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तारिषी के लिए मरने वाला फराज सच्चा मुसलमान था या आतंकी?

कहीं ऐसा तो नहीं कि फराज की कहानी से कुछ लोगों को चोट पहुंची और वो उसे आतंकी साबित करने में जुट गए.

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अबिंता, फराज और तारिषी.
फराज अयाज हुसैन को जानते हो ? वही फराज जो ढाका के आतंकी हमले में अपनी दोस्त तारिषी जैन और अबिंता कबीर को छोड़ के नहीं गया. और उन दोनों के साथ अपनी जान भी गंवा दी. अब इस हमले का एक वीडियो वायरल हो रहा है. जिसके हवाले से कुछ लोग फराज को आतंकी साबित करने पर तुले हैं.

आइये खोजें फराज का सच

पहले बात करते हैं वायरल वीडियो की. वीडियो में एक शख्स है. उसके हाथ में गन है. और वो टहल रहा है. ये वीडियो उसी बेकरी का बताया जा रहा है, हमले के समय का. सोशल मीडिया पर कुछ लोग इसे ले उड़े हैं कि वीडियो में दिख रहा लड़का कद-काठी से फराज जैसा लगता है. तो कहीं ऐसा तो नहीं कि फराज आतंकी रहा हो?
https://www.youtube.com/watch?v=QuG0b-2mSWE&feature=youtu.be
ठीक है. फिर ये क्या है? एक पल को मान लें कि वो आतंकी था तो उसे इस हमले की जानकारी पहले से रही होगी. फिर उसने अबिंता और तारिषी को उस बेकरी में क्यों आने दिया? दोस्त होने के नाते क्या वो चाहेगा कि दोनों इस हमले में मारी जाएं? ये फोटो देखिए. ये साबित करती है कि फराज और तारिषी न सिर्फ साथ पढ़े थे, बल्कि अच्छे दोस्त भी थे. घर पर भी फराज यही कह कर गया था कि वह दोस्तों के साथ पार्टी में जा रहा है.
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तारिषी और फराज

सोशल मीडिया पर एक शगूफा ये भी है कि बांग्लादेश सरकार फराज को बचाने की कोशिश कर रही है. क्योंकि वो किसी 'बड़े आदमी' का बेटा है. पर सरकार उसी को क्यों बचा रही है? एक मंत्री का बेटा आतंकियों के साथ था. उसकी पहचान तो नहीं छुपाई जा रही.
मंत्री इम्तियाज खान बाबुल का बीटा रोहन जो आतंकी निकला!
मंत्री इम्तियाज खान बाबुल का बेटा रोहन जो आतंकी निकला!

इस मामले के उठने से पहले ही बांग्लादेश के एक बिजनेसमैन राजुल करीम ने कहा था: मेरा बेटा, बहू और दो नाती आतंकियों की गिरफ्त में थे. बाद में वो छोड़ दिए गए. मेरी बहू बता रही थी कि उसने एक बंगलादेशी लड़के को आतंकियों से बहस करते सुना. आतंकी उसको छोड़ रहे थे. पर वो अपने दोस्तों को छोड़कर नहीं जा रहा था.
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फराज अपने कॉलेज में

अबिंता कबीर ने अपने घर पे बात की थी. वो बहुत खुश थी कि वो अपने दोस्तों फराज और तारिषी से मिलने जा रही थी.
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अबिंता कबीर

तारिषी के दोस्तों ने फराज के आतंकवादी होने की  इस खबर को वाहियात बताया है.
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तारिषी

सच तो ये है कि फराज की कहानी से दो तबकों ऐसा तमाचा लगा कि वे अब तक झनझना रहे हैं; आतंकियों को और दुनिया की हर बुराई की जड़ इस्लाम में खोजने वालों को. इस हमले के बाद कुछ लोगों के भीतर का इस्लाम विरोध बहुत उग्र लिबास में सोशल मीडिया पर सामने आने लगा था. उसी बीच फराज की कहानी सामने आई. पढ़ा-लिखा नौजवान मुसलमान जिसने अपनी हिंदू भारतीय दोस्त के लिए जान दे दी. सेक्युलरिस्ट जमात ने इसे इस तरह पेश किया कि फराज का इस्लाम ही सच्चा इस्लाम है और आतंकी किसी भी एंगल से इस्लाम को मानने वाले नहीं हैं. संभव है कि इसके बाद फऱाज के आतंकी होने की काउंटर थ्योरी बनाई गई हो.
ISIS सहित सारे आतंकवादी संगठन 'इस्लाम' के प्रचार के नाम पर तरह-तरह के कांड करते रहते हैं. उनके ज्यादातर चेले-चपाटों को इस्लाम का मतलब ही नहीं पता. वो बिना दिमाग का इस्तेमाल किए उनके पीछे चले जाते हैं. फराज की शहादत से उनके मंसूबे फेल हो जाएंगे. जो इतने सालों में उन्होंने तैयार किया है वो एक झटके में बिखर जायेगा. इसलिए हैरत नहीं कि कल को ISIS भी क्लेम कर दे कि फराज हमारा लड़ाका था.

एक आइडियोलॉजी को दूसरी आइडियोलॉजी ही मार सकती है. तो फराज की आइडियोलॉजी से उन्हें डर है. यही वजह है कि तुरंत फराज को आतंकी साबित कर वो बचना चाह रहे हैं. अगर ऐसे ही ड्रामा चलता रहा तो सच जानना मुश्किल हो जायेगा. इतने सारे वीडियो आ जायेंगे. इतने लोगों के चेहरे चढ़ा दिए जायेंगे कि कुछ पता ही नहीं चलेगा कौन क्या था. ये वक़्त है बांग्लादेश की सरकार के निडरता से सामने आने का. सच के साथ.