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ITR भरने में कोई गलती नहीं करनी है, वरना लग जाएगा डेढ़ लाख तक का चूना

FY 2024-25 के लिए इनकम टैक्स रिटर्न भरने की आखिरी तारीख 15 सितंबर 2025 है. रिटर्न फाइल करते समय टैक्सपेयर्स कई तरह की गलतियां कर बैठते हैं. जैसे कि गलत आईटीआर फॉर्म का चुनाव कर लेना, फॉर्म में गलत जानकारी भरना... इन गलतियों से आपकी टैक्स देनदारी बढ़ सकती है.

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जानबूझकर गलती जानकारी देने का दोषी पाए जाने पर टैक्स देनदारी के 200 फीसदी तक जुर्माना लगाया जा सकता है.

मॉनसून का तो सीजन है ही. साथ में इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) भरने का भी सीजन है. सैलरी से काटे गए पुराने टैक्स को वापस पाने का सीजन. नए टैक्स की देनदारी चुकाने का सीजन. वित्त वर्ष 2024-25 के लिए ITR भरने की आखिरी तारीख 15 सितंबर 2025 है. आखिरी तारीख का इंतजार करने से बेहतर है पहले ही ये काम करके निपटा लिया जाए. क्योंकि आखिरी समय पर फाइलिंग के वक्त कई तरह की गलतियां हो सकती हैं.

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गलती तो हालांकि पहले भरने पर भी हो सकती है, लेकिन तब आपके पास सुधार करने का ज्यादा वक्त होगा. छोटी सी गलती पर आपको मोटा जुर्माना, रिफंड में देरी और इनकम टैक्स डिपार्टमेंट की तरफ से नोटिस तक झेलना पड़ सकता है. इसलिए सावधानी से फाइलिंग करना जरूरी है. आज आपको ऐसी ही संभावित गलतियों के बारे में बताएंगे जिनका ध्यान रखते हुए आप भारी नुकसान से बच सकते हैं.

गलत आईटीआर फॉर्म का चुनाव

इनकम टैक्स रिटर्न भरते हुए लोग सबसे ज्यादा गलती फॉर्म सेलेक्शन को लेकर करते है. अलग-अलग कमाई के हिसाब से टैक्सपेयर्स के लिए अलग-अलग फॉर्म बना हुआ है. जैसे-

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ITR-1 (सहज): ऐसे भारतीय नागरिक जो सैलरी, एक प्रॉपर्टी और कमाई के अन्य जरियों से हर सा 50 लाख तक की कमाई करते हैं उन्हें ITR-1 भरना चाहिए. 

ITR-2: ऐसे लोग जो रेजिडेंशियल प्रॉपर्टी से या सैलरी से 50 लाख रुपये से ऊपर कमाई करते हैं उनके लिए ITR-2 होता है.

ITR-3: प्रोफेशनल्स के लिए होता है. 

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ITR-4 (सुगम): किसी बिजनेस या प्रोफेशन के जरिए 50 लाख रुपये तक की कमाई करने वाले इंडिविजुअल्स, हिंदू यूनिफाइड फैमिली (HUF) या कंपनियों के लिए होता है.

गलत ITR फॉर्म भरने पर आपका रिटर्न डिफेक्टिव रिटर्न माना जा सकता है. ऐसा होने पर 15 दिनों के अंदर आपको सही फॉर्म भरना होता है वरना मान लिया जाएगा कि आपने रिटर्न ही फाइल नहीं किया है.

26AS और एनुअल इन्फॉर्मेशन स्टेटमेंट सही हो

ITR भरते हुए फॉर्म 26AS और एनुअल इन्फॉर्मेशन स्टेटमेंट वेरिफाई करना बहुत जरूरी होता है. वेरिफाई किए बिना फॉर्म भरना टैक्स देनदारी बढ़ा सकती है. रिफंड में देरी हो सकती है. सैलरी पाने वाले लोग ITR भरते समय फॉर्म 16 लेकर बैठें. साथ में होम लोन, कैपिटल गेन या डिविडेंड से हुई कमाई से जुड़े कागज भी साथ में रखकर. आईटीआर भरने में काम आएगा.

रिटर्न भरने भर से काम नहीं खत्म हो जाता है. टैक्स रिटर्न फाइल करने के बाद E- वेरिफिकेशन भी करना होता है. रिटर्न भरने के बाद अगले 30 दिनों के अंदर आधार वाले नंबर ओटीपी के जरिए वेरिफाई करना होगा. या फिर चाहें तो ITR वेरिफिकेशन साइन करके बेंगलुरु में सीपीसी के दफ्तर भी भेज सकते हैं. वेरिफिकेशन के बिना इनकम टैक्स विभाग मानता है कि आपने रिटर्न फाइल नहीं किया है.

फॉर्म में गलती से दिक्कत तो होती है. अगर फॉर्म देर से भरा तो भी मुश्किलें झेलनी पड़ सकती है. 5 लाख रुपये से कम कमाई वाले लोगों को देरी से ITR भरने पर 1000 रुपये, उससे ऊपर की कमाई वालों को 5000 रुपये देने पड़ते हैं.

फॉर्म में गलत जानकारी पाए जाने पर टैक्स बकाये का 50 प्रतिशत और जानबूझकर गलत डिटेल देने वालों से 200 पर्सेंट तक पेनाल्टी वसूली जा सकती है. वहीं बिजनेसेज ने अगर समय से ऑडिट रिपोर्ट नहीं जमा की तो उन पर डेढ़ लाख रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है.

इसलिए बेहतर है कि टैक्सपेयर विंडो खुलते ही जल्द से जल्द रिटर्न फाइल कर दें. सारी डिटेल बार-बार चेक कर लें. ये ध्यान रखें कि रेजीम सही चुना हो वरना फालतू के कानूनी पचड़ों में पड़ना पड़ेगा.
 

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