कुलदीप यादव (Kuldeep Yadav) को एजबेस्टन टेस्ट (Edgbaston Test) में टीम इंडिया में शामिल किया जा सकता है. हेडिंग्ले में हार के बाद अब टीम इंडिया की नजरें एजबेस्टन में वापसी पर हैं, लेकिन जसप्रीत बुमराह (Jasprit Bumrah) के खेलने को लेकर संशय बरकरार है. एजबेस्टन में अमूमन पिच धीरे-धीरे स्लो हो जाती है. ऐसे में अगर टीम दो स्पिनर्स के साथ उतरने का फैसला करती है तो कुलदीप ही टीम की पहली पसंद होंगे. 2021 में घुटनों की सर्जरी कराने के बाद से कुलदीप ने अपना एक्शन बदल दिया है. हालांकि, उनकी ये जर्नी बहुत आसान नहीं रही. यही कारण है कि रविचंद्रन अश्विन (Ravichandran Ashwin) ने उनमें फ्यूचर देखा और स्पिन लेगेसी को आगे ले जाने की जिम्मेदारी उन्हें दी.
कुलदीप की फिरकी में धार कैसे आई? खुद सुनाई एक्शन बदलने की पूरी कहानी
Kuldeep Yadav को Edgbaston Test में टीम इंडिया में शामिल किया जा सकता है. 2021 में घुटनों की सर्जरी कराने के बाद से कुलदीप ने अपना एक्शन बदल दिया है. उनकी ये जर्नी काफी मुश्किल रही है.

The Indian Express को दिए इंटरव्यू में कुलदीप ने इसके बारे में विस्तार से बताया. कुलदीप की बातचीत से ये स्पष्ट है कि वो बहुत कॉन्फिडेंट हैं. हालांकि, उनका ये कॉन्फिडेंस जिस तरह सर्जरी के बाद उन्होंने चुनौतियों का सामना करने के बाद वापसी की उससे आया है. सर्जरी के बाद मेडिकल टीम ने उन्हें सलाह दी थी कि उन्हें अपना एक्शन बदलना होगा. उनका स्लो रन अप, पिच पर लैंडिंग और फिर मुड़ना उनके फ्रंट लेग पर बहुत दबाव डाल रहा था.
कानपुर में कोच कपिल पांडेय ने जब उन्हें पेसर से स्पिनर बनने की सलाह दी थी, तब से वो इसी एक्शन से बॉलिंग कर रहे थे. कुलदीप शुरुआत में पाकिस्तानी दिग्गज वसीम अकरम की तरह पेसर बनना चाहते थे. उनकी बॉल में स्विंग तो थी, लेकिन स्पीड नहीं थी. कोच ने कुलदीप से बात की और समझाया कि उन्हें स्पिन बॉलिंग ट्राई करनी चाहिए. कोच को इस बात से बहुत आश्चर्य हुआ कि कुलदीप स्पिन के लिए अपनी उंगलियों का इस्तेमाल नहीं कर रहे थे, बल्कि कलाइयों का प्रयोग कर रहे थे. इस तरह 13 साल की उम्र में कुलदीप लेफ्ट आर्म स्पिनर, चाइनामैन बन गए.
अब 15 साल बाद कुलदीप को ये सलाह मिली कि जिस एक्शन से उन्होंने टीम इंडिया में जगह बनाई और टेस्ट कैप हासिल किया, उसे उन्हें बदलना होगा. लेकिन, जैसा कुलदीप ने बताया,
जब कोई डॉक्टर आपको सलाह देता है तो आपको उसे सीरियसली लेना पड़ता है.
नेशनल क्रिकेट एकेडमी के हेड फिजियोथेरेपिस्ट आशिष कौशिक के साथ अपनी बातचीत को याद करते हुए कुलदीप ने कहा, घुटनों की सर्जरी के बाद आशीष कौशिक ने मुझे कहा,
केडी आपने इतने सालों इतनी बॉलिंग की है कि आपके फ्रंट फुट पर बहुत लोड पड़ रहा है. ट्विस्टिंग और टर्निंग के कारण आगे आपके लिए मुश्किलें बढ़ जाएंगी.
कुलदीप के अनुसार, उन्होंने शुरुआत में इस पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया, लेकिन डॉक्टर की बात उनके दिमाग में रह गई.
