाज़. और ये सिर्फ इसीलिए थे क्योंकि कहीं ना कहीं दोनों टीम्स के पास ऑप्शन नहीं थे.

उस मैच में भज्जी बुरी तरह मार खाए थे. और इसीलिए उनका एक ओवर बचा रह गया. जबकि भारत के पास दूसरा ऑप्शन यूसुफ़ पठान थे. वहीं पाकिस्तान के पास इस मैच में इफ़्तेखार जैसे ऑप्शन बाकी थे. यानी दोनों टीम्स तक़रीबन एक जैसे हालात में, कम परखे बोलर्स के पास गईं. एक टीम मैच जीत गई तो उसका कप्तान मास्टरमाइंड कहा गया और दूसरे की आलोचना हो रही है.

लेकिन जग की यही तो रीत है. यहां तो कहावत भी जो जीता वही सिकंदर कही जाती है. जो लड़ा वो अंगराज कर्ण नहीं.

शोएब अख़्तर के साथ तो शमी ने गजब खेल कर दिया!

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