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किसान आंदोलन से निकली पहली राजनीतिक पार्टी का ऐलान, पंजाब में लड़ेगी चुनाव

किसान नेता गुरनाम सिंह चढूनी ने किया ऐलान. कहा पार्टी का चरित्र धर्मनिरपेक्ष होगा.

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चंडीगढ़ में प्रेस कॉन्फ्रेंस करते किसान नेता Gurnam Singh Chaduni
तीन कृषि कानूनों के खिलाफ एक साल से अधिक समय तक चले किसान आंदोलन से निकली पहली राजनीतिक पार्टी का ऐलान हो गया है. किसान नेता गुरनाम सिंह चढूनी ने 18 दिसंबर को चंडीगढ़ में पार्टी का ऐलान किया. किसान आंदोलन से निकली इस पार्टी का नाम संयुक्त संघर्ष पार्टी है. किसान आंदोलन का नेतृत्व करने वाले संयुक्त किसान मोर्चा की तर्ज पर ही पार्टी का नाम रखा गया है. पंजाब चुनाव लड़ेगी पार्टी इंडिया टुडे से जुड़े सतेंदर चौहान की रिपोर्ट के मुताबिक, गुरुनाम सिंह चढूनी ने पार्टी का ऐलान करने के लिए 18 दिसंबर को प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाई थी. पार्टी का ऐलान करते हुए उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी पूरे जोर-शोर से पंजाब का चुनाव लड़ेगी. उन्होंने यह भी बताया कि पार्टी पंजाब विधानसभा की सभी सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारेगी.
अपनी पार्टी को धर्मनिरपेक्ष बताते हुए चढूनी ने आगे कहा कि देश में पूंजीवादी शोषण लगातार बढ़ता जा रहा है और अमीरों-गरीबों के बीच की खाई भी चौड़ी होती जा रही है. उन्होंने कहा कि नीतियां बनाने वाले संस्थानों पर अमीरों का कब्जा है और वे गरीबों के लिए नीतियां बना रहे हैं. उन्होंने यह भी कहा कि ज्यादातर राजनीतिक पार्टियों पर अमीरों का कब्जा है और उनकी पार्टी में ग्रामीण, शहरी, मजदूर, किसान और रेहड़ी-पटरी के लोग शामिल होंगे. चढूनी ने कहा कि उनकी पार्टी सभी धर्मों और जाति के लोगों को पार्टी होगी.
इससे पहले गुरनाम सिंह चढूनी ने किसान आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. वो केंद्र सरकार से बात करने के लिए संयुक्त किसान मोर्चा की तरफ से बनाई गई पांच सदस्यीय कमेटी का भी हिस्सा थे. उनके साथ इस कमेटी में युद्धवीर सिंह, अशोक धावले, बलवीर सिंह राजेवाल और शिव कुमार कक्का जैसै बड़े नेता भी शामिल थे. केंद्र ने दिया था आश्वासन संयुक्त किसान मोर्चा पार्टी का ऐलान ऐसे समय में हुआ है, जब तीन कृषि कानूनों के खिलाफ चला किसान आंदोलन  स्थगित हो गया है.  संयुक्त किसान मोर्चा ने 11 दिसंबर को इस आंदोलन को स्थगित करने की घोषणा की थी. इसके बाद राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली की सीमाओं पर बैठे प्रदर्शनकारी किसान अपने-अपने घर लौट गए. प्रदर्शनकारियों के वापस लौटने के बाद से ही कयास लगाए जा रहे थे कि जल्द ही किसान आंदोलन से निकलने वाली पार्टी के नाम का ऐलान होगा.
Farmers Protest In Karnal
किसान आंदोलन की एक तस्वीर. (साभार- पीटीआई)

इससे पहले नवंबर में एक बड़ा यूटर्न लेते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्र के नाम संबोधन में तीन नए कृषि कानूनों को रद्द करने की घोषणा की. जिसके बाद किसानों ने भी संसद के शीतकालीन सत्र के पहले दिन प्रस्तावित ट्रैक्टर रैली को रद्द कर दिया. हालांकि, एमसएसपी और अपनी दूसरी मांगों के लिए किसान दिल्ली की सीमाओं पर डटे रहे.
इस बीच केंद्र सरकार ने संसद में बिना किसी चर्चा के कृषि कानूनों को रद्द कर दिया और फिर संयुक्त किसान मोर्चा की पांच सदस्यीय कमेटी को उनकी दूसरी मांगें पूरी करने का आश्वासन दिया. जिसके बाद किसानों ने आंदोलन को स्थगित कर दिया.
इससे पहले जुलाई में ही चढूनी ने चुनावी लड़ने की मंशा जाहिर की थी. उन्होंने कहा था कि किसानों की पार्टी को पंजाब में चुनाव लड़ना चाहिए. हालांकि, अपने इस बयान की वजह से उन्हें किसान आंदोलन से एक सप्ताह का निलंबन भी झेलना पड़ा था. संयुक्त किसान मोर्चा के नेता उनके चुनाव लड़ने वाली बात से सहमत नहीं थे. राकेश टिकैत से लेकर दर्शन पाल सिंह तक ने उनके इस बयान की आलोचना की थी और कहा था कि किसान आंदोलन का पहला फोकस कृषि कानूनों को रद्द करवाना है, चुनाव की बात करने से आंदोलन कमजोर होगा.

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