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कुलदीप का दिमाग अब चलने लगा. शुरुआत में उन्होंने अपना रन अप बढ़ाया, इससे उन्हें अपना एक्शन जल्द फिनिश करने का मौका मिला. इससे उनके फ्रंट फुट का पड़ना और टेकऑफ जल्द होने लगा. घुटनों पर दबाव अब कम पड़ रहा था. उन्होंने बताया,
मैं अपने नए अप्रोच के लिए बहुत श्योर नहीं था. कानपुर लौटने के बाद मैंने कुछ लीग मैच खेले. चलने की जगह अब मैं क्रीज पर दौड़ रहा था. लेकिन, इस तेज एक्शन के कारण मैं अपना बैलेंस नहीं बना पा रहा था. धीरे-धीरे मैंने अपने रनअप का एंगल बदला और थोड़ा सीधा आना शुरू कर दिया. साइड से आने के कारण बैलेंस बनाना थोड़ा मुश्किल हो रहा था.
कोच से पूछने पर उन्होंने कहा कि बॉल में रेव्स जब तक आ रहे हैं, एक्शन बदलने से कोई फर्क नहीं पड़ता. कुलदीप ने बताया,
शुरुआत में थोड़ी परेशानी हुई. एक्शन बदलना बहुत मुश्किल होता है. रिदम लाने में डेढ़ महीने लग गए. एक दिन रिदम मिलती, अगले दिन फिर नहीं मिलती. पूरी तरह से रिदम बनाने में 6 महीने लग गए.
हालांकि, जैसे ही कुलदीप ने रिदम बनाई अब उन्हें एक नई समस्या होने लगी. तेज और आक्रामक रनअप के कारण वो जल्दी थक जा रहे थे. कुलदीप ने बताया,
बदले हुए एक्शन से बॉलिंग करने के लिए बहुत एनर्जी लग रही थी. 4-5 ओवर से ज्यादा मैं बॉलिंग नहीं कर पा रहा था. रनअप तेज था और मेरा अप्रोच आक्रामक. टी-20 में 4 ओवर भी बॉलिंग करने में मुश्किल हो रही थी.
ये वही समय था जब उन्होंने टीम इंडिया में वापसी की. अब रोहित शर्मा टीम के कप्तान थे. रोहित ने कहा कि वो उनसे लंबे स्पेल्स में बॉलिंग कराना चाहते हैं, लेकिन उसी एनर्जी के साथ. कुलदीप ने बताया,
अश्विन ने कही दी बड़ी बातटीम के स्ट्रेंथ और कंडीशनिंग कोच सोहम देसाई ने मुझे ऐसा तैयार किया कि मैंने अपनी एनर्जी बचानी शुरू कर दी. अब मैं 6 ओवर पूरी ताकत के साथ बॉलिंग कर पा रहा था. आपने मैच के दौरान कई बार सुना होगा जब रोहित भाई मुझसे पूछते थे कि थक रहा है क्या? अब मैं आसानी से 8-9 ओवर के स्पेल उसी एनर्जी के साथ डाल सकता हूं. मैंने टेस्ट में 10-12 ओवर के भी स्पेल किए हैं. मुझे लॉन्ग स्पेल बॉलिंग के लिए इतनी एनर्जी लाने में 3 साल लग गए.
कोहली की कप्तानी में कुलदीप ने टेस्ट डेब्यू किया था. विराट ने ही उन्हें ब्लू बैगी सौंपी थी. रोहित वो बड़ भाई थे जो उन्हें समझते थे और जब वो गड़बड़ाते थे डांट लगाते थे. कुलदीप के अनुसार अश्विन उनके मेंटॉर की तरह थे. दोनों बॉलिंग, फील्ड प्लेसमेंट और वैरिएशंस पर घंटों बातचीत करते थे. कुलदीप ने बताया,
अश्विन भाई ने एक बार मेरे कंधे पर हाथ रख ये कहा था कि अब इंडिया की स्पिन लेगेसी को मुझे ही आगे ले जाना है.
हालांकि, इसके लिए उन्हें मैच खेलने की जरूरत है और इसकी शुरुआत एजबेस्टन टेस्ट के साथ होनी चाहिए. अगर कुलदीप को एजबेस्टन में टीम में जगह मिलती है, तो ये पहली बार होगा जब वो विराट कोहली, रोहित शर्मा और आर अश्विन के बिना कोई मैच खेलेंगे.
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