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रामनवमी पर हिंसा फैलाते लोग प्रेम-सौहार्द की ये तस्वीरें देख जल भुन जाएंगे!

वो शहर जहां हिंदू मुसलमानों ने साथ-साथ रामनवमी मनाई

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ऐसे कई शहर हैं जहां मुस्लिम और हिंदू समुदाय के लोगों ने मिलकर रामनवमी मनाई | फोटो: आजतक

'सात संदूकों में भरकर दफन कर दो नफ़रतें
आज इंसा को मोहब्बत की जरूरत है बहुत'

बेहद खूबसूरत लाइनें, मशहूर शायर बशीर बद्र ने कभी लिखी थीं. शायद तब जब कुछ जेहन नफरती माहौल की जकड़न में थे. ये जकड़न आज भी नजर आ रही है. कल यानी गुरुवार को रामनवमी थी, पत्थरबाजी, मारपीट और आगजनी, बस यही खबरें आ रही थीं. लेकिन, इस दरमियान कुछ लोग ऐसे भी थे, जिन्होंने सात संदूकों में नफरत को दफन कर दिया. ये नफरत कहां-कहां दफन हुई है सोचा आपको बता दें.

खरगोन ने इस बार दिल जीत लिया

आपको याद होगा मध्य प्रदेश के खरगोन में बीते साल रामनवमी के जुलूस में हिंसा हुई थी. दो समुदायों के बीच जमकर पत्थर चले थे. शहर में इस बार भी जुलूस निकाला गया. लेकिन कहीं से भी किसी प्रकार की कोई अप्रिय घटना की सूचना नहीं आई. जो खबर आई उसने दिल खुश कर दिया. मुस्लिम समाज ने रामनवमी के जुलूस का मंच बनाकर स्वागत किया, जुलूस पर फूल बरसाए. दोनों समुदायों के लोग एक-दूसरे के गले मिले.

पलामू ने मिसाल पेश कर दी

बीते फरवरी की ही बात है. झारखंड में पलामू जिले में महाशिवरात्रि से पहले प्रवेशद्वार बनाने को लेकर दो समुदायों में विवाद हो गया. विवाद बाद में सांप्रदायिक हिंसा में तब्दील हो गया. जमकर बवाल हुआ. अब तकरीबन एक महीने बाद झारखंड के इस शहर ने सांप्रदायिक सौहार्द की पूरे देश में मिसाल पेश की है. रामनवमी के अवसर जुलूस निकला तो मुस्लिम समुदाय ने उसका जोरदार स्वागत किया. फूलों की माला पहनाई. मुस्लिम भी जुलूस में शामिल हुए. एक कार्यक्रम आयोजित किया गया जिसमें दोनों समुदायों के लोगों ने एक दूसरे को सम्मानित किया.

जिले के एसपी एसपी चंदन कुमार सिन्हा ने इस माहौल की तारीफ की. कहा, 'मैं पलामू की इस परंपरा का कायल हो गया. आपके तहजीब को हम सलाम करते हैं. इसके लिए आप बधाई के पात्र हैं. जिले में यह तहजीब कौमी एकता को प्रदर्शित करती है. ये पूरे देश के लिए मिसाल है.'

टोंक में पांच साल बाद शोभायात्रा निकली

राजस्थान का एक जिला है 'टोंक'. 2018 में यहां एक भगवा रैली निकाली गई थी. इस दौरान यहां विवाद हुआ और फिर पत्थरबाजी. प्रशासन ने इसके बाद कड़ा फैसला लिया और अगले चार साल किसी रैली की इजाजत नहीं दी गई. लेकिन इस साल यहां रामनवमी का जुलूस निकला. जिसमें गंगा-जमुनी तहजीब का माहौल दिखा.  रामनवमी शोभायात्रा जब शहर के गांधी खेल मैदान से शुरू होकर शहर घंटाघर पहुंची, तो यहां मुस्लिम समुदाय के लोगों ने फूल बरसाए. यहां से मुस्लिम समुदाय के लोग भी जुलूस में शामिल हुए.

टोंक में दिखी गंगा-जमुनी तहजीब, रामनवमी की शोभा यात्रा पर मुस्लिम समुदाय के लोगों ने बरसाए फूल
बाड़मेर में मुस्लिम समाज ने अपनी झांकी निकाली

राजस्थान में सरहद के उस पार पाकिस्तान और इधर बाड़मेर. गुरूवार को बाड़मेर में दिखा हिन्दुस्तान और पाकिस्तान के बीच का अंतर. बाड़मेर में रामनवमी पर शोभायात्रा निकली. इसमें एक झांकी मुस्लिम समाज की भी नजर आई. इसमें अदनान भगवान राम, जिशान अली लक्ष्मण और जैसमीन बानू माता सीता बनी थीं. जब शहर के बीच से शोभायात्रा निकली तो मुस्लिम समाज के लोगों ने फूलों की बारिश की.

रामनवमी में मुस्लिम समुदाय की झांकी

बाड़मेर में शोभायात्रा में मौजूद अबरार मोहम्मद ने मीडिया से बातचीत में बताया कि बाड़मेर में पहली बार मुस्लिम समुदाय रामनवमी की शोभायात्रा में शामिल हुआ है. बाड़मेर में अमन चैन और भाई चारा बना रहे, पूरा शहर बस यही चाहता है.

बाड़मेर वाले जो चाहते हैं, लगभग हर कोई देश में वही चाहता है, लेकिन कुछ हैं जो इतना नहीं समझते -

मज़हब नहीं सिखाता आपस में बैर रखना
हिन्दी हैं हम वतन है हिन्दोस्ताँ हमारा

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