मध्य प्रदेश के इंदौर में बावली में गिरने से अब तक 35 लोगों की मौत हो चुकी है (Indore Temple Stepwell Collapse). रेस्क्यू ऑपरेशन अभी जारी है, सेना ने मोर्चा संभाल रखा है. जब बावली में लोगों के गिरने की खबर आई तो आसपड़ोस के लोग मदद के लिए मंदिर में पहुंचे. इनमें इंदौर के काजी अब्दुल माजिद फारुकी भी थे. फारुकी ने हादसे का शिकार हुए लोगों को बचाने में पूरी मदद की.
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रेस्क्यू में लगे थे, तब एक हिंदू साथी ने रोजा खुलवाया

आजतक के रवीश पाल सिंह ने माजिद फारुकी से बात की. फारुकी ने घटना को लेकर बताया,
'मैं मंदिर के पास ही रहता हूं, सिविल डिफेंस कार्यकर्ता हूं. करीब साढ़े 11 बजे की बात है, मैं गार्डन में था, उसी दौरान भगदड़ मचने की आवाज सुनी. घटना के बारे में पता किया तो बताया गया कि मंदिर पर हादसा हुआ है. जानकारी मिलते ही तुरंत मैं और मेरे साथ कुछ लोग मौके पर पहुंच गए. उस समय हमारे साथ सिविल डिफेंस के कई कार्यकर्ता मौजूद थे.'
माजिद फारुकी ने आगे कहा,
'पुलिस के आने से पहले ही हम लोग घटनास्थल पर पहुंच गए थे. वहां काफी भीड़ लगी हुई थी. हम लोगों ने तुरंत रेस्क्यू शुरू कर दिया. जब मौके पर पहुंचे तो देखा कि वहां बेहद गमगीन माहौल था. हम लोगों ने वहां पब्लिक को रोकने की कोशिश की, लेकिन वहां पर मौजूद एक नौजवान ने हमसे कहा कि मेरा एक साल का बच्चा है, मैं उसे रोक नहीं पाया.'
ये बात बताते हुए माजिद फारुकी की आंखें भर आईं.
माजिद फारुकी आगे बताते हैं,
बावली 40 फीट से भी ज्यादा गहरी'मैं जब अंदर गया तो देखा कि मेरी कॉलोनी के बहुत सारे जान-पहचान के लोग वहां थे, जिन्हें टीम की मदद से बाहर निकाला गया... हमारी सिविल डिफेंस की टीम लगातार रेस्क्यू में जुटी रही.' मेरा रोजा था, मेरे साथी संजय जी ने याद दिलाया तो मैंने रोजा खोला, उन्होंने ही रोजा खुलवाया.'
इंदौर के बेलेश्वर महादेव झूलेलाल मंदिर में हुए हादसे में 35 लोगों की मौत हो गई है. वहीं 16 लोग अस्पताल में भर्ती हैं. गुरुवार, 30 मार्च की शाम को मंदिर की जमीन अचनाक धंस गई. ये हिस्सा एक पुरानी बावली के ऊपर बना हुआ था. बताया जा रहा है कि बावली 40 फीट से भी ज्यादा गहरी है. 12 घंटे तक NDRF और SDRF की टीमें बचाव अभियान चलाती रहीं. फिर सेना भी अंदर फंसे लोगों को बचाने में जुटी.
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