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न आधार काम आएगा, न ड्राइविंग लाइसेंस... बिहार में ये 11 'कागज' होने जरूरी, नहीं तो कटेगा वोट

Bihar News: INDIA ब्लॉक के कई दलों ने चुनाव आयोग से अपनी शिकायत दर्ज कराई है. उन्होंने आशंका जताई है कि इस प्रक्रिया से राज्य के करीब दो करोड़ लोगों के नाम वोटर लिस्ट से बाहर हो सकते हैं. क्योंकि उनके पास पहले से मान्य रहे दस्तावेजों के अलावा कोई दूसरा विकल्प नहीं है.

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बिहार में वोटर लिस्ट अपडेट किया जा रहा है. (फाइल फोटो: इंडिया टुडे)
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शशि भूषण कुमार

बिहार विधानसभा चुनाव के पहले राज्य में वोटर लिस्ट में बड़ा बदलाव किया जा रहा है. मतदाताओं की सूची को अपडेट (Bihar Voter List) करने के लिए वोटर्स से कुछ नए दस्तावेज मांगे जा रहे हैं. आम लोगों को चुनाव आयोग के समक्ष फिर से अपनी पहचान साबित करनी है. सामान्य तौर पर आधार कार्ड, वोटर आईडी कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस या मनरेगा कार्ड के जरिए ऐसा किया जाता है. लेकिन इस बार चुनाव आयोग ने इन दस्तावेजों को स्वीकार करने से इनकार कर दिया है.

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विपक्षी दलों ने चुनाव आयोग के इस कदम का विरोध किया है. लेकिन आयोग अपने फैसले पर अडिग है. वोटर लिस्ट वेरिफिकेशन के लिए 11 दस्तावेज स्वीकार किए जा सकते हैं-

  • नियमित कर्मचारी या पेंशनभोगी कर्मियों का पहचान पत्र.
  • पासपोर्ट.
  • बैंक, डाकघर, एलआईसी आदि की ओर से 1 जुलाई 1987 के पहले जारी किया गया कोई भी प्रमाण पत्र.
  • जन्म प्रमाण पत्र.
  • मान्यता प्राप्त बोर्ड या विश्वविद्यालय की ओर से जारी शैक्षिक प्रमाण पत्र.
  • स्थाई निवास प्रमाण पत्र.
  • वन अधिकार प्रमाण पत्र.
  • जाति प्रमाण पत्र.
  • राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC).
  • भूमि या मकान आवंटन का प्रमाण पत्र.
  • राज्य सरकार या स्थानीय प्राधिकार द्वारा तैयार पारिवारिक रजिस्टर.

बूथ लेवल ऑफिसर (BLO) को आदेश दिया गया है कि वो इन्हीं दस्तावेजों के आधार पर वोटर की पहचान सुनिश्चित कर सकते हैं. ये काम 26 जुलाई 2025 के पहले करना है. ये बदलाव चुनाव आयोग के ‘मतदाता सूची विशेष गहन पुनरीक्षण अभियान 2025’ के तहत किए जा रहे हैं. 

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विपक्षी दलों ने चुनाव आयोग से शिकायत की

INDIA ब्लॉक के कई दलों ने चुनाव आयोग के सामने अपनी शिकायत दर्ज कराई है. उन्होंने आशंका जताई है कि इस प्रक्रिया से राज्य के करीब दो करोड़ लोगों के नाम वोटर लिस्ट से बाहर हो सकते हैं. क्योंकि उनके पास पहले से मान्य रहे दस्तावेजों के अलावा कोई दूसरा विकल्प नहीं है.

इन आरोपों पर मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) ज्ञानेश कुमार ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कहा है,

कुछ लोगों की आशंका के बावजूद, ये विशेष अभियान सभी पात्र मतदाताओं को वोटर लिस्ट में शामिल करने के लिए है, न कि उन्हें बाहर करने के लिए. ये प्रक्रिया पूरी तरह पारदर्शी है.

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CEC ने कहा है कि बिहार में इस तरह का बड़ा बदलाव 22 सालों के बाद हो रहा है. चुनाव आयोग का कहना है कि ये वोटर लिस्ट में सुधार की प्रक्रिया है.

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इन राज्यों में भी होगा बदलाव

बिहार के बाद, वोटर लिस्ट के सत्यापन का काम असम, केरल, पुडुचेरी, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में भी होना है. इन राज्यों में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं. 

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