तिब्बती बौद्ध धर्मगुरु दलाई लामा (Dalai Lama) ने 2 जुलाई को एक वीडियो संदेश जारी कर कहा है कि उनकी मृत्यु के बाद भी धर्मगुरु चुनने की परंपरा जारी रहेगी. अब चीन (China) के विदेश मंत्रालय ने दलाई लामा के इस बयान पर प्रतिक्रिया दी है. उनका कहना है कि दलाई लामा के उत्तराधिकार पर आखिरी फैसला चीन की सरकार ही करेगी.
दलाई लामा और चीन फिर आमने-सामने, ऐसी बातें कहीं कि अगले धर्मगुरु पर बवाल तय है
तिब्बती बौद्ध धर्मगुरू दलाई लामा ने एक वीडियो जारी कर अपने उत्तराधिकारी के चयन को लेकर अपना पक्ष रखा है. उन्होंने स्पष्ट किया है कि धर्मगुरु चुनने की परंपरा उनके बाद भी चलती रहेगी और उनके उत्तराधिकारी (भविष्य के पुनर्जन्म) को मान्यता देने का अधिकार गादेन फोडरंग ट्रस्ट को है.

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा है कि दलाई लामा के उत्तराधिकारी की पहचान लॉट सिस्टम यानी पर्ची निकालने की प्रक्रिया के माध्यम से ही की जा सकती है. इस प्रक्रिया के तहत कुछ नामों की पर्चियां सोने के कलश में डाली जाती हैं और फिर इनमें से एक को चुना जाता है. यह परंपरा 1792 में शुरू की गई थी. और पहले के तीन दलाई लामा का चयन इसी प्रक्रिया से किया गया था. हालांकि मौजूदा दलाई लामा का चयन इस प्रक्रिया के तहत नहीं हुआ था.
चीन के विदेश मंत्रालय ने बताया कि यह परंपरा तिब्बती बौद्ध धर्म का एक विशिष्ट रूप है. और चीन की सरकार के धार्मिक विश्वासों की स्वतंत्रता की नीति के अनुरूप है. उधर सेंट्रल तिब्बत एडमिनिस्ट्रेशन के नेता पेन्पा शेरिंग ने चीन पर दलाई लामा के उत्तराधिकार के मुद्दे का राजनीतिकरण करने का आरोप लगाया है. हालांकि चीन की ओर से इन आरोपों का खंडन किया गया है.
तिब्बती बौद्ध धर्मगुरू दलाई लामा ने एक वीडियो जारी कर अपने उत्तराधिकारी के चयन को लेकर अपना पक्ष रखा है. उन्होंने स्पष्ट किया है कि धर्मगुरु चुनने की परंपरा उनके बाद भी चलती रहेगी और उनके उत्तराधिकारी (भविष्य के पुनर्जन्म) को मान्यता देने का अधिकार गादेन फोडरंग ट्रस्ट को है. गादेन फोडरंग ट्रस्ट धर्मशाला स्थित दलाई लामा का आधिकारिक कार्यालय है.
दलाई लामा ने आगे कहा,
उन्हें बौद्ध परंपराओं के प्रमुखों और शपथबद्ध धर्म रक्षकों से परामर्श करना चाहिए, जो दलाई लामाओं की वंशावली से जुड़े हुए हैं. इसके बाद उन्हें पिछली परंपरा के मुताबिक खोज और मान्यता से जुड़ी प्रक्रियाओं को पूरा करना चाहिए. मैं इस बात को दोहराता हूं कि केवल गादेन फोडरंग ट्रस्ट के पास भावी दलाई लामा (पुनर्जन्म) को मान्यता देने का अधिकार है. किसी और को इस मामले में हस्तक्षेप करने का अधिकार नहीं है.
30 जून को धर्मशाला के पास मैकलॉडगंज के मुख्य मंदिर सुगलागखांग में चौदहवें दलाई लामा तेनजिन ग्यात्सो के 90वें जन्मदिन का जश्न शुरू हुआ था. उनका जन्मदिन 6 जुलाई को होता है. इससे कुछ दिन पहले आए इस बयान का असर दुनिया भर में उनके लाखों बौद्ध अनुयायियों पर होगा. यह बीजिंग के लिए भी एक मैसेज है, जो लंबे वक्त से इस इलाके पर अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए तिब्बती धार्मिक परंपराओं को कंट्रोल करने की कोशिश कर रहा है.
दलाई लामा कौन हैं?
दलाई लामा तिब्बती बौद्ध परंपरा के हिसाब से 14वें सर्वोच्च धर्मगुरु हैं. उनका नाम तेनजिन ग्यात्सो है. माओत्से तुंग के नेतृत्व वाली चीन की कम्युनिस्ट सरकार के खिलाफ असफल विद्रोह के बाद वो साल 1959 में हजारों तिब्बतियों के साथ भारत चले आए थे.
ये भी पढ़ें - तिब्बत से भागकर दलाई लामा कैसे पहुंचे भारत?
दलाई लामा को चुनने की प्रक्रिया
दलाई लामा का चयन पुनर्जन्म की प्रक्रिया पर आधारित होता है. तिब्बती बौद्ध धर्म परंपरा में इसे ‘तुल्कु प्रणाली’ कहते हैं. यह एक विशिष्ट परंपरा है, जिसके तहत दलाई लामा की मृत्यु के बाद उनके पुनर्जन्म (नए दलाई लामा) की खोज की जाती है.
वीडियो: किताबवाला: दलाई लामा की ये कहानी छिपाकर क्यों रखी गई?