एजबेस्टन टेस्ट में इंग्लैंड के 5 विकेट 85 रन पर गिर गए थे और टीम इंडिया मजबूत स्थिति में थी, लेकिन हैरी ब्रूक और जेमी स्मिथ ने 300 से ज्यादा रन की साझेदारी कर डाली. वो भी लगभग 5 की रन रेट से. इस दौरान भारतीय बॉलिंग अटैक पूरी तरह से बेअसर नजर आई. किसी भी गेंदबाज के पास न कोई प्लान B दिखा और न ही विकेट लेने की कोई प्लानिंग. ऐसे में सवाल उठता है कि कोच गौतम गंभीर का रोल आखिर है क्या? क्या सिर्फ टीम के साथ रहना और ड्रेसिंग रूम में मोटिवेशनल बातें करना ही कोचिंग है या मैदान पर मुश्किल हालात में रणनीति बनाना और गेंदबाजों को गाइड करना भी जरूरी है?
गौतम गंभीर को टीम इंडिया का हेड कोच बने करीब एक साल हो चुका है, लेकिन टेस्ट क्रिकेट में उनका रिकॉर्ड लगातार गिरता जा रहा है. गंभीर की कोचिंग में भारत ने अब तक 11 टेस्ट खेले हैं, जिनमें सिर्फ 3 जीते हैं 7 हारे हैं और 1 ड्रॉ रहा है. जीत प्रतिशत सिर्फ 27 फीसदी के आसपास है, जो पिछले 15 साल में सबसे खराब है. गंभीर की कोचिंग में भारत ने सिर्फ बांग्लादेश के खिलाफ सीरीज जीती जबकि न्यूजीलैंड ने भारत को उसी की जमीन पर 3-0 से हराया. फिर टीम ने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी भी 1-3 से गंवाई और इसके साथ ही वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप फाइनल का सपना भी टूट गया. यानी पिछले 9 टेस्ट में 7 हार, सिर्फ एक जीत और एक ड्रॉ...ये आंकड़े टीम इंडिया की गिरती हालत को साफ दिखाते हैं.
प्लानिंग जीरो, परफॉर्मेंस ढीली, गंभीर की कोचिंग टीम इंडिया का बेड़ा गर्क कर रही?
एजबेस्टन टेस्ट में इंग्लैंड के 5 विकेट 85 रन पर गिर गए थे और टीम इंडिया मजबूत स्थिति में थी, लेकिन हैरी ब्रूक और जेमी स्मिथ ने 300 से ज्यादा रन की साझेदारी कर डाली. इस दौरान कोच गौतम गंभीर की प्लानिंग को लेकर काफी सवाल उठे.
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अब सवाल ये है कि गंभीर की रणनीति आखिर है क्या? जब इंग्लैंड के खिलाफ 5 विकेट 85 पर गिर गए थे तो टीम इंडिया को आक्रामक फील्डिंग और बॉलिंग करनी चाहिए थी, लेकिन गेंदबाजों को कोई क्लियर प्लान नजर नहीं आया. न तो स्पिनर्स में धार दिखी, न ही तेज गेंदबाजों में कोई वैरिएशन. फील्डिंग सेटिंग्स भी काफी हद तक डिफेंसिव रहीं. हैरी ब्रूक और जेमी स्मिथ ने आसानी से रन बनाए और भारतीय गेंदबाज बस गेंदबाजी करते रहे, बिना किसी खास रणनीति के. क्या कोचिंग स्टाफ ने प्लानिंग में चूक की? क्या गेंदबाजों को सही गाइडेंस नहीं मिली? या फिर टीम में आत्मविश्वास की कमी है?
