भाजपा सासंद निशिकांत दुबे (Nishikant Dubey) ने लोकसभा स्पीकर को TMC सासंद महुआ मोइत्रा (Mahua Moitra) के ख़िलाफ़ एक शिकायती पत्र लिखा है. महुआ की ‘विश्वसनीयता’ और ‘आचरण’ पर गंभीर आरोप लगाए हैं.
'महुआ मोइत्रा संसद में सवाल पूछने के लिए पैसे लेती हैं', निशिकांत दुबे के गंभीर आरोप
भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने TMC सासंद महुआ मोइत्रा पर आरोप लगाए हैं कि सदन में सवाल पूछने के लिए महुआ को पैसे दिए गए हैं. जांच कमेटी बनाने की मांग भी की है.

सांसद निशिकांत ने लिखा कि उनके पास इस बात के सबूत हैं कि मुंबई के एक बिज़नेसमैन के कहने पर महुआ मोइत्रा ने लोकसभा मे सवाल पूछे. कथित तौर पर अडानी समूह और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधने के लिए. सवाल पूछने के बदले महुआ को कैश और गिफ़्ट दिए गए. 2 करोड़ रुपये, चुनाव लड़ने के लिए 75 लाख रुपये और आई-फ़ोन जैसे गिफ़्ट्स.
ये सबूत निशिकांत को जय अनंत देहाद्राई नाम के एक वकील ने पत्र भेजे हैं. पत्र में उस बिज़नेसमैन का नाम भी है: दर्शन हीरानंदानी. रियल स्टेट का बिज़नेस है और कुछ अलग-अलग इंडस्ट्रीज़ में भी निवेश किया हुआ है.
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निशिकांत के आरोप हैं कि मोइत्रा ने संसद में कुल 61 सवाल पूछे. 'चौंकाने वाली बात' है कि इनमें से लगभग 50 प्रश्न सुरक्षा-संबंधित थे. लिखा,
"ये मामला बेहद गंभीर है. पैसे के बदले सवाल पूछने से जुड़ा 12 दिसंबर, 2005 का 'कैश फ़ॉर क्वेरी' प्रकरण याद आता है. जिस केस में दस सासदों की सदस्यता चली गई थी."
कैश फ़ॉर क्वेरी (नकदी के बदले सवाल) स्कैम: 12 दिसंबर 2005 को टीवी पर एक स्टिंग ऑपरेशन चलाया गया था. इसमें दिख रहा था कि 11 सांसदों ने संसद में सवाल पूछने के बदले रुपये लिए थे. 11 आरोपी सांसदों में से छह भाजपा से, तीन बसपा से और एक-एक राजद और कांग्रेस से था. 24 दिसंबर 2005 को संसद ने एक ऐतिहासिक वोटिंग की और ग्यारहों सांसदों को निष्कासित कर दिया गया. बाक़ी सभी पार्टियां आरोपियों के ख़िलाफ़ कार्रवाई के पक्ष में थीं, मगर बीजेपी ने ये कहते हुए वॉक-आउट कर दिया कि ये 'कंगारू कोर्ट' है. उस समय विपक्ष के नेता लालकृष्ण आडवाणी ने कहा था कि सांसदों ने जो किया वो बेशक भ्रष्टाचार का मामला था, लेकिन निष्कासन की सज़ा ज़्यादा है.
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हालिया आरोपों में ये भी लिखा गया है कि महुआ और सौगत रॉय ने हमेशा सदन की कार्रवाई को ‘डिस्टर्ब’ किया है. इस वजह से सरकार 'जनहित से जुड़े मुद्दे उठा नहीं पाई'.
विशेषाधिकार का उल्लंघन, सदन की अवमानना और आपराधिक साजिश के आरोपों की तर्ज़ पर भाजपा सांसद की मांग है कि इस मामले में एक जांच कमिटी बनाई जाए. और जब तक कमिटी की जांच पूरी नहीं हो जाती, तब तक महुआ की लोकसभा सदस्यता रद्द कर दी जाए.
उधर महुआ ने कहा है कि उन्हें कोई भी इंक्वॉयरी मंज़ूर है. सोशलईमीडिया प्लेटफॉर्म X (पहले ट्विटर) पर लिखा,
"फ़र्ज़ी डिग्रीवाले और बाक़ी भाजपा नेताओं के ख़िलाफ़ कई उल्लंघन की सुनवाई लंबित है. अध्यक्ष पहले उनसे निपट लें, फिर मुझे मेरे ख़िलाफ़ किसी भी प्रस्ताव का स्वागत है. मेरे दरवाज़े पर आने से पहले ED और बाक़ी जांच एजेंसियां अडानी कोयला घोटाले में FIR दर्ज कर लेंगे – इसका भी इंतज़ार करूंगी."
केवल इतने पर नहीं रुकीं. X पर एक और पोस्ट किया, लिखा कि 'वो अपनी सारी ग़लत कमाई' से एक कॉलेज ख़रीदेंगी, जिसमें 'डिग्री दुबे' को एक असली डिग्री मिल जाएगी.
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हीरानंदानी समूह ने भी आरोपों को ख़ारिज किया है. कहा कि इनमें कोई दम नहीं है. हीरानंदानी समूह के प्रवक्ता ने कहा,
“हम हमेशा से बिज़नेस में है, राजनीति के बिज़नेस में नहीं. हमारे ग्रुप ने हमेशा देश के हित में सरकार के साथ काम किया है और आगे भी करते रहेंगे.”
ये विवाद उठने के बाद से अडानी और हीरानंदानी ग्रुप के बीच तनाव की ख़बरें भी चलने लगीं. निशिकांत ने अपने पत्र में भी लिखा है कि हीरानंदानी समूह को अडानी समूह की वजह से ऊर्जा और इंफ़्रास्ट्रक्चर के एक बड़े कॉन्ट्रैक्ट का झटका लगा है.