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रोज धमाके होते हैं जहां, उस बलूचिस्तान के पीछे क्यों पड़ा है चीन? अब पता चली असली वजह

Balochistan में लंबे वक्त से अलग देश की मांग को लेकर आंदोलन चल रहा है. लेकिन, पाकिस्तान उनके आंदोलन को दबाने की कोशिश करता रहा है. इस सबके बाद भी क्यों चीन को इस क्षेत्र में विशेष दिलचस्पी है.

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चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा प्रोजेक्ट 2015 में शुरू हुआ था (फोटो: AP)

पाकिस्तान का दक्षिण पश्चिमी हिस्सा यानी बलूचिस्तान पिछले कुछ समय से पाकिस्तान के लिए सिरदर्द बना हुआ है. वजह है- एक अलग देश की मांग. यानी बलूचिस्तान की आजादी (Balochistan Movement). बलूच लोग और बलूचिस्तान लिब्रेशन आर्मी (BLA) लंबे वक्त से अलग देश की मांग कर रहे हैं. लेकिन, पाकिस्तान की सरकार उनके आंदोलन को दबाने की कोशिश करता रहा है. दूसरी तरफ चीन ने भी बड़े पैमाने पर बलूचिस्तान के इलाके में इन्वेस्टमेंट कर रखा है. लेकिन इसके पीछे की वजह क्या है?

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इसके बारे में लल्लनटॉप ने जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी में सेंटर फॉर ईस्ट एशियन स्टडीज के प्रोफेसर श्रीकांत कुंडापल्ली (Srikanth Kondapalli) से बात की. उन्होंने बताया,

चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (CPEC) प्रोजेक्ट 2015 में शुरू हुआ. जिसमें अभी तक 52 बिलियन डॉलर्स (439400 करोड़ रुपये) इनवेस्ट किए जा चुके हैं. ये चीन के ‘बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव’ प्रोजेक्ट का एक फ्लैगशिप प्रोग्राम है.

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प्रोफेसर श्रीकांत कुंडापल्ली ने CPEC से चीन को होने वाले तीन फायदे बताए हैं.

पहला- CPEC के जरिए चीन अपने जमीन मार्ग को बढ़ाना चाहता है. यानी वे कराची पोर्ट तक सड़क बढ़ाना चाहते हैं, जिससे इस पोर्ट के जरिए चीन, वेस्ट एशिया तक अपना व्यापार कर सके.

दूसरा- चीन चौदह-पंद्रह हाइड्रो इलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट बनाना चाहता है. जैसे कि ‘दासू हाइड्रो इलेक्ट्रिसिटी प्रोजेक्ट’. उससे वह बिजली लेना चाहता है.

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तीसरा- ग्वादर पोर्ट, जिसे ग्वादर बंदरगाह भी कहा जाता है. यह पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत में स्थित एक महत्वपूर्ण बंदरगाह है. यह अरब सागर के तट पर ग्वादर शहर में स्थित है और चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (CPEC) का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है. यह चीन को ऊर्जा आयात करने के लिए रास्ता देता है. और चीन को दक्षिण एशिया और मध्य पूर्व के देशों के साथ व्यापार और कनेक्टिविटी बढ़ाने में मदद करता है. इस पोर्ट के सहारे बड़े पैमाने पर रसद मंगाई और भेजी जा सकती है.

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अब सवाल पर वापस आते हैं. बलूचिस्तान में चीन का इंटरेस्ट क्यों है? जैसा कि पहले बताया ग्वादर पोर्ट बलूचिस्तान प्रांत में ही है. प्रोफेसर श्रीकांत कुंडापल्ली ने बताया कि बलूची लीडर्स का कहना है कि चीन वहां पर कॉलोनाइजर यानी उपनिवेशक की तरह आया. आगे उन्होंने बताया,

बलूचिस्तान में कॉपर माइन है. उन्होंने कॉपर माइन को एक्सप्लॉइट करना शुरू कर दिया. इसके अलावा भी बलूचिस्तान बड़े पैमाने पर खनिज पदार्थों की खान है. चीन सरकार ग्वादर पोर्ट के आसपास पांच लाख चीनी लोगों को लाकर एक मैन्युफैक्चरिंग सेंटर बनाना चाहती है. पांच लाख एक बड़ा नंबर है.

प्रोफेसर श्रीकांत कुंडापल्ली ने बताया कि चीन द्वारा बनाए जाने वाले मैन्युफैक्चरिंग सेंटर में किसी भी स्थानीय नागरिक को कोई जॉब देने की बात नहीं की गई. जिसकी वजह से बलूच लोग बहुत नाराज है.

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