तमिलनाडु (Tamil Nadu) की पूर्व मुख्यमंत्री जे जयललिता (J Jayalalithaa). क्या उनकी मौत के पीछे उनकी सहयोगी वीके शशिकला (VK Sasikala) की साजिश थी? तमिलनाडु में आज ये सबसे बड़ा सवाल बन गया है. एक जांच रिपोर्ट आई है, रिटायर्ड जस्टिस ए अरुमुगास्वामी की, जो कहती है कि ऐसा बहुत कुछ मिला है, जिससे शशिकला और कुछ लोगों पर सीधा शक होता है. मंगलवार, 18 अक्टूबर को तमिलनाडु सरकार ने इस जांच रिपोर्ट को सार्वजनिक कर दिया. इसमें शशिकला और कुछ अन्य लोगों के खिलाफ विस्तृत जांच की मांग भी की गई है.
'जयललिता की मौत 1 दिन पहले हो गई थी... ', जांच में करीबी शशिकला के खिलाफ क्या मिला?
'बहुत कुछ ऐसा मिला है, जिससे शशिकला और निजी डॉक्टर पर सीधा शक होता है'

जयललिता की मौत की जांच रिटायर्ड जस्टिस ए अरुमुगास्वामी को सौंपी गई थी. बीते अगस्त में अरुमुगास्वामी ने राज्य सरकार को अपनी जांच रिपोर्ट सौंप दी थी. इस रिपोर्ट से कई चौंकाने वाली बातें सामने आई हैं. इसमें कहा गया है कि 2012 के बाद से जयललिता और शशिकला के बीच अच्छे रिश्ते नहीं थे. रिपोर्ट के अनुसार अस्पताल का कहना था कि जयललिता की मौत 5 दिसंबर, 2016 को रात 11 बजकर 20 मिनट पर हुई थी, जबकि प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक पूर्व मुख्यमंत्री की मौत 1 दिन पहले यानी 4 दिसंबर, 2016 की शाम को हो गई थी.
एंजियोग्राम क्यों नहीं हुआ?रिपोर्ट के अनुसार जिस दिन जयललिता को अस्पताल में दाखिल कराया गया था, वो बेहोश थीं. इसके बाद जो कुछ भी हुआ, उसे शशिकला ने बेहद गोपनीयता से हैंडल किया था.
कमीशन की रिपोर्ट में कुछ गवाहों और दस्तावेजों का हवाला देते हुए कहा गया है कि जयललिता को मोटापा, हाइपरटेंशन, अनियंत्रित मधुमेह, इरिटेबल बॉवेल सिंड्रोम और क्रॉनिक डायरिया सहित कई दिक्कतें थीं. उन्हें हफ्ते भर से रुक-रुक कर बुखार भी आ रहा था. उनका पेट खराब था और यूरिन इंफेक्शन का उनका इलाज चल रहा था.
जस्टिस ए अरुमुगास्वामी कमीशन की रिपोर्ट के मुताबिक ब्रिटेन के डॉक्टर रिचर्ड बील, अमेरिकी डॉक्टर स्टुअर्ट रसेल और डॉक्टर समीन शर्मा ने एंजियोग्राम की सिफारिश की थी. लेकिन, इसके बावजूद ऐसा नहीं किया गया, क्यों?
'मंत्री और निजी डॉक्टर के खिलाफ भी जांच हो'जस्टिस ए अरुमुगास्वामी का कहना है कि जयललिता की मौत को नेचुरल डेथ की बजाय इसे क्राइम मानकर विस्तृत जांच कराई जानी चाहिए. उनके मुताबिक वीके शशिकला, जयललिता के निजी डॉक्टर एस शिवकुमार, तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री सी विजयभास्कर और स्वास्थ्य विभाग के तत्कालीन प्रधान सचिव जे राधाकृष्णन संदेह के घेरे में हैं. इनके खिलाफ जांच होनी ही चाहिए.
अरुमुगास्वामी की रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि अपोलो हॉस्पिटल के प्रमुख डॉक्टर प्रताप रेड्डी के खिलाफ जांच की जाए या नहीं, इस पर राज्य सरकार फैसला ले सकती है.
बता दें कि 5 दिसंबर 2016 को चेन्नई के अपोलो अस्पताल में जयललिता का निधन हो गया था. वे करीब 2 महीने तक अस्पताल में भर्ती रही थीं. उस समय वे मुख्यमंत्री पद पर थीं. मेडिकल बुलेटिन में दिल के दौरे को मौत की वजह बताया गया था.जयललिता के बीमार पड़ने से उनका निधन होने तक शशिकला उनके साथ ही थीं.
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