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शिक्षा और सियासत में गहरी छाप छोड़ने वाले मेघनाद देसाई नहीं रहे, प्रधानमंत्री मोदी ने दी श्रद्धांजलि

Meghnad Desai की पहचान एक विद्वान राजनेता की थी, जो निडर और स्वतंत्र आवाज का हिमायती था. उन्होंने परंपराओं को चुनौती दी, राजनीतिक रूढ़िवादिता का विरोध किया और दुनिया भर में घूम घूमकर Critical Dialogue को बढ़ावा दिया.

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मेघनाद देसाई को श्रद्धांजलि दी है. ( फाइल फोटो, एक्स)

भारतीय मूल के ब्रिटिश अर्थशास्त्री और हाउस ऑफ लॉर्ड्स (House of Lords) के सदस्य लॉर्ड मेघनाद देसाई (Meghnad Desai) का 29 जुलाई को निधन हो गया. देसाई की उम्र 85 साल थी. उनके परिवार से जुड़े सूत्रों ने बताया कि उन्हें स्वास्थ्य संबंधी कारणों के चलते गुरुग्राम के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां उनकी मौत हो गई.

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लॉर्ड मेघनाद देसाई का जन्म 10 जुलाई 1940 को गुजरात के वडोदरा शहर में हुआ था. उन्होंने बॉम्बे यूनिवर्सिटी से अपनी मास्टर डिग्री पूरी की. और फिर मात्र तीन साल में पेंसिल्वेनिया यूनिवर्सिटी से पीएचडी की डिग्री हासिल की.

इसके बाद लॉर्ड देसाई, एकेडमिक्स से जुड़ गए. उन्होंने साल 1965 से 2003 तक लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स (LSE) में पढ़ाया. साल 2003 में रिटायरमेंट के बाद भी वो LSE में एमिरेटस प्रोफेसर के तौर पर जुड़े रहे. साल 1992 में मेघनाद देसाई ने सेंटर फॉर द स्टडी ऑफ ग्लोबल गवर्नेंस की स्थापना की. साथ ही उन्होंने  LSE के डेवलपमेंट स्टडीज इंस्टीट्यूट की स्थापना में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.

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मेघनाद देसाई साल 1971 में लेबर पार्टी में शामिल हुए थे. जून 1991 में उन्हें यूनाइटेड किंगडम के ऊपरी सदन हाउस ऑफ लॉर्ड्स में भेजा गया. साल 2020 में उन्होंने यहूदी विरोधी गतिविधियों से निपटने के तरीके को लेकर पार्टी से इस्तीफा दे दिया. और एक स्वतंत्र आवाज के रूप में अपना काम जारी रखा. अपनी मौलिकता और विचारों की स्वतंत्रता के चलते उन्हें सभी राजनीतिक दलों से सम्मान प्राप्त होता था.

लॉर्ड मेघनाद देसाई को साल 2008 में भारत सरकार ने पद्म भूषण से सम्मानित किया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट कर लॉर्ड देसाई को श्रद्धांजलि दी है. उन्होंने लिखा, 

मेघनाद देसाई हमेशा भारत और भारतीय संस्कृति से जुड़े रहे. उन्होंने भारत-ब्रिटेन संबंधों को मजबूत करने में भी भूमिका निभाई. उनके साथ हुई चर्चाओं को मैं हमेशा याद रखूंगा, इनमें उन्होंने अपने बहुमूल्य विचार साझा किए थे. उनके परिवार और दोस्तों के प्रति संवेदना. ओम शांति.

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लंदन स्थित भारतीय उच्चायोग ने भी मेघनाद देसाई के निधन के प्रति संवेदना व्यक्त की है. भारतीय उच्चायोग ने उन्हें एक विचारक और भारत-ब्रिटेन मैत्री संबंधों के समर्थक के तौर पर याद किया है. लंदन के पार्लियामेंट स्क्वायर पर महात्मा गांधी की प्रतिमा स्थापित करवाने में देसाई की अहम भूमिका थी.

मेघनाद देसाई ने प्राइवेट सेक्टर, राज्य के विकास और मार्क्सवादी अर्थशास्त्र के प्रभाव से संबंधित विषयों पर विस्तार से काम किया था. उन्होंने अर्थशास्त्र, इतिहास और संस्कृति पर कई किताबें भी लिखीं. इनमें 'मार्क्सियन इकोनॉमिक थ्योरी', 'मार्क्स रिवेंज : द रिसर्जेंस ऑफ कैपिटलिज्म एंड द डेथ ऑफ स्टेटिस्ट सोशलिज्म', 'द रीडिस्कवरी ऑफ इंडिया', 'हू रोट द भगवदगीता' और 'नेहरूज हीरो' जैसी किताबें सुर्खियों में रही हैं.

मेघनाद देसाई की पहचान एक विद्वान राजनेता की थी, जो निडर और स्वतंत्र आवाज का हिमायती था. उन्होंने परंपराओं को चुनौती दी, राजनीतिक रूढ़िवादिता का विरोध किया और दुनिया भर में घूम-घूमकर आलोचनात्मक संवाद को बढ़ावा दिया. लॉर्ड देसाई भारत और इंग्लैंड के बीच के संबंधों को सुधारने के लिए एक पुल की भूमिका निभाते रहे. उन्होंने अपने पीछे अर्थशास्त्र, राजनीति और सार्वजनिक संवाद की प्रभावशाली विरासत छोड़ी है.

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