म्यांमार (Myanmar) की पूर्व राष्ट्रपति आंग सान सू ची (Aung San Suu Kyi) के सबसे छोटे बेटे किम आरिस ने कहा है कि वे हमेशा मीडिया से बात करने से बचे हैं, लेकिन अब हालात अलग हैं. उन्हें जेल में बंद अपनी 78 साल की मां के स्वास्थ्य की बहुत चिंता है. साथ ही वे म्यांमार में बढ़ रहे हिंसक राजनीतिक संकट के लिए भी चिंतित हैं. जिसे वे बेहद निराशाजनक बताते हैं.
आंग सान सू ची के साथ म्यांमार की जेल में जो हो रहा है, बेटे की बातें इमोशनल कर देंगी!
आंग सान सू ची के सबसे छोटे बेटे किम आरिस ने ये भी कहा कि अगर यूक्रेन को मिलने वाली दो फीसदी मदद भी म्यांमार की रेजिस्टेंस फोर्स को मिल जाए तो हालात बहुत बदल सकते हैं.

किम आरिस ने अंतरराष्ट्रीय न्यूज़ एजेंसी AP को एक वीडियो इंटरव्यू दिया. इसमें उन्होंने बताया,
"मैं उनसे किसी भी तरह से बात करना चाहता हूं. ताकि मुझे पता चल सके कि वे ठीक हैं क्योंकि वे इस समय अपने वकीलों से भी बात नहीं कर पा रही हैं."
किम आरिस ने बताया कि उन्हें अपनी मां के बेहद बीमार होने का पता चला है. उन्होंने बताया कि वे मसूड़ों की समस्या से जूझ रही हैं. वे कुछ खा भी नहीं पा रही हैं. उन्होंने कहा,
"मेरी मां को चक्कर आते हैं. उन्हें उल्टियां हो रही हैं. वे ठीक से चल भी नहीं पा रही हैं. उनका अपने निजी डॉक्टर से भी कोई संपर्क नहीं है. जहां तक मुझे पता है, उन्हें किसी से मिलने की भी इजाज़त नहीं है. उन्हें दूसरे कैदियों से बात करने की भी इजाज़त नहीं है. इसका सीधा मतलब है कि वे एक तरह के एकांत कारावास में हैं."
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किम ने बताया कि म्यांमार के स्वतंत्र स्थानीय मीडिया और सोशल मीडिया के ज़रिए उन्हें ये बातें पता चली हैं. उन्होंने म्यांमार की सैन्य सरकार और लंदन में उनके दूतावास से बात करने की कोशिश भी की. लेकिन उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया. 46 साल के किम आरिस हमेशा से मीडिया से दूर रहे हैं. वे हर तरह से राजनीति से बचते रहे हैं. वे कहते हैं कि वे केवल अपने परिवार के साथ शांति से जीवन बिताना चाहते हैं. उन्होंने कहा,
"मैंने हमेशा मीडिया से बात करने से बचने की कोशिश की है. साथ ही पूरी ज़िंदगी सोशल मीडिया से दूर रहा हूं. लेकिन बर्मा (म्यांमार) के हालात फिलहाल बेहद निराशाजनक हैं. मुझे पिछले ढाई साल से भी ज़्यादा से अपनी मां से किसी भी तरह का संपर्क करने की इजाज़त नहीं है."
किम आरिस ने आगे कहा,
"तो अब मैं वो सबकुछ कर रहा हूं जो इस हालत में मदद करने के लिए कर सकता हूं. मैं दुनिया को इस मुद्दे पर जागरुक करना चाहता हूं."
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म्यांमार के लिए कैंपेन चला रहे हैं किमउन्होंने बताया कि वे सोशल मीडिया पर एक्टिव हो रहे हैं. साथ ही मानवीय उद्देश्यों पर जागरुकता और फंडिंग इकट्ठा करने के लिए कैंपेन चला रहे हैं. उन्होंने म्यांमार के हालात पर कहा,
सू ची काट रही हैं 27 साल की सज़ा"यूक्रेन की सेना को दिए जाने वाली मदद का दो फीसदी भी अगर म्यांमार की रेजिस्टेंस फोर्स को दे दिया जाए तो हालात बहुत बदल सकते हैं. मैं उम्मीद करता हूं कि दुनियाभर के लोग म्यांमार के लोगों की मदद के लिए आगे आएंगे. ताकि ये खूनखराबा खत्म हो सके."
म्यांमार की सेना ने 2021 में आंग सान सू ची की लोकतांत्रिक तरह से बनी सरकार का तख्तापलट कर दिया था. देश में सैन्य शासन थोप दिया गया था. इसी समय आंग सान सू की को गिरफ्तार किया गया था. उन पर तब से एक दर्जन से भी ज़्यादा मुकदमे दर्ज़ किए गए हैं. इनमें से कई मामलों में उन्हें दोषी भी ठहराया गया है. वे फिलहाल 27 साल की सज़ा काट रही हैं.
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दूसरी तरफ उनके समर्थकों का कहना है कि ये केवल उन्हें राजनीति से दूर रखने की साजिश है. सेना ने जब म्यांमार सरकार को गिराया तो म्यांमार के लोगों ने इसका कड़ा विरोध किया. इसे बेरहमी से दबा दिया गया. इसके चलते देश में गृहयुद्ध की स्थिति खड़ी हो गई. इसमें हज़ारों लोग मारे गए हैं.
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