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कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग के नाम पर किसानों से ठगी, लाखों रुपये लेकर कंपनी हुई चंपत

मामला मध्यप्रदेश है और सरकारी रवैया दुखी करने वाला है.

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किसानों का आरोप है कि कंपनी प्रति एकड़ 20 हज़ार रुपये लेकर फ़रार है. (प्रतीकात्मक तस्वीर: पीटीआई)
नए कृषि नियमों में केंद्र सरकार ने कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग की बात की है. सरकार का मानना है कि इससे किसानों को फायदा होगा, लेकिन मध्यप्रदेश के बैतूल से, इसके उलट एक ख़बर आई है. बैतूल के सैकड़ों किसानों के साथ एक कंपनी ने साल 2018 में सहजन की खेती को लेकर कॉन्ट्रैक्ट किया था. किसानों का आरोप है कि कंपनी ने किसानों के साथ धोखा किया है. किसान कंपनी के खिलाफ़ मामला दर्ज कराने को लेकर संघर्ष कर रहे हैं, लेकिन कंपनी कथित तौर पर गायब हो गई है. किसानों का क्या कहना है? बैतूल जिले के भैसदेही में पांच एकड़ जमीन के मालिक किसान नदीम खान ने इंडिया टुडे से बात करते हुए कहा कि राज्य सरकार के बागवानी विभाग ने, UWEGO अग्री सलूशंस प्राइवेट लिमिटेड कंपनी से परिचय कराया था. नदीम ने आगे बताया,
मैंने सरकार के बागवानी विभाग की सिफ़ारिश पर उस कंपनी के साथ 2018 में सहजन की खेती को लेकर एक कॉन्ट्रैक्ट पर साइन किया था. कॉन्ट्रैक्ट के तहत पौधारोपण के वक्त मुझे प्रति एकड़ 20 हज़ार रुपए का भुगतान करना था, मैंने दो एकड़ जमीन के 40 हज़ार रुपये जमा करवाए. कंपनी ने शुरुआत में पौधे, उपज और तकनीकी जानकारी को लेकर आश्वासन दिया. लेकिन मुझे पौधे नहीं मिले तो मैंने 17 दिसंबर 2019 को पहली बार जिला कलेक्टर को मामले की सूचना दी. इसके बाद मैंने कई शिकायतें की, लेकिन मेरी शिकायतों का कुछ नहीं हुआ.
नदीम के साथ ऐसे करीब 200 किसान हैं, जिन्होंने कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग के लिए साइन किए थे, लेकिन उन्हें बीज या पौधे तक नहीं दिए गए. किसी को दिए भी दिए गए, तो ऐसे पौधे दिए गए जो जिंदा नहीं रह सकते थे. मतलब ख़राब किस्म के पौधे दिए गए. इंडिया टुडे से बात करते हुए एक और किसान ने कहा कि आश्वस्त खरीद की तो कोई बात ही नहीं है, क्योंकि अधिकतर किसानों को पौधे ही नहीं दिए गए और जिसे दिए गए वह टिक नहीं पाए. प्रशासन क्या कह रहा है? बैतूल जिला प्रशासन ने मामले की कृषि विभाग से जांच कराने को कहा है, लेकिन जांच को लेकर अभी तक कोई बात सामने नहीं आई है. केपी भगत बेतुल जिले के कृषि कार्यालय में उप निदेशक हैं. साथ ही वह जांच टीम के सदस्य भी हैं. उन्होंने बताया,
किसानों ने जिला कलेक्टर से संपर्क किया था. और हम उनके निर्देशों पर जांच रहे हैं. हमें 97 किसानों की लिस्ट मिली है और कंपनी को तलब किया गया है.
कृषि विभाग द्वारा तैयार की गई लिस्ट के मुताबिक़ कंपनी ने 125 एकड़ की जमीन पर सहजन की खेती के लिए किसानों से साइन करवाए और हर किसान से प्रति एकड़ 20 हज़ार रुपये लिए. किसानों का आरोप है कि कंपनी के अधिकारी लोग फोन नहीं रिसीव कर रहे हैं. इंदौर स्थित कंपनी के रजिस्टर्ड ऑफिस में भेजी गई चिट्ठियां वापस लौट आई हैं. इंडिया टुडे ने रजिस्टर्ड ऑफिस के बारे में पता किया, तो पता चला किया कि कई महीने पहले वह दुकान बंद की जा चुकी है. मामले को लेकर कांग्रेस ने आपराधिक केस रजिस्टर करने की मांग की है. मध्यप्रदेश के मंत्री कमल पटेल ने बताया है कि मामले को लेकर जल्द ही एफआईआर दर्ज़ की जाएगी. लेकिन उन्होंने किसानों के पैसे वापस मिलने के सवाल पर कोई आश्वासन नहीं दिया है.