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म्यांमार की सेना ने गांववालों को पकड़ा, हाथ-पैर बांधे और जिंदा जला दिया!

ह्यूमन राइट्स वॉच ने कहा-जान गंवाने वालों में बच्चे और गांव के युवा थे.

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Myanmar Army
Myanmar Army की सांकेतिक फोटो.
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साजिद खान
9 दिसंबर 2021 (Updated: 9 दिसंबर 2021, 04:57 PM IST) कॉमेंट्स
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म्यांमार में सेना का अपने नागरिकों के साथ बर्बरता जारी है. देश के उत्तर-पश्चिमी इलाके में सेना के काफिले पर हुए हमले का बदला लेने के लिए सेना ने एक गांव में छापेमारी की. सैनिकों ने कुछ गांव वालों को पकड़ा. उनके हाथ-पांव बांधे और जिंदा जला दिया. सगाइंग क्षेत्र के डोने ताव गांव में जले हुए शवों की तस्वीरें और वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल है. न्यूज एजेंसी एसोसिएट प्रेस (AP) के मुताबिक, मंगलवार, 7 दिसंबर की घटना के बाद ये तस्वीरें ली गईं. कुछ लोगों का मानना है कि जिन 11 लोगों को जलाया गया उनमें से कुछ बच्चे थे. हालांकि इन तस्वीरों और वीडियो की पुष्टि नहीं हुई है. फरवरी में हुए तख्तापलट के बाद विरोध को दबाने के लिए सेना का आम नागरिकों के साथ इस तरह की बर्बरता आम हो चुकी है. हाल ही में सामने आए फोटो और वीडियो ने लोगों के आक्रोश को बढ़ा दिया है. ह्यूमन राइट्स वॉच ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से यह सुनिश्चित करने के लिए कहा कि आदेश देने वाले कमांडरों को लक्षित प्रतिबंध सूची (targeted sanctions lists) में जोड़ा जाए. और सेना को फंडिंग करने वाले सोर्सेस पर लगाम लगाई जाए. ह्यूमन राइट्स वॉच की प्रवक्ता मैनी म्यॉंग (Manny Maung) ने कहा,
हमारे संपर्क कह रहे हैं कि ये गांव के बच्चे और युवा थे जो गलत समय पर गलत जगह पकड़े गए. इस तरह की घटनाएं नियमित रूप से हो रही हैं. लेकिन यह घटना कैमरे में कैद हो गई. यह शर्मनाक घटना है.
सामने आए विडियो पर समाचार एजेंसी एसोसिएटेड प्रेस ने कहा कि यह जानकारी एक व्यक्ति द्वारा उन्हें दी गई है जो घटनास्थल पर गया था. एजेंसी ने स्वतंत्र रूप से इन फोटो और वीडियो की पुष्टी नहीं की है. चश्मदीद ने न्यूज एजेंसी को बताया कि करीब 50 सैनिक मंगलवार, 7 दिसंबर को सुबह करीब 11 बजे गांव पहुंचे और हर उस शख्स को पकड़ा जो वहां से भाग नहीं पाया. सेना ने 11 ग्रामीणों को गिरफ्तार कर लिया था. पकड़े गए लोग स्थानीय रूप से संगठित ‘पीपुल्स डिफेंस फोर्स’ के सदस्य नहीं थे, जिसकी कई बार सैनिकों से झड़प हुई है. चश्मदीद ने बताया कि पकड़े गए लोगों के हाथ बांध दिए गए और उन्हें आग के हवाले कर दिया गया. उसने सैनिकों के हमले का कोई कारण नहीं बताया. हालांकि, म्यांमार की मीडिया में कहा गया कि ऐसा प्रतीत होता है कि सेना ने उस दिन सुबह ‘पीपुल्स डिफेंस फोर्स’ के सदस्यों द्वारा किए गए हमले के खिलाफ जवाबी कार्रवाई की. हालांकि म्यांमार की सरकार ने इस बात से इंकार किया है कि उस एरिया में सेना का कोई व्यक्ति था. डोने ताव इलाके में हुई हत्या की घटना की म्यांमार की भूमिगत नेशनल यूनिटी गवर्नमेंट ने निंदा की है. यह संगठन सैन्य सरकार के स्थान पर खुद को देश की वैकल्पिक सरकार बताता है. इस संगठन के प्रवक्ता का कहना है कि सैन्य काफिले पर सड़क किनारे बम से हमला हुआ था और सैनिकों ने डोने ताव में पहले गोलीबारी की फिर गांव पर हमला किया. फिर जो भी सामने आया उसे पकड़कर बदला लिया. मारे गए लोगों की उम्र 14 वर्ष से 40 वर्ष के बीच थी.उन्होंने कहा कि ये दृश्य आतंकवादी समूह इस्लामिक स्टेट की याद दिलाते हैं और सेना के बढ़ते आतंक के गवाह हैं. वहीं संयुक्त राष्ट्र के प्रवक्ता स्टीफन दुजारिक ने 11 लोगों की हत्या पर गहरी चिंता व्यक्त की है. इस तरह की घटना की निंदा करते हुए कहा है कि रिपोर्ट्स से पता चलता है कि मारे गए लोगों में पांच बच्चे भी शामिल थे. उन्होंने सैन्य अधिकारियों को नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत उनके दायित्वों की याद दिलाई और जिम्मेदार लोगों को जवाबदेह ठहराने को कहा.

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