अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप (Donald Trump) ने अपने देश में दवाओं की कीमत पर नियंत्रण करने का एलान किया है. इसके लिए ट्रंप एक कार्यकारी आदेश (Executive Order) पर हस्ताक्षर करेंगे. उन्होंने दावा किया कि इस आदेश से प्रिस्क्रिप्शन और फार्मास्यूटिकल दवाओं की कीमत तुरंत 30 से 80 फीसदी कम हो जाएगी.
अमेरिकियों को अब 80 फीसदी तक कम दाम में मिलेंगी दवाएं, डॉनल्ड ट्रंप ऐसा काम करने वाले हैं
Donald Trump ने एक बार फिर से US में दवाओं की कीमतों को नियंत्रित करने की कोशिश शुरू कर दी है. इसके लिए ट्रंप एक Excutive Order पर हस्ताक्षर करने वाले हैं. ट्रंप अपने पहले कार्यकाल में भी ऐसी कोशिश कर चुके हैं.

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रूथ सोशल पर एक पोस्ट कर ट्रंप ने बताया,
वह 12 मई की सुबह 'मोस्ट फेवर्ड नेशन' प्राइसिंग या 'इंटरनेशनल रेफरेंस प्राइसिंग' के लिए कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर करेंगे.
अमेरिका कई प्रिस्क्रिप्शन दवाओं के लिए दुनिया में सबसे ज्यादा कीमत चुकाता है. जो कि आमतौर पर दूसरे विकसित देशों के मुकाबले लगभग तीन गुना ज्यादा होता है. डॉनल्ड ट्रंप ने कहा कि वो इसको नियंत्रित करना चाहते हैं. उन्होंने कहा कि वो पूरी दुनिया में समानता लाने के लिए खड़े होंगे. और कई सालों बाद पहली बार अमेरिका में निष्पक्षता लाएंगे.
डॉनल्ड ट्रंप ने बताया,
मैं एक मोस्ट फेवर्ड नेशंस पॉलिसी लागू करूंगा. इसके तहत अमेरिका में दवाओं की कीमत उस देश के बराबर ही होगी, जो दुनिया में सबसे कम कीमत चुकाता है.
दवा उद्योग के चार लॉबिस्टों के मुताबिक, दवा बनाने वाली कंपनियां मेडिकेयर हेल्थ पॉलिसी प्रोग्राम पर बेस्ड किसी आदेश की उम्मीद कर रही थीं. इसके पहले रॉयटर्स ने बताया था कि वॉइट हाउस ऐसी कोई पॉलिसी लाने पर विचार कर रहा है.
टॉप अमेरिकी दवा कंपनी और लॉबिंग ग्रुप, फार्मास्युटिकल रिसर्च एंड मैन्युफैक्चरर्स ऑफ अमेरिका के प्रवक्ता एलेक्स श्राइवर ने ट्रंप के आदेश पर प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कहा,
किसी भी रूप में सरकार द्वारा कीमतों का निर्धारण करना अमेरिकी मरीजों के हित में नहीं है.
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ये पहला मौका नहीं है जब राष्ट्रपति ट्रंप ने दवा की कीमतों को नियंत्रित करने की कोशिश की है. उन्होंने अपने पहले कार्यकाल के दौरान भी 'इंटरनेशनल रेफरेंस प्राइसिंग प्रोग्राम' लाने की कोशिश की थी. लेकिन एक अदालत ने उस पर रोक लगा दी थी.
पांच साल पहले ट्रंप प्रशासन ने अनुमान लगाया था कि इससे टैक्सपेयर्स को सात सालों में 85 बिलियन डॉलर से ज्यादा की बचत होगी. और इससे दवाओं पर होने वाले सालाना खर्च में 400 बिलियन डॉलर से ज्यादा की कमी आएगी.
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