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लापरवाही से ड्राइविंग में मौत हो तो बीमा क्लेम नहीं मिलेगा, सुप्रीम कोर्ट का अहम फैसला

कोर्ट ने तेज स्पीड और लापरवाही से गाड़ी चलाने के चलते हुई मौत से जुड़े केस में ये फैसला दिया है. जून 2014 में N.S. रविश नाम के शख्स का तेज गाड़ी चलाने की वजह से एक्सीडेंट हो गया था. इसमें उनकी जान चली गई थी. परिवार ने बीमा कंपनी से 80 लाख का क्लेम मांगा था. मगर कोर्ट ने ये क्लेम खारिज कर दिया था.

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मृतक के परिवार वालों ने बीमा कंपनी से 80 लाख रुपये का क्लेम मांगा था.

अगर आप भी उनमें से हैं जो लाखों-करोड़ों का बीमा लेकर बेफिकर होकर बैठे हैं, तो सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के इस फैसले से आपको झटका लग सकता है. 2 जुलाई को दिए एक फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि अगर कोई लापरवाही से गाड़ी चलाते हुए दुर्घटना का शिकार बनता है, जिसमें उसकी जान चली जाती है. तो ऐसे केसेज में बीमा कंपनियां(Accident insurance cover) मृतक के परिवार वालों को पैसे देने के लिए बाध्‍य नहीं हैं. यह कहते हुए जस्टिस पी.एस. नरसिम्हा और आर. महादेवन की बेंच ने मृतक के परिवार वालों की याचिका खारिज कर दी.

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2014 का मामला

कोर्ट ने तेज स्पीड और लापरवाही में गाड़ी चलाने के चलते हुई मौत से जुड़े से एक केस में ये फैसला दिया है. बात 18 जून 2014 की है. N.S रविश अपनी फिएट लिनिया कार से कर्नाटक में अरसीकेरे शहर जा रहे थे. उनके साथ उनके पिता, बहन और बहन के दो बच्चे थे. तेज स्पीड कार का एक्सीडेंट हो गया. टक्कर के बाद कार सड़क पर पलट गई. हादसे में रविश की मौत हो गई थी.

घटना के बाद परिवार वालों ने यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस कंपनी से 80 लाख रुपये मुआवजे की मांग की. परिवार वालों का कहना था कि रविश हर महीने 3 लाख रुपये कमाते थे. उस हिसाब से इतना मुआवजा मिलना चाहिए. चूंकि, पुलिस ने चार्जशीट में कहा था कि हादसा लापरवाही और तेज स्पीड की वजह से हुआ है. इस वजह से मोटर एक्सीडेंट ट्रिब्यूनल ने परिवार का क्लेम खारिज कर दिया.

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परिवार इसके बाद कर्नाटक हाई कोर्ट पहुंचा. दलील दी कि टायर फटने की वजह से एक्सीडेंट हुआ. लेकिन हाई कोर्ट ने परिवार की अपील ठुकरा दी. हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती देते हुए परिवार सुप्रीम कोर्ट गया. जहां सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के फैसले को बरकरार रखा है.

सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने कहा, अगर खुद मृतक की लापरवाही की वजह से उसकी जान गई है. डेथ के पीछे कोई बाहरी फैक्टर जिम्मेदार नहीं है. ऐसे केसेज में परिवार वाले बीमा कंपनी से क्लेम नहीं मांग सकते. यह कहते हुए 23 नवंबर को सुनाई हाई कोर्ट के फैसले को बरकरार रखा और याचिका खारिज कर दी.

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