केंद्र सरकार द्वारा प्रस्तावित फैक्ट चेक यूनिट (FCU) को लेकर बॉम्बे हाई कोर्ट का फैसला आ गया है. हाई कोर्ट ने FCU बनाने के लिए इनफॉर्मेशन टेक्नॉलजी संशोधन नियम, 2023 को रद्द कर दिया है. कोर्ट ने खासकर इस नियम के रूल 3 को रद्द किया है, जो केंद्र सरकार को FCU स्थापित करने का अधिकार प्रदान करता है. सरकार सोशल मीडिया और ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर झूठी या फर्जी खबरों की पहचान करने के लिए FCU बनाने का प्रस्ताव लेकर आई थी.
केंद्र सरकार फैक्ट चेक यूनिट बनाने वाली थी, बॉम्बे हाई कोर्ट ने रोक लगा दी
Modi Government Fact Check Unit: केंद्र सरकार ने कहा था कि मामले की सुनवाई पूरी होने तक वो फैक्ट चेक यूनिट की अधिसूचना जारी नहीं करेगी.

जनवरी 2024 में डिवीजन बेंच द्वारा दिए गए स्प्लिट फैसले के बाद मामला टाईब्रेकर जज जस्टिस एएस चंदुरकर के पास भेजा गया था. बार एंड बेंच में छपी रिपोर्ट के मुताबिक, जस्टिस चंदुरकर ने आज इस पर अपनी राय दी. उन्होंने कहा,
“मेरा मानना है कि ये संविधान के अनुच्छेद 14 और अनुच्छेद 19 का उल्लंघन करता है.”
बता दें कि केंद्र सरकार ने 20 मार्च 2024 को फैक्ट चेक यूनिट (FCU) बनाने का नोटिफिकेशन जारी किया था. इस नोटिफिकेशन पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी थी. ये रोक तब तक के लिए लगाई थी, जब तक बॉम्बे हाई कोर्ट इस मामले में दायर याचिकाओं पर सुनवाई ना कर ले. कोर्ट ने कहा था कि ये अभिव्यक्ति की आजादी का मामला है.
मामले को लेकर स्टैंड-अप कमीडियन कुणाल कामरा सहित कई अन्य याचिकाओं में विशेष रूप से रूल 3 को चुनौती दी गई थी. यही रूल केंद्र सरकार को झूठी ऑनलाइन खबरों की पहचान करने के लिए FCU बनाने का अधिकार देता है. याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया कि ये संशोधन सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 79 के अधिकार क्षेत्र से बाहर हैं. इसके साथ ही संविधान के अनुच्छेद 14 (समानता का अधिकार) और अनुच्छेद 19(1)(a)(g) (कोई भी पेशा अपनाने, या कोई व्यवसाय, व्यापार या कारोबार करने की स्वतंत्रता) का उल्लंघन करता है.
31 जनवरी को जस्टिस जीएस पटेल और जस्टिस नीला गोखले ने इस मामले में स्प्लिट फैसला सुनाया. जस्टिस पटेल ने याचिकाकर्ताओं के पक्ष में फैसला सुनाया और नियम 3 को खारिज कर दिया था. उन्होंने स्पष्ट दिशा-निर्देशों की आवश्यकता पर जोर दिया था और सरकारी सूचना बनाम अन्य संवेदनशील मुद्दों से संबंधित शिकायतों को लेकर पैदा हुए असंतुलन की आलोचना की थी.
वहीं जस्टिस गोखले ने संशोधित नियमों की वैधता को बरकरार रखा था. उन्होंने ये तर्क दिया था कि FCU अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की रक्षा करते हुए दुर्भावनापूर्ण इरादे से फैलाई जा रही गलत सूचना को टारगेट करता है. इसके बाद बॉम्बे हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डीके उपाध्याय ने मामले पर निर्णायक राय देने के लिए जस्टिस चंदुरकर को नियुक्त किया था.
FCU नोटिफिकेशन में क्या था?20 मार्च की अधिसूचना में कहा गया था कि फैक्ट चेक यूनिट सरकार की तरफ से फैक्ट चेक करने का काम करेगी. जिसमें वो फेसबुक, X या इंस्टाग्राम जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स में किसी जानकारी को फेक या गलत बता सकती है. जिसके बाद ये प्लेटफॉर्म्स उस कॉटेंट या पोस्ट को हटाने के लिए कानूनी रूप से बाध्य होंगे. साथ ही इंटरनेट से उसका URL भी ब्लॉक करना होगा. ये फैक्ट चेक यूनिट सूचना प्रौद्योगिकी नियम 2021 (Information and Technology Rules of 2021) में संशोधन के बाद लाई गई थी.
इससे पहले, केंद्र सरकार ने कहा था कि मामले की सुनवाई पूरी होने तक वो फैक्ट चेक यूनिट की अधिसूचना जारी नहीं करेगी.
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