गौतम गंभीर को हमेशा एक आक्रामक और मोटिवेटिंग कोच के तौर पर देखा जाता था, लेकिन टेस्ट क्रिकेट में उनकी रणनीति बार-बार फेल हो रही है. हाल ही में इंग्लैंड के पूर्व स्पिनर मोंटी पनेसर ने एक बात कही थी कि गंभीर को टीम इंडिया को सिर्फ बैटिंग ही नहीं, बल्कि एक मजबूत गेंदबाजी यूनिट बनाना होगा. ऐसी यूनिट जो इंग्लैंड में 20 विकेट ले सके. नहीं तो BCCI धीरे-धीरे, टेस्ट दर टेस्ट मैच उनका मूल्यांकन करेगा.
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और ये मूल्यांकन अब होना भी चाहिए. क्योंकि एक साल में हमने क्या देखा? बार-बार टीम में बदलाव, युवा खिलाड़ियों पर ज्यादा भरोसा... लेकिन अनुभव की कमी और मैदान पर कोई ठोस प्लानिंग का अभाव साफ दिख रहा है. लीड्स टेस्ट में हम 371 रन डिफेंड नहीं कर पाए और अब एजबेस्टन में 5 विकेट जल्दी गिराने के बाद भी ये मैच हाथ से फिसलता दिख रहा है.
गंभीर खुद कहते हैं कि हम नेट्स में कड़ी मेहनत कर रहे हैं, कभी-कभी ये चीजें हो जाती हैं हम एक साथ हारते हैं, एक साथ जीतते हैं. लेकिन क्या सिर्फ मेहनत काफी है या प्लानिंग में भी बदलाव जरूरी है? टीम ट्रांजिशन में है. रोहित शर्मा, विराट कोहली जैसे सीनियर खिलाड़ियों के जाने के बाद टीम काफी यंग है, लेकिन ऐसे वक्त में कोचिंग स्टाफ का रोल और अहम हो जाता है. BCCI ने फिलहाल गंभीर पर भरोसा जताया है, लेकिन लगातार हार के बाद फैंस और एक्सपर्ट्स के सवाल बढ़ते जा रहे हैं.
प्लानिंग में क्लैरिटी की साफ कमी है. हर मैच में अलग-अलग प्लान लेकिन कोई भी प्लान फील्ड पर कारगर नहीं दिख रहा. बॉलिंग अटैक का कोई लीडर नहीं है. जसप्रीत बुमराह जैसे सीनियर बॉलर की गैरमौजूदगी में अक्सर गेंदबाज दिशाहीन नजर आ रहे हैं. स्पिनर्स की धार गायब है. रविंद्र जडेजा और वॉशिंगटन सुंदर जैसे स्पिनर्स इंग्लैंड की इन पिचों पर बेअसर दिखे. लगातार हार से टीम का आत्मविश्वास गिरा है, जिसका असर बॉलिंग और फील्डिंग दोनों पर दिख रहा है.
गौतम गंभीर को कोच बने एक साल से ज्यादा हो गया है, लेकिन टेस्ट क्रिकेट में उनकी रणनीति और टीम मैनेजमेंट पर लगातार सवाल उठ रहे हैं. एजबेस्टन टेस्ट में इंग्लैंड के खिलाफ 5 विकेट जल्दी गिराने के बाद भी टीम इंडिया मुश्किल में फंसती दिखी. वो तो भला हो सिराज का, जिन्होंने टेलेंडर्स को जल्दी-जल्दी पवेलियन भेज दिया. उनका साथ निभाया आकाशदीप ने.
लेकिन अधिकतर मैचों में बॉलिंग अटैक पूरी तरह से बेअसर, ना कोई ढंग की प्लानिंग और एक के बाद एक लगातार हार...ये सब गंभीर की कोचिंग पर सवाल खड़े करते हैं. क्या गंभीर के पास कोई ठोस जवाब है या फिर टीम इंडिया को एक नए कोचिंग अप्रोच की जरूरत है? फिलहाल जो एक बात साफ है कि आंकड़े और मैदान पर टीम का प्रदर्शन दोनों ही गंभीर के पक्ष में नहीं हैं. ऐसे में अगर अगले कुछ मैच में बदलाव नहीं दिखता है तो टीम मैनेजमेंट को कुछ हार्श डिसीजन लेने ही होंगे.
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