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'हाऊज़ द जैश, ग्रेट सर' लिखने वाला गायब हो गया लेकिन पीछे आग लगा गया

इस आग में अब वो जलेंगे, जिनका इससे कोई लेना-देना नहीं.

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बाईं तरफ एक वायरल ट्वीट का स्क्रीनशॉट है. दाईं तरफ उसके हैंडल की डिटेल्स वाला स्क्रीनशॉट. बसीम हिलाल ने 14 फरवरी को जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में CRPF के काफिले पर हुए आतंकी हमले के बाद ये ट्वीट किया. फिर कई लोग हिलाल की असंवेदनशीलता को सारे मुसलमानों की फितरत बताने लगे.
हाऊज़ द जैश? ग्रेट सर.
ये एक ट्वीट की भाषा है. लिखने वाले ने ये पुलवामा टेरर अटैक के बाद लिखा. 14 फरवरी को जम्मू से श्रीनगर जा रहे CRPF के काफिले पर फिदायीन अटैक किया गया.
जवानों से भरी एक पूरी बस चिंदी-चिंदी हो गई. पढ़कर लगता है, वो खुशी मना रहा है. शायद इतने जवानों के यूं बेमौत मरने पर उसके बदन में ऐड्रेलीन की बाढ़ आ गई होगी. इसी ज्वार में उसे ये 'क्रिएटिविटी' सूझी होगी. हमले की जिम्मेदारी मौलाना मसूद अजहर के जैश-ए-मुहम्मद ने ली.
तुकबंदी मिलाते हुए ट्वीट करने वाले ने उड़ी फिल्म के 'हाऊज़ द जोश' वाले डायलॉग में जोश को जैश से रिप्लेस कर दिया. साथ में लिखा, ग्रेट सर.
जिस इंसान को इतने लोगों की मौत पर हंसी सूझती हो. जो एक आतंकवादी संगठन को 'महान' बताता हो.
आप उस इंसान को धिक्कारने के लिए शब्द कहां से लाएंगे?
इतना बताकर अब मैं आपको ट्वीट करने वाले का नाम बताती हूं- बसीम हिलाल.
कश्मीर का रहने वाला है, अलीगढ़ में पढ़ता है बसीम के ट्वीट का स्क्रीनशॉट वायरल हो गया है. अब उसका ट्विटर हैंडल भी बंद हो गया है.
हिलाल ने खुद ही डिलिट किया या फिर कई सारे लोगों के रिपोर्ट करने के बाद ट्विटर ने ही उसका हैंडल बंद कर दिया, हम नहीं जानते. शायद अच्छा ही हुआ. सोशल मीडिया पर बैठे मूर्खों, नफ़रतियों की बिरादरी वाला एक हैंडल तो कम हुआ. लोग उसके हैंडल का एक और स्क्रीनशॉट शेयर कर रहे हैं. इसमें हिलाल ने लिखा है कि वो अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (AMU) में पढ़ता है. रहने वाला कश्मीर का है. वहां बड़गाम में बेरवाह नाम की जगह है. वहीं का बताया हुआ है खुद को. अगर आप AMU और घाटी की तुलना करें, तो हिलाल की दूसरी वाली पहचान ज्यादा मायने रखती है. उसके ट्वीट को इसी कॉन्टेक्सट में रखकर देखना होगा आपको. हिलाल में दिमाग होता, तो वो समझता. कि पुलवामा अटैक में बस CRPF जवान ही नहीं मारे गए. एक 20 साल का कश्मीरी लड़का
, जिसे जाने कैसे-कैसे ब्रेनवॉश और गुमराह करके जैश ने सूसाइड हमलावर बनने को राज़ी किया होगा, उसके भी चीथड़े उड़ गए.
अरसलान के ट्विटर हैंडल के मुताबिक, ये पाकिस्तान का है. इसकी गिनती महामूर्खों में होगी. इसको पता ही नहीं कि आतंकवाद बस हिंदुस्तानी जवानों की जान नहीं ले रहा, बल्कि ढेर सारे बेगुनाह पाकिस्तानी भी इसके शिकार हो रहे हैं.
अरसलान के ट्विटर हैंडल के मुताबिक, ये पाकिस्तान का है. इसकी गिनती महामूर्खों में होगी. इसको पता ही नहीं कि आतंकवाद बस हिंदुस्तानी जवानों की जान नहीं ले रहा, बल्कि ढेर सारे बेगुनाह पाकिस्तानी भी इसके शिकार हो रहे हैं.

