भारत-पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव (India Pakistan Tension) को लेकर यूरोपीय संघ (EU) का बयान आया है. उनका कहना है कि दोनों देशों को संयम बरतना चाहिए. EU के इस बयान के लिए उसकी आलोचना की जा रही है. एक्सपर्ट्स और कई सोशल मीडिया यूजर्स ने इसे यूरोपीय संघ का 'डबल स्टैंडर्ड' बताया है.
यूक्रेन से रूस को करारा जवाब देने को कहा, और भारत से ऐसी अपील, EU की ये बात सुन भड़के लोग
Pahalgam Attack के बाद, भारत-पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव को लेकर यूरोपीय संघ (EU) ने जो कुछ बोला है, उसे सुनकर लोग यूरोपीय संघ की आलोचना कर रहे हैं.

ऐसा इसलिए, क्योंकि रूस-यूक्रेन संघर्ष के मामले में यूरोप ने शांति की बात नहीं की थी, बल्कि तब युद्ध को डिफेंड किया था और यूक्रेन से रूस को करारा जवाब देने को कहा था. लेकिन अब भारत-पाकिस्तान के मामले में शांति की बात कर रहे हैं. इस बीच विदेश मंत्री एस जयशंकर का एक पुराना बयान भी वायरल है. इसमें वो बता रहे हैं कि आखिर यूरोप की दिक्कत क्या है.
2 मई को यूरोपीय संघ की शीर्ष राजनयिक काजा कल्लास ने एक पोस्ट किया. उन्होंने लिखा,
European Union का ‘डबल स्टैंडर्ड’भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ता तनाव चिंताजनक है. मैं दोनों पक्षों से संयम बरतने और स्थिति को बेहतर बनाने के लिए, बातचीत करने का आग्रह करती हूं. तनाव बढ़ने से किसी को कोई फायदा नहीं होगा. मैंने दोनों पक्षों से बात की. एस जयशंकर और इशाक डार (पाकिस्तान के उप प्रधानमंत्री) से (अलग-अलग) बातचीत हुई.
काजा ने आतंकवाद के समर्थन के लिए पाकिस्तान की आलोचना भी नहीं की. इसके बाद लोगों ने उनके कुछ पुराने पोस्ट खोज निकाले. जिसे उन्होंने रूस द्वारा यूक्रेन पर हमले के संदर्भ में लिखा था. उन्होंने कहा था कि अपनी रक्षा करने का मतलब ये नहीं कि किसी को उकसाया जाए. उन्होंने ये भी कहा था कि हमला करने वालों को रोकना जरूरी है.

ऐसे ही एक पोस्ट में उन्होंने 15 नवंबर, 2022 को लिखा था,
शांति के बारे में- रूस जब तक यूक्रेन में नए क्षेत्रों पर कब्जा करने का लक्ष्य नहीं छोड़ता, तब तक शांति वार्ता पर विश्वास करना मुश्किल है. मुझे उम्मीद है कि यूरोप ने ये सीख लिया है कि तुष्टिकरण केवल हमलावर को मजबूत करता है. हमलावर तब तक नहीं रुकेगा जब तक उसे रोका नहीं जाता.

EU के ‘दोहरे मानदंड’ के लिए कुछ लोगों ने एस जयशंकर के पुराने बयान का भी हवाला दिया. साल 2022 में यूरोप भारत को मना रहा था, ताकि वो रूस-यूक्रेन युद्ध में रूस के खिलाफ कड़ा रुख अपनाए. उसी साल जयशंकर ने स्लोवाकिया की राजधानी ब्रातिस्लावा में हुए एक सम्मेलन में कहा,
यूरोप को इस मानसिकता से बाहर निकलना होगा कि उसकी समस्या पूरी दुनिया की समस्या है. लेकिन दुनिया की समस्याएं यूरोप की समस्याएं नहीं हैं.
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ये बयान तब आया था, जब यूरोप भारत को ये मैसेज दे रहा था कि रूस-यूक्रेन युद्ध पर तटस्थ (न्यूट्रल) रहना गलत कदम हो सकता है. EU ये कह रहा था कि जब चीन और भारत के बीच रिश्ते बिगड़ेंगे तो इस तटस्थता के कारण उसे ग्लोबल सपोर्ट नहीं मिल पाएगा.
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