जो ताली बजा रहे हैं, वो बेहूदे ही नहीं मूर्ख भी हैं सोशल मीडिया पर पाकिस्तान समर्थित कुछ और भी अकाउंट्स और हैंडल्स ये 'हाऊज़ द जैश' वाली बात लिख रहे थे. शायद उन्हें एहसास नहीं होगा कि खुद पाकिस्तान में भी आए दिन लोग आतंकवादियों के आगे बेमौत मरते हैं. बम धमाके इतने आम हैं वहां कि आप गारंटी नहीं ले सकते कि आप कभी उसकी चपेट में नहीं आएंगे. इस लिहाज से पाकिस्तान में बैठे जो लोग पुलवामा में हुए हमले पर खुश हो रहे हैं,
वो खुद भी कभी ऐसे आतंकी हमलों में मारे जा सकते हैं. या किसी दोस्त को, जानने वाले को, अपनों को गंवा सकते हैं.
क्या हिलाल बराबर सारे मुसलमान होता है? हिलाल का ट्वीट घटिया है. बेहद अमानवीय है. बहुत बुरा है. इतना घिनौनापन रत्तीभर तवज्जो के लायक नहीं. मगर हम इसपर खबर कर रहे हैं. क्योंकि हमें खबर करनी पड़ी. क्योंकि कई लोग हैं जो हिलाल की नफ़रत, उसकी बुराई से घिनाकर एक पूरे समुदाय को विलन मान रहे हैं.
वो मान रहे हैं कि सारे मुसलमान ही हिलाल से हैं. सब के सब. हम जानते हैं, ये सच नहीं. मगर साबित कैसे करें? और क्या ये साबित करने की सोचना भी सही सोच है?
ये वाले स्क्रीनशॉट भी देखिए हमने पुलवामा अटैक पर खबरें की. वीडियो किए. हर समुदाय के लोग पढ़ते हैं हमको.
हिंदू भी, मुसलमान भी. सोशल मीडिया पर जब हम अपनी स्टोरी शेयर करते हैं, तब लोग लाइक-कमेंट भी करते हैं. आज पहली बार (और बहुत ग्लानि के साथ) हमने लाइक करने वालों के नाम में 'धर्म' देखा. कमेंट के बीच के 'मुसलमानी' नाम छांटे. और फिर मिसाल दिखाने के लिए कुछ कमेंट निकाले. पुलवामा हमले पर हमें पढ़ने-देखने वाले मुस्लिमों ने क्या लिखा है, वो क्या महसूस करते हैं, ये हम आपको पढ़ा रहे हैं.
स्क्रीनशॉट के जवाब में स्क्रीनशॉट दुखद तो है, मगर क्या कीजिएगा. माहौल ही ज़हरीला है.
कई ट्वीट उग्र राष्ट्रवाद वाले भी दिखे. घुस जाओ, मार दो काट दो जैसे. इस जिंगोइजम में अपनी खामियां हैं. मगर फिर भी मैंने इन कमेंट्स के स्क्रीनशॉट लगाए हैं.

 
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कई ट्वीट उग्र राष्ट्रवाद वाले भी दिखे. घुस जाओ, मार दो काट दो जैसे. इस जिंगोइजम में अपनी खामियां हैं. मगर फिर भी मैंने इन कमेंट्स के स्क्रीनशॉट लगाए हैं.
कई ट्वीट उग्र राष्ट्रवाद वाले भी दिखे. घुस जाओ, मार दो काट दो जैसे. इस जिंगोइजम में अपनी खामियां हैं. मगर फिर भी मैंने इन कमेंट्स के स्क्रीनशॉट लगाए हैं.

 
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आप इस खबर के आखिर में पहुंच गए हैं. जाते-जाते एक बात याद समझ लीजिए. ऐसे और भी कई मुसलमान होंगे. उनसे उनकी देशभक्ति का सर्टिफिकेट नहीं मांगा जाना चाहिए. क्योंकि कोई भी कम्युनिटी बस एक कम्युनिटी होने के नाते पूरी की पूरी एक जैसी नहीं होती. न अच्छाई में. न बुराई में. और न ही कोई किसी खास मजहब का होने की वजह से देशभक्त या गद्दार हो जाता है.


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